Narendra Singh Tomar: वार्ड अध्यक्ष से विधानसभा अध्यक्ष तक का पांच दशक का सफर…

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वार्ड अध्यक्ष से विधानसभा अध्यक्ष तक …तोमर का पांच दशक का सफर…

मध्यप्रदेश विधानसभा को आज अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध रूप से निर्वाचित नरेंद्र सिंह तोमर मिल रहे हैं। तोमर का पांच दशक का लंबा राजनैतिक जीवन है। 1974 में वह भारतीय युवा संघ के वार्ड अध्यक्ष चुने गए थे और अब 20 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की आसंदी पर बैठेंगे। उन्होंने लंबी राजनैतिक यात्रा में संगठन और सरकार में राज्य और केंद्र में अलग-अलग पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद के रूप में खुद को साबित कर चुके हैं और केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। तो वह राज्य‌ सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। राज्य भाजपा संगठन में वह वार्ड, मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तक सभी पदों पर कार्य कर अपनी कार्यशैली का लोहा मनवा चुके हैं। मजदूर से मुख्यमंत्री तक के पद को सुशोभित करने वाले स्वर्गीय बाबूलाल गौर ने तोमर को “मुन्ना भैया” उपनाम दिया था। कोई भी राजनैतिक संकट आने पर तोमर को संकटमोचक के रूप में जाना जाता है। बहुत कम बोलने में भरोसा रखने वाले मुन्ना भैया हर बात को गुनकर सही फैसला लेने में कभी कोई चूक नहीं की। और अब पक्ष-विपक्ष के विधायकों का भरोसा जीतने की चुनौती का सामना विधानसभा अध्यक्ष के बतौर नरेंद्र सिंह तोमर को करना है। हालांकि यह भी तय है कि वह सदन का भरोसा जीतने में पूरी तरह सफल रहेंगे। 2023 में विधानसभा चुनाव का टिकट पाकर दिमनी से मैदान में उतरे तोमर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी माना जा रहा था।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पोरसा विकासखंड के तहत आने वाले ग्राम ओरेठी में मुंशी सिंह तोमर के पुत्र नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म 12 जून 1957 को तोमर क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है। वे इस दौरान महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। शिक्षा पूरी करने के बाद वे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद पद पर निर्वाचित हुए। इसके बाद वे पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय रहे। वे 1977 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष बनाए गए। वे युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर रहते हुए 1996 में युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। तोमर पहली बार 1998 में ग्वालियर से विधायक निर्वाचित हुए और इसी क्षेत्र से वर्ष 2003 में दूसरी बार चुनाव जीता। इस दौरान वे 2008 तक उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे। उन्हें वर्ष 2008 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष, सोमनाथ चटर्जी ने उत्कृष्ट मंत्री के रूप में सम्मानित किया था। तोमर वर्ष 2008 में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और उसके बाद वे 15 जनवरी 2009 में निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने गए। बाद में वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री पद पर रहे। तोमर एक बार फिर 16 दिसम्बर 2012 को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। प्रदेश के मुरैना संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। तो उसके बाद 2014 में ग्वालियर लोकसभा और 2019 में फिर मुरैना लोकसभा से सांसद चुने गए। तोमर को 27 मई 2014 को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट में इस्पात, खान, श्रम और रोजगार का केंद्रीय कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था। मई 2019 में, वह ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय में बने रहे और उन्हें कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का प्रभार दिया गया। 18 सितंबर 2020 को, तोमर को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। विधानसभा चुनाव लड़ने के समय वह कृषि और किसान कल्याण मंत्री थे। 2023 मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में, तोमर ने दिमनी विधानसभा में अप्रत्याशित रूप से बहुजन समाज पार्टी के बलवीर सिंह दंडोतिया को 24,000 के अंतर से हराया है।
तो संगठनात्मक क्षमता के साथ ही प्रशासन पर मजबूत पकड़ रखने वाले और कुशल रणनीतिकार तोमर के विधानसभा अध्यक्ष बनने की खुशी पक्ष-विपक्ष दोनों दलों में है। नए विधायकों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, तो विधानसभा अध्यक्ष पद की गरिमा भी नए आयामों को छुएगी, यह उम्मीद की जा सकती है।‌ सदन के नेता डॉ. मोहन यादव और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार हों या फिर उपमुख्यमंत्रीद्वय जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला और उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे सभी के मन में तोमर के प्रति सम्मान का भाव निहित है। यह तोमर की विशेषता है कि चाहे उम्र में बड़ा हो, बराबर का हो या छोटा, सबके मन में अपनी जगह बना ही लेते हैं। वार्ड अध्यक्ष से विधानसभा अध्यक्ष तक का पांच दशक का तोमर के राजनैतिक सफर का लाभ अब सदन के सभी सदस्यों को मिलने जा रहा है…।