

From Hut to Permanent Home : मूक-बधिर दंपत्ति का जर्जर झोंपड़ी से पक्के आशियाने तक का सफ़र!
Alirajpur : मध्यप्रदेश का आदिवासी जिला अलीराजपुर कई मामलों में अनोखा है। आकार में यह बहुत छोटा है, देश के गरीब जिलों में भी इसकी गिनती होती है। कभी इस जिले को एशिया का सबसे ज्यादा आपराधिक इलाका माना जाता था। अब अपराध की वो स्थिति नहीं है, पर यह जिला गरीबी के अभिशाप से अभी मुक्त नहीं हुआ। यहां के ग्रामीण आदिवासी परिवार इतने गरीब हैं कि वे पेट की आग बुझाने से आगे की जरूरतों के बारे में सोच भी नहीं पाते!
खास बात यह कि यहां के आदिवासी इतने भोले-भाले हैं, कि वे यथास्थिति वाले हालात को स्वीकार करने में देरी नहीं करते। उन्हें लगता है कि अभावग्रस्त जिंदगी ही उनके जीवन की नियति है। लेकिन, कभी-कभी कुछ ऐसा घटता है, जो मिसाल बन जाता है। ऐसी ही एक घटना शनिवार 14 जून को हुई, जब एक बेहद गरीब और मूक-बधिर आदिवासी परिवार को प्रशासन ने झोपड़ी से निकालकर पक्के मकान में पहुंचा दिया।
छह महीने के दौरान उनके हालात जिस तरह बदले वो किसी सुखद अंत वाली कहानी से कम नहीं है। बताया गया कि 8 जनवरी 2025 को जिले की जोबट तहसील के नीमथल गांव के इस परिवार की खबर स्थानीय टीवी चैनल पर दिखाई गई। यह मूक-बधिर दंपत्ति जर्जर और करीब 70 % तक गिर चुकी झोपड़ी में रहने को मजबूर थे। उनकी परेशानी की खबर टीवी पर दिखाई दी। इसे कलेक्टर डॉ अभय बेडेकर ने भी देखा।
दूसरे दिन 9 जनवरी को कलेक्टर नीमथल गांव गए। उन्होंने देखा कि वहां की मूक-बधिर कलसिंह दंपत्ति जर्जर और करीब गिर चुकी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। कलेक्टर ने झोपड़ी के अंदर जाकर हालात देखे तो वे बेहद द्रवित हो गए। बाहर आने के बाद उनका जवाब था ‘मैं दुखी हूं। इस दंपत्ति को मैं मकान जल्दी से जल्दी बनवाकर दूंगा।’ लेकिन, यह आसान नहीं था। क्योंकि, प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वे या अन्य नियमों के तहत काम हुआ, तो बारिश आने का खतरा था। लेकिन, प्रशाशन के अधिकारियों ने अंततः मिल जुलकर मूक-बधिर कलसिंह को पक्का मकान बनवाकर दे ही दिया।
मानसून के ठीक पहले आज 14 जून को कलेक्टर डॉ अभय बेडेकर ओर जोबट एसडीएम अर्थ जैन ने नीमथल पहुंचकर कलसिंह दंपत्ति को नए मकान में फीता काटकर प्रवेश करवाया। ये मूक-बधिर कलसिंह के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। सपना भी ऐसा जो उन्होंने देखा भी नहीं था। आज जब इस दंपत्ति को गृह प्रवेश करवाया गया, तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट ओर कृतज्ञता के भाव साफ़ नजर आ रहे थे। कलेक्टर आलीराजपुर भी खुश और संतुष्ट थे कि उन्होंने एक गरीब आदिवासी परिवार को जर्जर हो चुकी झोपड़ी से निकालकर पक्के मकान तक पहुंचा दिया।