इंडियन शटलर (Indian Shuttlers) अब थमने वाले नहीं हैं

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इंडियन शटलर (Indian Shuttlers) अब थमने वाले नहीं हैं;

इंडियन प्रीमियर लीग के नशे में खोए हिंदुस्तानी खेल प्रेमी चौक उठे थे, जब 15 मई को 73 साल के इतिहास में भारत ने थामस कप जीतने की कामयाबी को छू लिया। साल 1983 में क्रिकेट की विश्व कप जीतने की उपलब्धि से यह किसी तरह छोटी उपलब्धि नहीं है, बल्कि उससे भी बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि की गूंज भारत के गांव- गांव, शहर- शहर जाना चाहिए। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश के धार जिले के प्रियांशु राजावत जो इंडियन बैडमिंटन टीम के सबसे छोटी आयु के सदस्य हैं, उल्लास से भरे हुए दिखे। एक बातचीत में उन्होंने बताया कि वे जीवन में इतना खुश कभी नहीं हुए। दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री मोदी से मिलने के बाद भोपाल और धार पहुंचने पर भी अभूतपूर्व स्वागत हुआ। भोपाल में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपने निवास पर बुलाकर सम्मानित किया और 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि उन्हें प्रदान की है।

भारत की चिड़िया पूरे संसार में उड़ रही है। हमारे शटलर बता चुके हैं कि बैडमिंटन में हम संसार में सबसे श्रेष्ठ हैं। हमने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है, जब 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया को शिकस्त दी। इसके पहले हम डेनमार्क को हराने की चुनौती स्वीकार कर चुके थे। डेनमार्क एक मजबूत टीम थी जिसमें दुनिया के उच्च रेंकिंग के खिलाड़ी शामिल थे। भारत ने कड़े मुकाबले में 3-2 से डेनमार्क को शिकस्त दी।

फाइनल में इंडोनेशिया को 3-0 से हरा दिया और स्वर्ण पदक हासिल किया। जहां तक इंडोनेशिया की बात है, वो तो सबसे मजबूत दावेदार के रूप में स्पर्धा में शामिल था, कोरिया, चीन और जापान को हराने के बाद इंडोनेशियन्स का मनोबल बढ़ा हुआ था। भारत के लक्ष्य, चिराग, स्वस्तिक, श्रीकांत और प्रियांशु ने शानदार प्रदर्शन से इतिहास रचने का कार्य किया । साल 1949 से थामस कप खेला जा रहा है। साल 2022 में भारत के पक्ष में ऐतिहासिक जीत दर्ज होने का संयोग लिखा हुआ था। अब तक भारत महिला बैडमिंटन में आगे रहा है। पुरूष बैडमिंटन में प्रकाश पादुकोण ने अलग स्थान जरूर बनाया है। अब आने वाले मुकाबलों में भी भारत को थामस कप जीतने से मिली ऊंचाई पर पहुंचने के बाद उसे कायम रखने की चुनौती है।

इंडियन शटलर अब थमने वाले नहीं हैं

थामस कप में मिली जीत असाधारण है। यह सच है कि खुद भारत के बैडमिंटन टीम के खिलाड़ी आश्वस्त नहीं थे कि हम फाइनल तक पहुंच पाएंगे लेकिन परिश्रम और टीमवर्क के साथ ही खिलाड़ियों के जज्बेल ने यह कामयाबी दिला ही दी। भारत पहली बार इस खेल में विश्व विजेता बना है। उम्मीदों का आकाश बहुत फैला हुआ है। विश्वास किया जा सकता है कि हमारे शटलर अब किसी से उन्नीस साबित नहीं होंगे। मध्यप्रदेश में भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी को मुख्यमंत्री ने डीएसपी बनाया। इसके पहले अन्य खेलों में अच्छा परफॉर्म करने वाले खिलाड़ी सरकारी सेवा में बड़े पदों पर लिए जा चुके हैं। यह खेलों और खिलाड़ियों दोनों का ही सम्मान है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान खेल प्रेमी मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने खेल विभाग के बजट में 5 गुना वृद्धि कर दी। अन्य खेलों के लिए अलग-अलग अकादमियां बना दीं। पुरुष हॉकी अकादमी के अलावा महिला हॉकी अकादमी भी मध्यप्रदेश में संचालित है। भारतीय महिला टीम के सदस्यों को प्रोत्साहन राशि देने और पुरुष हॉकी टीम के मध्य प्रदेश के खिलाड़ी विवेक सागर को डीएसपी के पद पर नियुक्ति जैसे निर्णय श्री चौहान ने लिए हैं । वरिष्ठ भारतीय खिलाड़ियों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। राज्य खेल मलखंभ के प्रोत्साहन के लिए प्रयास किए गए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनेक खेल प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के बीच पहुंचकर उनकी हौसला अफजाई की है। हाकी की बात करें तो भोपाल के ही श्री असलम शेर खान ने किसी दौर में हॉकी में बेहतरीन प्रदर्शन से दुनिया का ध्यान खींचा। इसी तरह श्रीमती सुनीता चंद्रा ने महिला हॉकी में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था।

टेनिस और बैडमिंटन के सुविधाजनक कोर्ट बनाए गए हैं। अलग-अलग शहरों में खेल स्टेडियमों के निर्माण की योजना मंजूर की गई। कबड्डी और खो-खो जैसे पारंपरिक भारतीय खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान किसी भी खेल में भारत के खिलाड़ियों की कामयाबी पर प्रसन्न और उत्साहित होते हैं। उनका बधाई संदेश खिलाड़ियों तक पहुंच जाता है। जिस तरह उन्होंने इस सप्ताह दक्षिण कोरिया के तीरंदाजी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने पर भारतीय टीम के खिलाड़ियों अभिषेक वर्मा, अमन सैनी और रजत चौहान को बधाई देने में देर नहीं की। खिलाड़ियों को भारतीयों से इसी तरह हौसला अफजाई की जरूरत है।