High Court Reprimands 2015 Batch IAS Officer in MP: नमामि गंगे प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को लेकर हाई कोर्ट ने IAS अधिकारी को फटकारा!

जानिए क्या है पूरा मामला

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High Court Reprimands 2015 Batch IAS Officer in MP

High Court Reprimands 2015 Batch IAS Officer in MP: नमामि गंगे प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को लेकर हाई कोर्ट ने IAS अधिकारी को फटकारा!

ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार और सॉलिड वेस्ट व वाटर ड्रेनेज से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए युगल पीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने आयुक्त नगर निगम हर्ष सिंह को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आपने नमामि गंगे योजना के अंतर्गत स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार के लिए 625.18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया है।आपको इस बात की जानकारी तो होगी कि क्या प्रस्ताव भेज रहे हो और इसमें क्या स्वीकृत होगा? आप आला अधिकारी हैं यह नहीं पता कि कोई प्रस्ताव कैसे बनाया जाता है?

कोर्ट ने कहा कि 599 करोड़ रुपये सिर्फ सीवरेज और वाटर ड्रेनेज प्रोजेक्ट के लिए हैं, जिनका नमामि गंगे से कोई लेना देना ही नहीं है। जिस स्वर्ण रेखा नदी का पुनरुद्धार किया जाना है, उसके लिए सिर्फ 27 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। देखिये, मैं इस मामले को लेकर बहुत गंभीर हूं, एक नदी देखते ही देखते नाले में बदल गई तो आप सभी को भी गंभीर होना पड़ेगा। सुनवाई के दौरान जस्टिस आर्या ने नगर निगम आयुक्त को जमकर लताड़ा। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार के लिए कितना फंड देना है, इसको लेकर जब आयुक्त स्थिति स्पष्ट नहीं कर सके तब हाई कोर्ट ने पूछा कि स्वर्ण रेखा के लिए कितना पैसा चाहिए तो इसका भी कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं दे पाए, जिस पर हाई कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में कितना फंड स्वीकृत होना है और प्रक्रिया कहां तक पहुंची है, इसकी पूरी जानकारी लेकर अगली तारीख में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के सभी जिम्मेदार अधिकारी हाई कोर्ट में मौजूद रहें। इस मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।

बता दें कि हर्ष सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2015 बैच के IAS अधिकारी हैं और अप्रैल 2023 से ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर के रूप में पदस्थ हैं।

इसी जनहित याचिका के साथ सीवर लाइन से जुडी जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई । हाईकोर्ट ने कहा कि कहानी नहीं क्या प्लान है आप तो वह बताओ। इस पर प्रशासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि 40 साल पुरानी पाइप लाइन हैं , ब्लाकिंग से समस्या का समाधान तब तक नहीं होगा जब तक जलालपुर से फ्रेश लाइन को जोड नहीं दिया जाता । इस पर जस्टिस आर्या ने पूछा कि कितना समय लगेगा इसमें तो उन्होंने कहा कि दो साल का प्रोजेक्ट है । जिसमें तल्ख टिप्पणी करते हुए जस्टिस आर्या ने कहा कि 2 साल तक क्या करेंगे आप, चीफ सेक्रेटरी से फंड ही लेते रहेंगे ? 6 महीन में तो आप फंड ले नहीं पाए।