यहां मतदाता करते चिंता, गोपाल घर में रहते हैं बेफिक्र…
मध्यप्रदेश में वैसे तो सभी प्रत्याशी जीत के दावों के बीच चुनाव परिणाम के लिए 3 दिसंबर का इंतजार कर रहे हैं। पर इस बार भी प्रदेश के वरिष्ठतम विधायक गोपाल भार्गव और रहली विधानसभा सीट चर्चा में है। वजह वही है कि पांचों साल जनता की सेवा और विधानसभा के विकास को तत्पर गोपाल चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए घर से बाहर नहीं गए। सेवा पर भरोसा हो तो पंडित गोपाल भार्गव जैसा। वह पिछले तीन विधानसभा चुनावों से ऐसा ही कर रहे हैं। शायद लोकतंत्र में जनसेवक का यह आदर्श उदाहरण है। हालांकि उनकी सेवा और विकास के साथ पुत्र अभिषेक भार्गव का भी रहली विधानसभा में जन-जन और घर-घर से जुड़ाव और सेवाभाव भी पंडित गोपाल भार्गव की निश्चिंतता की बड़ी वजह है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पर रहली विधानसभा सीट एक बार फिर चर्चा में है क्योंकि यहां से लगातार आठ बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके गोपाल भार्गव ने एक बार फिर मिसाल पेश की है। पिछले तीन चुनाव से जहां वह वोट मांगने गांव-गांव नहीं जाते और घर बैठकर ही चुनाव लड़ते हैं। उल्टे गांव-गांव से लोग आकर अपने प्रिय विधायक को आश्वस्त करते हैं कि भैया आपने पांच साल चिंता की है, अब हमारी बारी है। आपको वोट मांगने की जरूरत नहीं, आपको वोट देना हमारा हक है। यहां तक कि इस बार उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में किसी भी बड़े नेता की सभा नहीं कराई। पार्टी के रणनीतिकार पूछते रहे कि आपको किसी की सभा चाहिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया। और यह भी कहा कि आप जहां कमजोर सीटें हैं, वहां स्टार प्रचारकों और बड़े नेताओं को भेज दीजिए। रहली विधानसभा में तो जनता की सभा चल रही है।
यही नहीं बल्कि पार्टी के निर्देश पर वह खुद दूसरी विधानसभा सीट पर प्रचार करने भी गए। खंडवा में भी उन्होंने सभाएं ली और आसपास की विधानसभा क्षेत्र में भी वह बैठकें करने जाते रहे। यही नहीं पूरे विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार अभियान शांतिपूर्वक चलता रहा और भैया को नौवीं बार रिकार्ड मतों से जिताने का जिम्मा जनता ने ले लिया। रहली विधानसभा के मतदाताओं का दावा है कि सागर जिले में सर्वाधिक मतों से पंडित गोपाल भार्गव ही जीतेंगे। स्थानीय लोगों का मानना है कि रहली विधानसभा क्षेत्र में कहीं पैसा, शराब या गिफ्ट बांटने की चर्चा भी नहीं हुई जबकि आसपास के क्षेत्र में ऐसी चर्चाएं मतदान के दिन तक चलती रहीं। बल्कि क्षेत्र के लोगों का बड़ा आरोप यह भी है कि आसपास के नेता भार्गव को हराने के लिए भारी पैसा भेजते हैं और जाति आधार पर भैया के खिलाफ बरगालते हैं अन्यथा भैया सभी विरोधी उम्मीदवारों की जमानत जप्त करने की क्षमता रखते हैं। स्थानीय मतदाताओं की नजर में एक ही बात है कि “भार्गव जैसा कोई नहीं”।
40 साल के सार्वजनिक जीवन में कोई दाग न होना भी पंडित गोपाल भार्गव का एक रिकॉर्ड है। गोपाल भार्गव क्षेत्र में 40 सालों से सहज मुलाकात, सीधी बात के लिए जाने जाते हैं। हर बार की तरह इस बार भी एक ही नारा लगा “जिसका कोई न पूछे हाल उसका साथी है गोपाल”।
इस विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन पूरे समय गोपाल भार्गव घर पर रहे और शाम 5:30 बजे स्कूटी से वोट डालने निकले। भाजपा के हर बूथ पर 51 फीसदी वोट हासिल करने के लक्ष्य पर पंडित गोपाल भार्गव खरा उतर रहे हैं। पिछले चुनावों में भी वह हमेशा 51 फीसदी से ज्यादा मत पाकर जीत का रिकॉर्ड बनाते रहे हैं। ऐसे में औसतन 51 फीसदी से ज्यादा मत पाकर जीतने में उनकी बराबरी अन्य राजनेताओं के लिए सहज नहीं है। पर पंडित गोपाल भार्गव के लिए यह कठिन नहीं है। जनसेवा और क्षेत्र के विकास के लिए समर्पण भाव की बात करें तो पंडित गोपाल भार्गव और पुत्र अभिषेक भार्गव एक-दूसरे पर ही भारी नजर आते हैं। यही वजह है कि पुत्र अभिषेक मैदान में रहते हैं तो पिता पंडित गोपाल भार्गव बेफिक्र रहते हैं। और अभिषेक से भी अधिक चिंता रहली विधानसभा में मतदाता ही करते हैं और नौवीं बार जीत का रिकॉर्ड बनाने की तरफ अग्रसर पंडित गोपाल भार्गव पिछले तीन चुनावों से घर पर बेफिक्री से समय गुजारते हैं…।