Hate Speech : SC के निर्देश ‘हेट स्पीच पर सरकारें कार्रवाई करें, नहीं तो तैयार रहें!’

भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के मुस्लिम विरोधी बयान पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर!

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Hate Speech : SC के निर्देश ‘हेट स्पीच पर सरकारें कार्रवाई करें, नहीं तो तैयार रहें!’

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषा यानी हेट स्पीच (Hate speech) को लेकर सख्त हिदायत दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कोर्ट की जिम्मेदारी है कि इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करे। हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा कि या तो कार्रवाई कीजिए, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा कि हेट स्पीच में लिप्त लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई!

हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए यह समय अत्यंत चौंकाने वाला है। किसी समुदाय के खिलाफ ऐसे बयान दिखाई दे रहे हैं। अदालत के रूप में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए। वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा मुस्लिम को बायकॉट करने की बात कर रहे हैं। पुलिस इस तरह के कार्यक्रमों में उपस्थित रहती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस को बताना है कि प्रवेश वर्मा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई!

मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच देने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से UAPA के तहत कार्रवाई की याचिका दाखिल की गई है। दरअसल शाहीन अब्दुल्लाह नाम के याचिकाकर्ता ने मुसलमानों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसके अलावा याचिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वालों मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग भी की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हेट स्पीच को लेकर आरोप बहुत गंभीर है। भारत का संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पित करता है। देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों के बारे में IPC में उपयुक्त प्रावधानों के बावजूद निष्क्रियता है। हमें मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होगा। अगर कोई शिकायत न हो, तो भी पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लापरवाही हुई तो अफसरों पर अवमानना कार्रवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए। घृणा का माहौल देश पर हावी हो गया है, दिए जा रहे बयान विचलित करने वाले हैं और ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा 21वीं सदी में ये क्या हो रहा है! धर्म के नाम पर हम कहां हम पहुंच गए! हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया! उन्होंने कहा कि भारत का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है!

सुप्रीम कोर्ट ‘भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के बढ़ते खतरे’ को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की और से कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें इस कोर्ट में नहीं आना चाहिए। लेकिन, हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। अदालत या प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता। हमेशा स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाती है। ये लोग आए दिन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि आप खुद कानून मंत्री थे, तब आपने कुछ किया! ये हल्के नोट पर पूछ रहा हूं, नई शिकायत क्या है! सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के भाषण का हवाला दिया जो भाजपा के एक नेता द्वारा किया गया है। प्रवेश वर्मा ने कहा था ‘हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे, नौकरी नहीं देंगे!’ प्रशासन कुछ नहीं करता, हम कोर्ट आते रहते हैं।

बेंच ने कहा कि भाषण में कहा गया है ‘अगर जरूरत पड़ी, तो हम उनका गला काट देंगे!’ … सिब्बल ने कहा, हां, वे और टीम! वे पार्टी के सांसद हैं। सिब्बल ने कोर्ट को अन्य घटनाओं की जानकारी दी। कहा कि हम क्या करें? मौन रहना ही कोई उत्तर नहीं है, हमारी और से नहीं, अदालत की और से नहीं! हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक SIT की आवश्यकता है कि यह फिर दोहराया न जाए!

बेंच ने आगे कहा कि क्या मुसलमान भी हेट स्पीच रहे हैं? सिब्बल ने कहा, नहीं! अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें समान रूप से हेट स्पीच नहीं देनी चाहिए। बेंच ने कहा कि यह 21वीं सदी है, हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं!

जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा ‘ये बयान बहुत परेशान करने वाले हैं। एक देश जो लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है। आप कह रहे हैं कि IPC में कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन, यह शिकायत एक समुदाय के खिलाफ है। कोर्ट को ऐसा नहीं देखना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि इन आयोजनों में पुलिस अधिकारी भी नहीं होते हैं और 9 अक्टूबर को भी ऐसा ही हुआ।