How Pushyamitra Bhargava’s Name Got Finalized : आसान नहीं थी, पुष्यमित्र भार्गव के नाम पर सबकी सहमति

अंतिम लिस्ट तीन नामों की बनी, जिस पर लंबी जद्दोजहद चली

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Bhopal : लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर भाजपा ने इंदौर से अपना महापौर उम्मीदवार तय कर लिया। यह होंगे पुष्यमित्र भार्गव जो इंदौर हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता थे। लेकिन, इनके नाम पर सहमति होना आसान नहीं था। क्योंकि, सामान्य वर्ग की इस सीट पर भाजपा के पास कोई सर्वमान्य और लोकप्रिय चेहरा नहीं था। पुष्यमित्र भार्गव भी संजय शुक्ला के मुकाबले उतने लोकप्रिय उम्मीदवार तो नहीं है, लेकिन उनकी ताकत पूरी तरह भाजपा पर केंद्रित है। पुष्यमित्र भार्गव ने आज अपने अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद से इस्तीफ़ा दे दिया और इसके साथ ही उनकी राह भी आसान हो गई!
पुष्यमित्र भार्गव का नाम फ़ाइनल होने से पहले लंबी भागदौड़ हुई। क्योंकि, भाजपा के सर्वे में जिन नेताओं के नाम सामने आए थे उस आधार पर सबसे ऊपर इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-2 के विधायक रमेश मेंदोला का नाम था। लेकिन, उनका नाम भाजपा के ‘एक आदमी एक पद’ के क्राइटेरिया के कारण आगे नहीं बढ़ सका। मुख्यमंत्री ने इसके लिए कोशिश भी पूरी की। लेकिन, किसी एक उम्मीदवार के लिए पार्टी अपना नीतिगत फैसला बदलने पर राजी नहीं हुई। उसके बाद चुनाव समिति के बीच राजनीतिक मंथन का लम्बा दौर चला। लेकिन, मीटिंग पर मीटिंग के बावजूद कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल सका।
इसके बाद मुख्यमंत्री चाहते थे कि डॉ निशांत खरे को इंदौर से उम्मीदवार बनाया जाए। सोमवार देर रात करीब-करीब तय मान लिया गया था कि डॉ निशांत खरे ही भाजपा के उम्मीदवार होंगे। लेकिन, भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने निशांत खरे को नॉन पॉलिटिकल फेस बताकर उनके नाम की घोषणा को रोक दिया।

इसके बाद सोमवार देर रात अचानक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ सचिन शर्मा को सीएम हाउस बुलावा आया। उन्हें तत्काल भोपाल आने को कहा गया। आनन-फानन में वे भोपाल पहुंचे और सुबह मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात भी हुई। मुख्यमंत्री के बाद डॉ शर्मा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी मिले। इसके बाद ये समझा जाने लगा कि कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार के सामने भाजपा भी ब्राह्मण को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाएगी।
इसके बाद इंदौर के सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं जिसमें सभी विधायक, सांसद, पूर्व विधायकों को भोपाल बुलाकर वन-टू-वन चर्चा की गई। इनके सामने तीन नाम सामने रखकर रायशुमारी की गई। इसमें भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, पुष्यमित्र भार्गव और डॉ सचिन शर्मा नाम था। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि अंत में फैसला पुष्यमित्र भार्गव के नाम पर हुआ। क्योंकि, सचिन शर्मा आज की राजनीति में पूरी तरह अपरिचित चेहरा है और गौरव रणदिवे के नाम पर ज्यादातर नेता सहमत नहीं थे।
ऐसी स्थिति में पुष्यमित्र भार्गव का नाम होना तय था और वही हुआ। वैसे पुष्यमित्र भार्गव के नाम का सबसे पहले प्रस्ताव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने रखा था। लेकिन, उस समय इस नाम को इतना गंभीरता से नहीं लिया गया। लेकिन, भाजपा की सबसे पहली कोशिश थी कि किसी ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया जाए जो कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला का मुकाबला कर सके। अब देखना यह है पुष्यमित्र भार्गव संजय शुक्ला के सामने कहां बैठते हैं।

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