

मंदसौर, इंदौर से लेकर भोपाल तक पुलिस-बदमाशों के गठजोड़ के किस्से, खाकी पर लगते दाग
भोपाल: रक्षक ही जब भक्षकों से मिल जाए तो क्या होगा, मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से पुलिस अफसरों से लेकर जवानों तक के ऐसे ही कई मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस मुख्यालय से लेकर प्रदेश के कई थानों के कर्मी इनके साथ मिलकर अवैध रूप से वसूली कर अपराधियों की मदद कर रहे हैं। हालांकि जितने मामले सामने आए उन पर एक्शन हुआ, लेकिन पुलिस और बदमाशों के गठजोड़ के कई मामलों पर अब भी पर्दा डला हुआ है।
मध्य प्रदेश में पुलिस और बदमाशों का गठजोड़ कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन दिन प्रतिदिन यह गठजोड़ न सिर्फ मजबूत हो रहा है, बल्कि नए-नए तरह के अपराधों को बढ़ावा देने में अपराधियों का साथ भी दे रहा है। बुधवार को ऐसा ही एक मामला राजधानी में भी सामने आया है। जिसमें चार पुलिस वालों पर FIR दर्ज की गई।
बुधवार को भोपाल में उपनिरीक्षक पवन रघुवंशी पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ाया। इससे पहले पुलिस कमिश्नर ने ऐशबाग थाने के निरीक्षक जितेंद्र गढ़वाल, एएसआई मनोज कुमार, पवन रघुवंशी, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र को निलंबित कर दिया। इन चारों ने मिलकर देश के कई लोगों से शेयर ट्रैडिंग के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी करने के सबूत नष्ट करने के साथ ही कुछ आरोपियों को बचाने का काम कर रहे हैं। इसके ऐवज में 25 लाख रुपए की ड्रील अपराधियों और पुलिस के बीच में हुई थी। ऐशबाग पुलिस ने फरवरी में शेयर ट्रैडिंग के नाम पर ठगी करने वाले के कॉल सेंटर पर छापा मारकर कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
गंदे काम में भी पुलिस की मिलीभगत
भोपाल में करोड़ों की ठगी करने वालों का साथ देने से पहले यहां की पुलिस पर गंदे काम में भी अपराधियों को साथ देने का आरोप है। शहर के कुछ स्पा सेंटर्स में कुछ महीने पहले पुलिस ने छापा डाला था। यह गंदा काम खुलेआम किया जाता था। इस गंदे काम पर पुलिस को एक्शन न लें,इसके लिए स्पा संचालकों ने पुलिस से सांठगांठ कर ली और अपने गंदे धंधे को बेखौफ होकर चलाते रहे। स्पा सेंटर्स पर छापे डालने के बाद कई पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई और उन पर कार्यवाही की गई।
ड्रग्स कारोबारियों से भी दोस्ती
वहीं इंदौर पुलिस में भी रक्षक के भेष में भक्षक सामने आए। यहां पर ड्रग्स का अवैध करोबार करने वालों का साथ देने में एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी संदिग्ध हैं। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि आजाद नगर थाना क्षेत्र में ड्रग्स का अवैध करोबार करने वालों से 14 पुलिसकर्मियों की सांठगांठ हैं। इन सभी को हाल ही में पुलिस लाइन भेजा गया। अब इन सभी की जांच की जा रही है। वहीं इंदौर में ही आॅन लाइन सट्टा खेलने वालों के संरक्षक पुलिस अफसर ही बन बैठे थे। विजय नगर थाने में आॅन लाइन सट्टे के आरोप में तीन लोगों को पकड़ा, इसके बाद पुलिस पर आरोप लगे कि इन्हें पैसा लेकर इन्हें छोड़ दिया। जांच में आरोप सिद्ध हो गए और कमिश्नर संतोष सिंह ने विजय नगर के टीआई रविंद्र गुर्जर की पदावनति कर उपनिरीक्षक बना दिया साथ ही उपनिरीक्षक संजय धुर्वे की दो और आरक्षक लोकेंद्र सिंह सिसोदिया का एक इंक्रीमेंट रोक दिया गया।
मंदसौर में भी आते रहते हैं ऐसे ही मामले
मंदसौर जिले में भी इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। ताजा मामला जनवरी का है। यहां पर एक हिस्ट्री शीटर के साथ पुलिस अफसर जन्म दिन मना रहे थे। सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हुआ। जिसमें बदमाश दायमा और कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक जगदीश ठाकुर और सुनील तोमर की दोस्ती बयां हो रही थी। पुलिस मुख्यालय तक हड़कंप मचने के बाद दोनों पुलिस कर्मियों को संस्पेंड करना पड़ा।
डीजीपी की नाक के नीचे कर दिया घपला
पुलिसकर्मियों में अपने सबसे बड़े अफसर का भी डर नहीं दिखाई देता है। पुलिस मुख्यालय में डीजीपी की नाक के नीचे ही पुलिसकर्मियों ने मिलकर मेडिकल बिल के नाम पर लाखों का घोटाला कर दिया। इस मामले में भोपाल के जहांगीराबाद में प्रकरण दर्ज है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ रहे तीन पुलिसकर्मी इस मामले में निलंबित हो चुके हैं। इनकी गिरफ्तारी भी हो गई है।