छोटे-छोटे छेद रिपेयर हो जाएं तो प्रदेश सुरक्षित और मालामाल हो जाएगा मोहन…
एक अच्छी कहानी पढ़ने को मिली। कहानी का शीर्षक है ‘कश्ती में छेद’। एक आदमी ने एक पेंटर को बुलाया अपने घर, और अपनी नाव दिखाकर कहा कि इसको पेंट कर दो। उस पेंटर ने पेंट लेकर उस नाव को लाल रंग से पेंट कर दिया जैसा कि नाव का मालिक चाहता था। फिर पेंटर ने अपने पैसे लिए और चला गया। अगले दिन, पेंटर के घर पर वह नाव का मालिक पहुँच गया, और उसने एक बहुत बड़ी धनराशी का चेक उस पेंटर को दिया। पेंटर भौंचक्का हो गया, और पूछा – ये किस बात के इतने पैसे हैं ? मेरे पैसे तो आपने कल ही दे दिया था। मालिक ने कहा – ये पेंट का पैसा नहीं है, बल्कि ये उस नाव में जो “छेद” था, उसको रिपेयर करने का पैसा है। पेंटर ने कहा – अरे साहब, वो तो एक छोटा सा छेद था, सो मैंने बंद कर दिया था। उस छोटे से छेद के लिए इतना पैसा मुझे, ठीक नहीं लग रहा है। मालिक ने कहा – दोस्त, तुम्हें पूरी बात पता नहीं। अच्छा में विस्तार से समझाता हूँ। जब मैंने तुम्हें पेंट के लिए कहा तो जल्दबाजी में तुम्हें ये बताना भूल गया कि नाव में एक छेद है उसको रिपेयर कर देना। और जब पेंट सूख गया, तो मेरे दोनों बच्चे उस नाव को समुद्र में लेकर नौकायन के लिए निकल गए। मैं उस वक़्त घर पर नहीं था, लेकिन जब लौट कर आया और अपनी पत्नी से ये सुना कि बच्चे नाव को लेकर नौकायन पर निकल गए हैं। तो मैं बदहवास हो गया। क्योंकि मुझे याद आया कि नाव में तो छेद है। मैं गिरता पड़ता भागा उस तरफ, जिधर मेरे प्यारे बच्चे गए थे। लेकिन थोड़ी दूर पर मुझे मेरे बच्चे दिख गए, जो सकुशल वापस आ रहे थे।अब मेरी ख़ुशी और प्रसन्नता का आलम तुम समझ सकते हो। फिर मैंने छेद चेक किया, तो पता चला कि, मुझे बिना बताये तुम उसको रिपेयर कर चुके हो। तो मेरे दोस्त उस महान कार्य के लिए तो ये पैसे भी बहुत थोड़े हैं। मेरी औकात नहीं कि उस कार्य के बदले तुम्हे ठीक ठाक पैसे दे पाऊं। यानि कि कहानी का सार यही है कि उस कश्ती की तरह ही मध्यप्रदेश की सरकारी व्यवस्था में भी छोटे-छोटे छेद हैं, जो सुधर गए, तो समझ लो कि पूरा मध्यप्रदेश सुरक्षित हो जाएगा। जिन छेदों को बिना भनक लगे सुधारने की दिशा में आप अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें सफलता मिल गई तो मानो मध्यप्रदेश की साढे आठ करोड़ जनता की जिंदगी संवर जाएगी। और मोहन युग की लकीर लंबी होने से कोई नहीं रोक पाएगा।
यह पढ़कर अच्छा महसूस हुआ कि चुनाव से समय मिलते ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अचानक पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली।अशोकनगर एसपी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए। थाना प्रभारी इछावर को प्रक्रिया अनुसार निलंबित करने के निर्देश दिए। सख्ती से सख्त मैसेज तो जाएगा, पर इसके लिए जरूरी है कि कश्ती के सब छेद बंद कर दिए जाएं। हर विभाग की कश्तियों में बहुत बड़े-बड़े छेद हैं। जिनकी रिपेयरिंग बहुत आसान नहीं है। चुनौती बढी है, पर लग रहा है कि प्रयास सही मन से हुए तो समय रहते मध्य-प्रदेश इससे पार पा जाएगा। जैसा कि अपराध नियंत्रण की ही बात है। पीएचक्यू पहुंचकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर अशोकनगर एसपी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। थाना प्रभारी इछावर को प्रक्रिया अनुसार निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।साथ ही संभाग स्तर पर कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों को सौंपे दायित्व की समीक्षा करने और उनकी भूमिका के संबंध में भी चर्चा की गई है। अपेक्षा की गई है कि पूरे प्रदेश में शांति और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए सभी तत्पर हों। गंभीर घटनाओं पर अधिकारी तत्काल कदम उठाएं। अपराधी को गिरफ्तार करना ही काफी नहीं है यदि वह आपराधिक पृष्ठभूमि का है तो पूरी विस्तृत पड़ताल कर सख्त कदम उठाए जाएं। पर फिर वही बात कि कानून व्यवस्था की नाव में जो छेद हैं, अगर वह भर गए तो अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश का बेहतर हो पाना मुमकिन है। जिस तरह दावा किया जा रहा है कि पिछले छह माह में अपराधों में 15 फीसदी की कमी आई है। इस दावे पर लगातार अमल होता रहे, यह जरूरी है। और अपराधों में कमी के नाम पर सरकार की आंख में धूल न झोंकी जाए।
बेहतर यही है कि सब जिम्मेदारों के मन में यह भाव पैदा हो जाए कि जहां भी व्यवस्था में कमी यानि कश्ती में छेद दिख रहा है, उसे बिना देर किए भर दिया जाए। सिर्फ इसका इंतजार न हो कि सरकार कहें तब ही नजरें इनायत हों। मामला चाहे स्वास्थ्य का हो, कानून व्यवस्था का हो, शिक्षा का हो या सड़क, बिजली और पानी का हो। यदि ऐसा हुआ तो सब छोटे-छोटे छेद रिपेयर हो जाएंगे। सारे छेद भर जाएंगे, तो मध्यप्रदेश मालामाल भी हो जाएगा और सुरक्षित भी…।