फिल्म समीक्षा: DoctorG का डायग्नोसिस देखनीय है ‘डॉक्टर जी’

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डॉक्टर जी (A) ‘एडल्ट पिच्चर’ है, लेकिन इसमें ‘एडल्टों’ वाले फूहड़ जोक्स नहीं हैं। इसमें उतना ही एडल्टपना है, जितना मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजी विभाग में होता होगा। आम तौर पर पुरुष चिकित्सक गायनेकोलॉजिस्ट यानी स्त्री रोग और प्रसव विशेषज्ञ बनने से कतराते हैं क्योंकि हमारे यहाँ महिलाएं ऐसे पुरुष डॉक्टरों के पास जाने में हिचकिचाती हैं। उनका धंधा मंदा रहता है। देश के टॉप टेन गायनेकोलॉजिस्ट में आठ स्त्रियां ही हैं।

डॉक्टर जी मज़ेदार फिल्म है! एमबीबीएस के बाद आयुष्मान खुराना का भी ख्वाब होता है ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ बनना, लेकिन उसकी पीजी की सीट ऑर्थो की जगह गायनिक में कन्फर्म होती है। हालात ऐसे कि आयुष्मान नाम की रजिया फंस जाती है गायनेकोलॉजी विभाग की धाकड़ महिला एचओडी और पीजी कर रही ‘गुंडी’ डॉक्टरनियों के बीच!
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डॉक्टर जी फिल्म में कोई विलेन नहीं है, कोई मारपीट और धूमधड़ाका नहीं है। हालात से जन्मा हास्य और इमोशन है! हम सभी का साबका गायनेकोलॉजिस्ट से पड़ा ही है (जन्म के वक़्त) और अगर वे न होते तो शायद हममे से कई बचते भी नहीं। विषय अनूठा और साहसिक है। अनुराग कश्यप की बहन डायरेक्टर अनुभूति कश्यप ने खूब मेहनत की है। इस युवा महिला निर्देशक ने पहली ही फिल्म में शानदार काम किया है। ‘डॉक्टर जी’ की कहानी ग्वालियर के डेंटिस्ट और लेखक सौरभ भारत ने लिखी है। शूटिंग इंदौर और भोपाल में भी हुई है।
फिल्म की पृष्ठभूमि भोपाल की है इसलिए इसमें जा रिया, खा रिया, आ रिया जैसे अल्फ़ाज़ हैं। भोपाल की झील, सड़कें, रेस्टोरेंट्स, मस्जिदें और मीनारें आकर्षक लगती हैं। इसके हीरो का फ़िल्मी नाम उदय है और हीरोइन का फ़ातिमा, जो अपनी बातचीत में ‘हे राम’ तकियाकलाम वापरती है। (बॉलीवुड बॉयकॉट वालों ध्यान दो)।
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यह दो घंटे की फिल्म है, जिसमें पहला घंटा तो भोपाल के एक मेडिकल कॉलेज में ही बीत जाता है और फिल्म बोर करने लगे इसके पहले ही इसका दी एंड हो जाता है। आयुष्मान की आर्टिकल 15, विकी डोनर और

बधाई

हो जैसी साहसिक फिल्मों में इसका नाम भी जुड़ गया है लेकिन मुझे इसमें सबसे अच्छा काम शेफाली शाह का लगा जिन्होंने गायनेकोलॉजी विभाग की हेड का रोल जीवंत किया। एक पल के लिए भी यह अहसास नहीं हुआ कि वे अभिनेत्री हैं!

इसके गानों के बोल मज़ेदार हैं जैसे :
होप में है मेरी उस्तादी
मैं हूँ ईडीयट आशावादी
मेरी थिंकिंग सीधी साधी
मैं हूँ ईडीयट आशावादी
एक और गाने के बोल हैं :
न्यूटन एक दिन सेब गिरेगा
ओ न्यूटन एक दिन सेब गिरेगा
बचपन से तू जिस ट्रेजर को ढूढ़ रहा है
तेरे आगे आकर उसका मेप गिरेगा
सीधा तेरे मुंह में आकर ग्रेप गिरेगा !