Group Leave : MP के तहसीलदार और नायब तहसीलदार आज से सामूहिक अवकाश पर!
पेंडिंग केस की संख्या बढ़ेगी, ‘लाड़ली बहना योजना’ की मानीटरिंग में भी दिक्कत!
Bhopal : प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार आज से तीन दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए। रविवार रात वे सरकारी वॉट्सएप ग्रुप से भी लेफ्ट हो गए और सरकारी गाड़ियां भी लौटा दी। उनके तीन दिन छुट्टी पर जाने से राजस्व के कई कामकाज पर असर पड़ेगा। सीमांकन, बंटाकन समेत कई कामों की सुनवाई नहीं हो सकेगी।
तहसीलदार और नायब तहसीलदार रविवार रात 8 बजे सभी ऑफिशियल वॉट्सएप ग्रुप से एकसाथ लेफ्ट हो गए। रात 9 बजे तक अपनी सरकारी गाड़ियां सीनियर अफसरों को जमा करा दी। अपना डिजिटल साइन का डोंगल भी रात 9 बजे तक वापस अपने पास जमा करा लिया। इसके बाद आज से सभी तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों सामूहिक अवकाश पर चले गए। इससे पेंडिंग केस की संख्या बढ़ेगी। ‘लाड़ली बहना योजना’ की मानीटरिंग में भी दिक्कतें आएंगी।
प्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का मुद्दा फरवरी से ही गरमाया हुआ है। वे चाहते हैं कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश GAD (सामान्य प्रशासन विभाग) ही निकाले, ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी तहसील पर मिले, जो की गई है। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा और अफसरों के सम्मान को ठेस भी नहीं पहुंचेगी। हालांकि, अब तक लिस्ट जारी नहीं हुई है, इसलिए उन्होंने सामूहिक अवकाश पर जाने का मन बनाया गया है।
1999 से 2008 के बीच जो नायब तहसीलदार बने और फिर तहसीलदार के पद पर पदोन्नत हुए, लेकिन इसके बाद उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। उन तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर नहीं बनाया जाएगा, जिन पर जांच चल रही हो।
ये मांगें भी अभी तक लंबित
इस स्तर के अधिकारियों के प्रमोशन, नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित करने और राजस्व अधिकारियों की ग्रेड-पे एवं वेतन विसंगतियों को दूर करने की भी मांगें हैं। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि मांगों को लेकर लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद अभी तक ये पूरी नहीं की गई। गुरुवार और शुक्रवार को उन्होंने काली पट्टी बांधकर काम किया, जबकि शनिवार-रविवार को सरकारी छुट्टी होने से काम नहीं किया, अब वे तीन दिन के सामूहिक अवकाश पर है।
इन्हें अभी तक प्रमोशन का इंतजार
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के मुताबिक, वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी-पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी। लेकिन, उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है। हालांकि, नियमित पदोन्नति और जीएडी से आदेश जारी होने की मांग के चलते एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में है।
सीनियरों को उच्च प्रभार देने का प्लान
प्रदेश सरकार करीब 200 सीनियर तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाने जा रही है। ये तहसीलदार पिछले 7 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाएंगे। इधर, कुल 173 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिए जाने की प्रोसेस चल रही है। हालांकि, इसके आदेश अब तक नहीं निकल सके हैं। इसके अलावा अन्य मांगों को लेकर भी अधिकारी सामूहिक छुट्टी पर चले गए।