50 लाख नहीं दिए तो बना दिया स्मेक का फर्जी केस! न्यायालय के आदेश के बाद मंदसौर जिले के TI, SI, 3 ASI और 2 आरक्षकों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

फर्जी कार्रवाई को लेकर 5 माह पूर्व भी यूपी में दर्ज हो चुका है मंदसौर पुलिस के 7 अधिकारियों के खिलाफ केस

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50 लाख नहीं दिए तो बना दिया स्मेक का फर्जी केस! न्यायालय के आदेश के बाद मंदसौर जिले के TI, SI, 3 ASI और 2 आरक्षकों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। जिले के पुलिस अधिकारियों पर एक बार फिर एनडीपीएस एक्ट में फर्जी केस बनाने, बेगुनाह को फसाने, 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। न्यायालय के आदेश के बाद राजस्थान के प्रतापगढ जिले के हतुनिया पुलिस थाने में इन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इन पुलिस अधिकारियों के साथ हथुनिया पुलिस थाने का अधिकारी भी शामिल था, इस कारण पुलिस कार्रवाई नही कर रही थी। लेकिन बाद में जिस युवक को फर्जी फसाया उसकी बहन ने प्रतापगढ़ न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया, न्यायालय के आदेश के बाद हथुनिया पुलिस ने मामला दर्ज किया।

मामले के आरोपियों में 1 टीआई, 1 एसआई, 3 एएसआई व 2 आरक्षक शामिल है। आरोप है कि अधिकारियों एक खाली ट्रक को पकड़कर मंदसौर जिले के पिपलियामंडी में कनघट्टी मार्ग खोखरा के निकट खड़ा कर उसमें मादक पदार्थ रखकर फर्जी केस बना दिया।

उल्लेखनीय है कि पिपलियामंडी पुलिस ने दिनांक 28 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12.20 बजे ट्रक में डेढ़ किलो स्मेक बरामद होने का केस बनाया था।

टीआई ने 50 लाख रुपए मांगे, नहीं दिए तो बना दिया फर्जी केस

हथुनिया निवासी फिजा पिता छोटे खां मेवाती ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतापगढ़ के समक्ष अधिवक्ता के जरिये रिपोर्ट पेश की। शिकायत में बताया 25 अक्टूबर 2022 को रात्रि 11.30 बजे स्कार्पियो में सवार होकर नारायणगढ़ थाना प्रभारी जितेन्द्रसिंह सिसोदिया, एएसआई संजयप्रताप, मंदसौर सिटी कोतवाली में पदस्थ आरक्षक अमित मिश्रा आए, इनके साथ हथुनिया थानाधिकारी शम्भूसिंह भी थे। सभी बिना सर्च वारंट के ही घर में घुस गए और घर का सारा सामान बिखेर दिया, महिलाओं से गाली-गलौज की व अभद्र व्यवहार किया। जब घर आने का कारण पूछा तो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तुम्हारे पिता छोटे खां व भाई आसिफ ने डोडियामीना निवासी राहुल पिता कचरुलाल मोगिया को जो ट्रक (आरजे 09 जीडी 0063) बेचा था, उसे जावरा जिला रतलाम से पकड़कर पिपलियामंडी में रखा है। तुम्हारे भाई आसीफ व ड्राइवर भगवतीलाल को भी थाने पर बिठा रखा है। अधिकारियों ने पिपलिया मंडी थाने में बैठे मेरे भाई से वीडियो कॉल पर भी बात कराई और बोले की मामला रफा-दफा करना हो तो तेरे पिता से बोल देना 50 लाख रुपए लेकर मेरे पास आए, अन्यथा एनडीपीएस एक्ट में केस में फसा दूँगा। हमारे पास रुपयों की व्यवस्था नही थी। इस कारण पुलिस ने 3 दिन बाद मेरे भाई का झूठा एनडीपीएस एक्ट का केस बना दिया।

बहन जेल मिलने गई तब बताई भाई ने पुलिस की फर्जी कहानी

परिवादी फिजा ने बताया कि भाई आसीफ के खिलाफ फर्जी कार्रवाई की थी, उसके बाद मेरा भाई मंदसौर जेल में बंद है। मैं जब मेरे भाई से जेल में मिलने गई तो उसने मुझे बताया कि 25 अक्टूबर 2022 को एक सफेद रंग की स्कार्पियो (एमपी 09 बीसी 5500) में सवार होकर साइबर सेल के एएसआई भरत चावड़ा, एएसआई अर्जुनसिंह, पिपलियामंडी थाने के एसआई राकेश चौधरी, आरक्षक जितेन्द्र मलोद आए। जावरा के निकट ट्रक को रोका, मुझे व ड्राइवर भगवतीलाल को पकड़ा और पिपलियामंडी थाने लाकर हमारे साथ मारपीट की व कहा कि छूटना हो तो तुम्हारे घर वालों से 50 लाख रुपए की व्यवस्था करवा दो। रुपए नहीं मिले तो तीन दिन बाद हमारे खिलाफ फर्जी केस बना दिया।

जीपीएस से खुली पोल, टोल को बचाने के लिए बदला रास्ता, पुलिस की फर्जी कार्रवाई का खुलासा

