Film Review: प्यार के 2 नाम : मैक्डोनाल्ड का मालपुआ 

Film Review: प्यार के 2 नाम : मैक्डोनाल्ड का मालपुआ 

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी की फिल्म समीक्षा

टीवी सीरियल के लोकप्रिय कलाकारों से फ़िल्म में काम करवाना उतना ही कठिन है जितना मैक्डोनाल्ड के खानसामे से मालपुए बनवाना! ‘प्यार के दो नाम’ में ऐसा ही हुआ होगा! नागिन-6 और कसौटी जिंदगी की धारावाहिकों में लोकप्रिय भव्या सचदेव फिल्म में प्रभावित नहीं कर पाती। दोष उनका नहीं, कहानी का है और निर्देशक का तो है। आप किसी को दाल-बाफले की दावत में बुलाओ और उसे मोमोज़ परोस दो, तो मेहमान खुश थोड़े ही होगा!

इस फ़िल्म को वसीम बरेलवी के गाने, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कैम्पस की भव्य पृष्ठभूमि, महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला पर लंबे-लंबे डायलॉग्स, हिन्दू-मुस्लिम प्रेमी-प्रेमिका के बीच तकरार और मज़हब की दीवार का फार्मूला, शुरुआती शेरो-शायरी और प्यार की नई परिभाषा नहीं बचा पाएगी। दर्शकों को मुम्बइया भेल परोस रहे हो तो परोसो, पर भेल का बोलकर थालीपीठ का कुस्करा तो मत दो भैया!

इसमें दो प्रेमी-प्रेमिकाओं की पैरेलल लव स्टोरी चलती है। एक जोड़ी जूनियर लवर्स अलग मज़हब के हैं और बिना लव जिहाद शब्द कहे वे उसके खतरे महसूस करते हैं। सीनियर लवर्स जोड़े कहने को तो सीनियर हैं, पर उनके तार नहीं मिलते! एक का सेवन लाइफ स्टैंड में यकीन है, दूसरा वन लाइट स्टैंड में ही खुश है। किसी को अंकुरित पौष्टिक भोजन चाहिए, कोई बर्गर खाकर ही खुश है। डायरेक्टर बर्गर खानेवाले से कहता है- तुझे अंकुरित जैविक आहार खाना ही पड़ेगा। ले खा! …और अंत आते-आते बेचारा खाने लगता है। ये तो हीरो की बात हुई, दर्शक थोड़े ही अंकुरित जैविक आहार का शौकीन है? दर्शकों ने कहा – ना बाबा, तुमने तो स्वाद के चक्कर में मालपुए में चिली फ्लेक्स से गार्निशिंग कर दी है, अब तुम ही निपटो!!

डायलॉग्स अच्छे हैं :

– हमें ऐसा समाज मिला है जहां प्यार के लिए कोई जगह ही नहीं है।

– समाज को बदले की नहीं, बदलाव की ज़रूरत है।

-कभी किसी के प्यार को आज़माना मत, दिल दुखता है!

 

‘प्यार के दो नाम’ फ़िल्म में हिंसा, फूहड़ता, मारपीट, वाहनों की रेस, नंगापन नहीं है! वसीम बरेलवी के गाने अच्छे हैं, संगीत मधुर है, दानिश जावेद का निर्देशन औसत और भव्या सचदेव, अंकिता साहू, कनिका गौतम, अंचल टंकवाल का अभिनय अच्छा है। कबीर का रोल करनेवाले अंचल इन्दौर के हैं। उन्हें बड़ा रोल भी मिला है। फ़िल्म में सारे इंग्रीडिएंट अच्छे है, पर रेसिपी का क्या कीजिएगा?

हिन्दी की प्यार वाली फिल्मों का एक तयशुदा साँचा है – परिस्थितिवश मिलना, नज़र मिलाना, आंखों-आंखों में प्यार, नखरा, रूठना, मनाना, गलतफहमी से पैदा नफरत, बलिदान से नफरत पर विजय और अंत में विवाह! गाने और नहाने के सीन स्वाद या परिस्थिति के अनुसार डाले जाते हैं।

 

प्यार, प्यार ही रहेगा! आप यह फ़िल्म देखेंगे तो उसके तीन नाम थोड़े ही पड़ जाएंगे। झेल सकें तो ही अपनी रिस्क पर जाएं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।