‘केशव’ से ‘मोहन’ तक 100 साल में ‘शाखा’ से ‘शिखर’ तक पहुंचा ‘संघ’…

528

‘केशव’ से ‘मोहन’ तक 100 साल में ‘शाखा’ से ‘शिखर’ तक पहुंचा ‘संघ’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

विजयादशमी 1925 से लेकर विजयादशमी 2025 तक चरैवेति-चरैवेति मूल मंत्र के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक शताब्दी की यात्रा पूरी कर ली है। सरसंघचालक के नजरिए से देखा जाए तो 100 साल की यह यात्रा ‘केशव’ से शुरू होकर ‘मोहन’ तक जारी है। तारीख के नजरिए से देखा जाए तो 27 सितंबर 2025 को 100 साल पूरा कर चुका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब 100 साल और 5 दिन का हो गया है। हिंदुत्व के नजरिए से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 साल में सनातन की भावना को घर-घर तक पहुंचा दिया है। सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी-अपनी हद में रहते हुए सामाजिक एकता के ताने-बाने को जीवंत करने का असाधारण प्रयास किया है। सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सबका सम्मान रखते हुए अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोने की स्पष्ट सोच विकसित की है। राष्ट्रीय दृष्टि से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत माता को केंद्र में रखते हुए राष्ट्रभक्ति का न केवल आह्वान किया है बल्कि यह साफ कर दिया है कि जो भारतीय नागरिक भारत माता का आदर और सम्मान अक्षुण्ण नहीं रख सकता, उसे खुद को भारतीय नागरिक कहने का कोई हक नहीं है। आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो स्वदेशी के मूल मंत्र के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश में स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का बिगुल फूंक रहा है। राजनैतिक दृष्टि से देखा जाए तो गैर राजनैतिक संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ ने जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी की यात्रा करने वाले दल को वैचारिक समर्थन देकर उसे सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाकर यह साबित कर दिया है कि चरैवेति-चरैवेति का उनका मूल मंत्र बिना समझौता किए अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता संग राष्ट्रभक्ति की संकल्पना में रंग भरने में सक्षम और सशक्त है। और सभी दृष्टि से यह गैर राजनैतिक संगठन विश्व का सबसे ताकतवर और खुद को हिंदू समाज में घर-घर तक पहुंच बनाने वाला इकलौता संगठन साबित करने में सफल हुआ है, जो सौ साल में सभी क्षेत्रों में और सभी वर्गों में सेवा, समर्पण, अनुशासन और आस्था के साथ वैचारिक सुदृढ़ता का पर्याय बन चुका है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शून्य से शिखर तक की यह यात्रा एक विराट सोच, व्यक्तित्व, कृतित्व और संकल्पना के साकार होने की विराटतम यात्रा है। डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार ने जिस मजबूत वैचारिक बीज को बोया था, वह डॉ मोहन भागवत के नेतृत्व में 100 वां साल पूरा करते हुए न केवल गौरवान्वित है बल्कि एक विराट वृक्ष बनकर अपनी छांव में अपने विचारों को पल्लवित, पुष्पित और पोषित कर रहा है। न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपनी पहचान है।

1001168473

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आरएसएस के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। सबसे पहले 50 वर्ष बाद 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी। 1975 के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई, जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। संघ की स्थापना के 71 वर्ष बाद सन् 1996 में 13 दिन के लिए और बाद में 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की मिलीजुली सरकार भारत की केन्द्रीय सत्ता पर आसीन हुई। और वही 2014 से अब तक केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्तारूढ़ है। भाजपा को इस दौर में पूर्ण बहुमत हासिल करने में भी सफलता मिली है।

