IAS Wrote a Book on Film Actors : इंदौर में पदस्थ IAS अधिकारी ने फिल्म कलाकारों पर किताब लिखी!
Indore : अर्थशास्त्र का कोई जानकार फिल्मों पर पूरी शिद्दत से कोई किताब लिखे, तो ये मान लिया जाना चाहिए कि ये विषय उसकी गहरी रूचि से जुड़ा है। अपनी इस रूचि को IAS अधिकारी डॉ अभय बेडेकर ने साबित भी कर दिया। उन्होंने फिल्म कलाकारों पर केंद्रित 200 पन्नों की पूरी किताब ‘सिने सितारे’ लिख दी। इससे यह साबित हो गया कि वे सिर्फ फिल्म देखने के ही शौकीन नहीं, बल्कि फिल्म कलाकारों को भी वे बारीकी से जानते हैं। विमोचन से पहले ही उनकी किताब ‘सिने सितारे’ चर्चा में है। फिल्म कलाकार राजा बुंदेला ने किताब की प्रस्तावना लिखी है। साथ ही आशुतोष राणा और सीनियर आईएएस अधिकारी रहे और वर्तमान में मुख्यमंत्री के ओएसडी आनंद शर्मा ने किताब के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की है।
इंदौर जैसे बड़े शहर में एडिशनल कलेक्टर (ADM) की व्यस्त जिम्मेदारी निभाते हुए लिखने के लिए समय निकाल पाना आसान बात नहीं है। लेकिन, डॉ अभय बेडेकर ने जिस तरह 51 फिल्म कलाकारों के करियर और निजी जीवन पर आधारित यह किताब लिखी, वो अपने आप में अनोखा संकलन है। सौ साल से ज्यादा पुरानी फ़िल्मी दुनिया के इन चुनिंदा कलाकारों में ब्लैक एंड व्हाइट के दौर से लगाकर आज तक के कलाकार हैं। इस किताब का संपादन वरिष्ठ पत्रकार, फिल्म समीक्षक और ‘मीडियावाला’ के संपादक हेमंत पाल ने किया है। इसका प्रकाशन यशराज पब्लिकेशन के यश भूषण जैन ने किया है।
डॉ बेडेकर ने फिल्म कलाकारों पर सिर्फ लिखा ही नहीं, उनके बारे में अपने विचार भी व्यक्त किए है। इससे लगता है कि वे सिर्फ अर्थशास्त्र को ही नहीं समझते, फिल्मों और कलाकारों को भी उतनी अच्छी तरह से जानते हैं। उनकी यह किताब फिल्म कलाकारों के बारे में एक प्रामाणिक दस्तावेज की तरह है। उन्होंने कई फिल्म कलाकारों के बारे में बहुत सी ऐसी नई जानकारी दी है, जो इससे पहले कभी सामने नहीं आई।
डॉ अभय बेडेकर ने अर्थशास्त्र जैसे गूढ़ विषय में डॉक्टरेट किया है। अर्थशास्त्र पर उनकी एक किताब प्रकाशित भी हो चुकी है और दूसरी प्रकाशन की स्थिति में है। वे कॉलेज जीवन से ही वाद-विवाद स्पर्धाओं में भाग लेते रहे हैं। स्कूल और कॉलेज में निबंध लेखन की कई स्पर्धाओं में पुरस्कृत भी हुए। वाद-विवाद स्पर्धाओं में भी कॉलेज स्तर की कई स्पर्धाओं में हिस्सेदारी ली और उन्हें पुरस्कार मिला। बनारस में मानव अधिकार दिवस पर आयोजित अखिल भारतीय वाद विवाद स्पर्धा के भी वे विजेता रहे। भोपाल यूनिवर्सिटी के जरिए कई यूथ फेस्टिवल में भी उन्होंने भाग लिया।
अच्छे वक्ता होने के साथ वे लंबे अरसे से कहानी, लघुकथा, गजल, मुक्तक के अलावा और भी बहुत कुछ लिखते रहे हैं। फिल्म देखने के वे शुरू से ही शौकीन रहे और कॉलेज लाइफ में हर फिल्म देखने की उनकी आदत इस किताब के लिए एक तरह से प्रेरणा बनी। फिल्मी गीत सुनने और उन्हें याद रखने की उन्हें इतनी आदत है, कि अंताक्षरी में कभी न हारने का भी उनका रिकॉर्ड रहा है।