चूंकि ट्रक में जीपीएस लगा हुआ था। इस कारण पुलिस की फर्जी कार्रवाई का भंडाफोड़ हो गया। जीपीएस के अनुसार पुलिस ने जावरा से ट्रक को पकड़ा। चूंकि अगर ट्रक को टोल से होकर ले जाते तो ट्रक वहां लगे सीसीटीवी में कैद हो जाती। इस कारण पुलिस ने हुसेन टेकरी के यहां ट्रक को रोका, टोल होने के कारण पुलिस ने रास्ता बदला और सीतामउ मार्ग की ओर ट्रक को ले गए, वहां से ट्रक को ग्रामीण क्षेत्र में होते हुए (जहां टोल नहीं लगा था) लेकर नयाखेड़ा के यहां लाए, उसके बाद उसे पिपलिया मंडी लेकर आए उसके बाद पिपलिया मंडी थाने पर रखा और बाद में उसे खोखरा वेयर हाउस ले गए, जहां उसमें मादक पदार्थ रखा। ट्रक की तलाशी ली, जिसमें उन्हें जीपीएस दिखा तो उसे वहां काट दिया और साथ ले गए, जीपीएस की लोकेशन खोखरा तक ही थी।

एसपी को भी की शिकायत लेकिन नहीं मिला न्याय

परिवादिया फिजा ने न्यायालय में दायर किए वाद में बताया कि उसने इस संबंध में प्रतापगढ़ जिला पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत की। घर पर लगे सीसीटीवी केमरे के वीडियो, जीपीएस की वीडियो पेन ड्राइव में दी व पुलिस अधिकारियों पर 50 लाख रुपए मांगने की बात बताई। लेकिन फिर भी अधिकारियों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

न्यायालय के आदेश के बाद दर्ज हुआ मामला

आरोपी की बहन फिजा ने पुलिस अधीक्षक को की शिकायत के बाद न्याय नहीं मिलने पर जिला एवं सेशन न्यायालय प्रतापगढ़ के समक्ष अपने अधिवक्ता के माध्यम से सबूत सहित शिकायत की। न्यायालय के आदेश के बाद हथुनिया थाना पुलिस ने फर्जी कार्रवाई कर रुपए मांगने वाले नारायणगढ़ थाने के प्रभारी जितेन्द्रसिंह सिसोदिया, एसआई संजयप्रतापसिंह, एएसआई अर्जुनसिंह, पिपलियामंडी थाने के एसआई राकेश चोधरी, साइबर सेल के एएसआई भरत चावड़ा, सिटी कोतवाली मंदसौर के आरक्षक अमित मिश्रा, जितेन्द्र मालोत के खिलाफ विभिन्न धाराओं 330, 451, 343, 365, 384, 389, 506/120 बी में केस दर्ज किया है।

फर्जी कार्रवाइयां लगातार जारी, कुछ माह पूर्व यूपी में भी दर्ज हो चुका है केस

मंदसौर जिले में एनडीपीएस एक्ट प्रकरणों में फर्जी कार्रवाइयां कर रिश्वतखोरी का यह मामला नया नहीं है। कई बार पुलिसकर्मी फर्जी कार्रवाइयां करने के दौरान पीटे भी गए है, वहीं इनके खिलाफ कुछ माह पूर्व ही यूपी में भी फर्जी कार्रवाई कर अवैध वसूली करने पर केस दर्ज हो चुका है। फिर भी यह अपनी आदतों से बाज नही आते है। नवम्बर 2022 में पुलिस मंदसौर पुलिस ने एक ट्रक मालिक श्रवण के खिलाफ 65 किलो अफीम का केस बनाया था। इस मामले में ट्रक मालिक की पत्नी श्यामा ने कार्रवाई को फर्जी बताते हुए आगरा कोर्ट में वाद दायर किया था, वहीं ट्रक को आगरा ( उत्तर प्रदेश ) से जब्त कर मंदसौर जिले में ले जाकर फर्जी कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने सबूत के आधार पर 2 जून 2023 में आगरा के एत्मादपुर थाने में मंदसौर जिले के एसआई राकेश चौधरी, एसआई वरसिंह कटारा, एएसआई भरत चावड़ा, एएसआई कन्हैयालाल यादव व प्रदीप सिंह तोमर, प्रधान आरक्षक अर्जुनसिंह, विनोदकुमार, नवाज, भानुप्रताप, जितेन्द्र टांक सहित 11 के खिलाफ तथा मुखबिरी करने वाले फिरोज पठान व जावेद शेख के खिलाफ भी केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। सभी आरोपियों के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज है।

प्रकरण दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करना संदेह के घेरे में

फर्जी कार्रवाईयों को लेकर शिकायत होने पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर न्यायालय के आदेश पर कार्रवाईयां हुई, इसके अलावा भी एनडीपीएस एक्ट के कई प्रकरणों में पुलिस द्वारा फर्जी कार्रवाई करने का मामला सामने आता है, लेकिन जिले व प्रदेश वरिष्ठ अधिकारी भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। वहीं जनप्रतिनिधि भी खामोश है। प्रकरण दर्ज होने के बाद आरोपी बने पुलिस अधिकारी थाने संभाल रहे हैं।