Bhopal : आर्थिक अपराध अनुसंधान (EOW) कोर्ट ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता यूनिवर्सिटी में हुई फर्जी नियुक्तियों को लेकर उस जांच रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया, जिसे पूर्व की कमलनाथ सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने जांच कर EOW को सौंपा था। यह जांच 2003-2018 के बीच SC, ST और OBC के लिए आरक्षित पदों पर अन्य लोगों को कथित अवैध नियुक्ति देने वाले मामले पर दी गई थी। EOW ने विशेष न्यायाधीश अमित कुमार समाधिया की कोर्ट में ख़ात्मा रिपोर्ट पेश की थी, जिसे अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कुछ बिंदुओं के साथ जांच कर फिर से रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 2003 से 2018 के बीच फर्जी तरीके से नियमों के विरुद्ध नियुक्तियां किए जाने के आरोप लगाए गए थे। कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान ये मामला सामने आया और FIR दर्ज हुई थी। EOW ने रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह FIR दर्ज की थी।
फर्जी नियुक्तियों वाले मामले में यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला और भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक संजय द्विवेदी समेत 20 लोगों पर यह मामला दर्ज किया गया था। आरोप लगाया गया था कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला एवं अन्य ने SC, ST और OBC ओबीसी के लिए आरक्षित पदों की अनदेखी कर विशेष लोगों को अवैध नियुक्तियां दी थी
कमलनाथ सरकार ने बनाई थी जांच समिति
यह मामला सुर्खियों में आने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की टीम का गठन किया था। इस समिति के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी और कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता को सदस्य बनाया गया था। कमेटी ने अवैध नियुक्तियों की जांच कर EOW को जांच सौंपी थी। जिसे EOW ने विशेष न्यायाधीश अमित कुमार समाधिया की कोर्ट में ख़ात्मा रिपोर्ट में किया था। कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए EOW को कुछ बिंदुओं के साथ जांच कर फिर से रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए हैं।