भंवरलाल नहीं मोहम्मद ही होता, तब भी दिनेश कुशवाह दरिंदा ही माना जाता…

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भंवरलाल नहीं मोहम्मद ही होता, तब भी दिनेश कुशवाह दरिंदा ही माना जाता...
रतलाम के भंवरलाल की मनासा में मोहम्मद समझकर की गई पिटाई और बाद में उस बुजुर्ग की मौत ने कहीं न कहीं हमें शर्मसार होने पर मजबूर किया है। यह बुजुर्ग मोहम्मद ही होते, तब भी दिनेश दरिंदा ही साबित होता, जिस तरह अभी हो रहा है। हालांकि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी कर ली है, लेकिन यह घटना अपने पीछे सैकडों सवाल छोड़कर आइना दिखा रही है। कह रही है कि ऐसे दरिंदों की किसी भी समाज में कोई जगह नहीं है। इन्हें तो वास्तव में कठोरतम सजा से दंडित होना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी सोच वाले दरिंदे सबक ले सकें और गलत राह पर चलने का दुस्साहस न कर सकें।
पहले घटना की चर्चा करें तो नीमच जिले के मनासा में बुजुर्ग भंवरलाल चत्तर नाम के शख्स की संदिग्ध मौत हो गई। वह रतलाम के सरसी गांव के थे। परिवार के साथ धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने चित्तौड़गढ़ गए भंवरलाल वहां से लापता हो गए थे। मनासा में उनका शव गुरुवार शाम मिला। इस मामले में मृतक के परिजनों ने हत्या की आशंका जताई, क्योंकि उनके साथ हुई मारपीट का एक वीडियो सामने आ गया। वीडियो में जो व्यक्ति, बुजुर्ग भंवरलाल के साथ मारपीट कर रहा है वह मनासा का भाजपा नेता दिनेश कुशवाह है।
old man beaten death on suspicion being muslim in manasa video viral |  मुसलमान होने के शक में की गई पिटाई का वीडियो वायरल, अगले दिन मिला बुजुर्ग  का शव, पूर्व पार्षद
वीडियो में दिख रहा है कि दिनेश भंवरलाल से बार-बार आधार कार्ड दिखाने को कहता है और हर बार पीटता जाता है। वह बुजुर्ग से कहता है- तेरा नाम क्या मोहम्मद है? जावरा से आया है? चल तेरा आधार कार्ड दिखा। वह कार्ड दिखा पाता, इस बीच दिनेश बेरहमी से मारपीट जारी रखता है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसका मकान तोड़ने पहुंचे बुलडोजर को वापस बुलाया गया, क्योंकि मकान उसके पिता के नाम दर्ज था। वैसे इस बात का ख्याल दिनेश की तरह ही दूसरे उन सभी मामलों में भी रखना चाहिए, जिनमें नालायक बेटों की करनी का खामियाजा पिता को जीवन भर की कमाई का मकान गंवाकर चुकानी पड़ती है। हो सकता है पुलिस यह ख्याल रखती भी हो?
फिलहाल बात भंवरलाल की मौत की करें, तो मानवीय संवेदनाओं से भरे हर मानव का यह वीडियो देखकर खून खौल उठेगा। अगर नैतिकता और संस्कारों की बात करें तो किसी भी बुजुर्ग पर इस तरह हाथ उठाने का दुस्साहस कोई राक्षस, गैर संस्कारी और अनैतिकता से भरा व्यक्ति ही कर सकता है। यहां कोई दलीय टिप्पणी उचित नहीं है, क्योंकि ऐसे दरिंदों का कोई दल नहीं होता, कोई जाति नहीं होती, कोई ईमान नहीं होता और कोई धर्म नहीं होता। यह शेर की खाल ओढ़कर अपनी पहचान छिपाने वाले वह भेड़िए होते हैं, जो यत्र, तत्र और सर्वत्र विद्यमान हैं।
कई बार ऐसे घृणित वीडियो वायरल होते हैं। जैसे कुछ समय पहले एक बच्ची को पीटते एक दरिंदे का वीडियो वायरल हुआ था। उसे देखकर भी ऐसा लगा था कि दरिंदे को चौराहे पर खड़ा कर गोली मार देनी चाहिए। वह जिस निर्ममता से अबोध बालिका की पिटाई कर रहा था, उसे देखकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का कलेजा फट जाता। यह किसी राज्य विशेष की बात नहीं है और किसी स्थान विशेष की बात नहीं है। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद कुछ ऐसे ही घृणित वीडियो और दुर्घटनाओं का खुलासा वहां हुआ था। दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे लोग ऐसी कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आने से पहले तक पुलिस की निगाह में नहीं आ पाते।
या फिर दलीय आवरण में खुद को छिपाए रखने में सफल हो जाते हैं। ऐसे असुरों का खात्मा बड़े स्तर पर होना चाहिए, ताकि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से किसी को भी शर्मसार न होना पड़े। ऐसे दरिंदे वास्तव में दुनिया में रहने के हकदार नहीं है। और माफी के काबिल भी नहीं हैं। भले ही दया, करुणा और प्रेम, भाईचारे के वशीभूत हो इनके प्रति भी दया और माफी के पक्षधर कई चेहरे अपने विचारों का प्रकटीकरण करते दिखें, लेकिन इनका हिंसक, बर्बर और घृणित चेहरा इन्हें कठोरतम फांसी जैसी सजा का हकदार ही साबित करता है। इस मामले में भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर जल्दी फैसला देकर सजा दी जानी चाहिए, ताकि एक नजीर पेश हो सके।