High Court Summoned Collector : 2 लिपिकों की मनमानी के खिलाफ हाई कोर्ट ने कलेक्टर को 10 दिन में तलब किया!

दो लिपिकों की कार्यप्रणाली के खिलाफ मामला दर्ज किया गया!

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High Court Summoned Collector : 2 लिपिकों की मनमानी के खिलाफ हाई कोर्ट ने कलेक्टर को 10 दिन में तलब किया!

 

Jabalpur : दो लिपिकों की मनमानी को लेकर हाई कोर्ट ने रीवा कलेक्टर को 10 दिन में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश एक वकील की याचिका पर दिए गए। सिरमौर स्थित एसडीएम एंव तहसील कार्यालय में सरकार की आंख पर धूल झोंककर काम कर रहे कथित भ्रष्ट लिपिक कलेक्टर की गले का फांस बन गए। हाई कोर्ट के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर रीवा को 10 दिन के अंदर न्यायालय में स्वतः उपस्थित होने का आदेश जारी किया है।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि क्यों न इस प्रकरण को लोकायुक्त को कार्यवाही किए जाने के लिए प्रस्तावित किया जाए। जबलपुर हाई कोर्ट में अपील करने वाले वकील राजेश सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने उनके द्वारा किए अपील (डब्लू पी 80-90/2024) में 5 अप्रैल 2024 को सुनवाई के बाद निर्णय लिया है।

अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि सिरमौर तहसील कार्यालय से लेकर एसडीएम कार्यालय तक में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है। एसडीएम कार्यालय में भ्रष्ट लिपित सत्येंद्र सिंह एवं तहसील कार्यालय में भी भ्रष्ट लिपिक राजेश पांडेय बैठे हुए है। बताया गया कि दोनो ही लिपिकों के भ्रष्टाचारी होने की वजह से तत्कालीन कलेक्टर एम गीता ने एसडीएम सिरमौर की जांच उपरांत दोषी पाये जाने पर अपने आदेश क्रमांक 195/09 एवं 196/09 में नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, उसके बाद भी दोनो शासन की आंखो में धूल झोंक कर एक तहसील कार्यालय में तो दूसरा एसडीएम कार्यालय में बैठे है। इतना ही नही दोनो ही बर्खास्तशुदा लिपिक 2009 से सरकार से वेतन भी उठा रहे है।

अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि दोनो ही भ्रष्ट लिपिक तत्कालीन कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके थे। लेकिन, हाईकोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर के आदेश को यथावत रखने का आदेश दिया था। उसके बावजूद भी दोनो का राजस्व कार्यालय में कार्यरत रहना तत्कालीन कलेक्टर के 22 अगस्त 2009 के बर्खास्तगी के आदेश को ठेंगा दिखाया है।

अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि इस संबंध में सिरमौर से लेकर रीवा बैठे कलेक्टर तक के दरवाजे खटखटाए, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला। एसडीएम एवं तहसील कार्यालय में बैठकर राजस्व प्रकरणों में लूट एवं शासन की आंखो में धूल झोंककर वेतन लेकर इठलाते है। मजबून न्याय के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।