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल के कार्यकाल में डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार यानि डॉक्टर साहब (1925–1930), सम्मान के लिए लक्ष्मण वासुदेव परांजपे (1930–1931) और फिर डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार (1931–1940), माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर यानि गुरूजी (1940–1973), मधुकर दत्तात्रेय देवरस यानि बालासाहेब देवरस (1973–1994), प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह यानि रज्जू भैया (1994–2000), कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन यानि सुदर्शनजी (2000–2009), डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत यानि भागवतजी (21 मार्च 2009–वर्तमान तक) सरसंघचालक रहे हैं। डॉक्टर साहब का कार्यकाल 1925 से 1940 तक ही माना जाता है। परांजपे का नाम सम्मान की दृष्टि से ही शामिल माना जा सकता है। इस प्रकार ‘केशव’ से ‘मोहन’ तक की 100 साल की यात्रा में संघ ने अपने कदम लगातार शीर्ष की तरफ आगे बढ़ाए हैं। और जब केंद्र में एनडीए की सरकार सत्तारूढ़ है, तब संघ लगातार विपक्ष के निशाने पर बना हुआ है। और इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि संघ और भाजपा एक दूसरे के पूरक ही हैं। इसीलिए संघ का प्रभाव केंद्र और प्रदेशों में सत्तारूढ़ भाजपा सरकारों पर देख विपक्ष आक्रामक नजर आता है। यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ न होता तो राजनैतिक दल के रूप में भारतीय जनता पार्टी के जनाधार की कल्पना इस तरह से कोई नहीं कर पाता। यदि आज भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ी राजनैतिक दल है तो यह संघ के साए में ही संभव हो पाया है। इसमें ‘केशव’ से लेकर ‘मोहन’ तक सभी ने सरसंघचालक के रूप में अपना पूरा योगदान दिया है। वास्तव में देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ है। और इसीलिए केंद्र और प्रदेशों में सत्तारूढ़ भाजपा सरकारें भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति अपने विचार खुलकर सामने रखकर खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। पारस्परिक संबंधों की यह मधुरता और पारस्परिक सम्मान की निरंतरता, वैश्विक पटल पर एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।

 

वास्तव में ‘शाखा’ ही संघ की बुनियाद है जिसके ऊपर आज यह इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है। शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल,योग,वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा-परिचर्चा शामिल है। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे (सदा वत्सल मातृभूमि, आपके सामने शीश झुकाता हूँ) संघ की प्रार्थना है। यह संस्कृत में है और इसकी अन्तिम पंक्ति हिन्दी में भारत माता की जय शामिल है। संघ की शाखा या अन्य कार्यक्रमों में इस प्रार्थना को अनिवार्यतः गाया जाता है और ध्वज के सम्मुख नमन किया जाता है। लड़कियों/स्त्रियों की शाखा राष्ट्र सेविका समिति और विदेशों में लगने वाली हिन्दू स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना अलग है। संघ की रचनात्मक व्यवस्था केंद्र, क्षेत्र, प्रान्त, विभाग, जिला, तालुका/तहसील/महकमा, नगर, खण्ड, मण्डल, ग्राम और शाखा है।

संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है और लगभग 200 से अधिक संगठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमें कुछ प्रमुख संगठन हैं जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय हैं। जिनमें कुछ राष्ट्रवादी, सामाजिक, राजनैतिक, युवा वर्गों के बीच में कार्य करने वाले, शिक्षा के क्षेत्र में, सेवा के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र में, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतों के बीच में, विदेशों में, अन्य कई क्षेत्रों में संघ परिवार के संगठन सक्रिय रहते हैं।

सम्बद्ध संगठनों में कुछ प्रमुख संगठन

भारतीय जनता पार्टी,सहकार भारती, भारतीय किसान संघ,भारतीय मजदूर संघ, सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बजरंग दल, लघु उद्योग भारती, भारतीय विचार केन्द्र, विश्व संवाद केन्द्र, राष्ट्रीय सिख संगत, हिन्दू जागरण मंच और विवेकानन्द केन्द्र शामिल हैं। सभी संगठन संघ के अनुशासित स्वयंसेवकों के नेतृत्व में निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। तो भाजपा सरकारों में शीर्ष पदों पर रामनाथ कोविंद, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर नरेंद्र मोदी, डॉ. मोहन यादव सहित सभी महत्वपूर्ण भाजपा नेता शामिल हैं।

नागपुर के झंडे चौक स्थित संघ का हेडक्वार्टर ‘हेडगेवार भवन’ 100 साल पूरे होने पर ‘शाखा’ से ‘शिखर’ तक की यात्रा का साक्षी बन चुका है। संघ की पहली शाखा नागपुर के मोहितेवाड़ा मैदान में लगी थी। इस शाखा में करीब 15 से 20 लोग ही शामिल हुए थे।1925 में सिर्फ एक शाखा से शुरू हुआ यह सफर आज हजारों शाखाओं तक पहुंच गया है। आज भारत में प्रतिदिन 60,000 से ज्यादा शाखाएं लगती हैं। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कई देशों में भी शाखाओं का संचालन किया जाता है। तमाम उपलब्धियों और आलोचनाओं के बीच ‘केशव’ से लेकर ‘मोहन’ तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘शाखा’ से ‘शिखर’ की 100 साल की यह यात्रा वास्तव में बधाई की हकदार है…।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।