Indore Leopard Controversy : भागा तेंदुआ मादा था, पकड़ा गया नर कैसे हो गया!

लीपापोती के लिए दूसरे तेंदुए को पकड़ने का नाटक होने का संदेह  

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Indore Leopard Controversy

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Indore : बुरहानपुर से इंदौर के चिड़ियाघर में लाए गए 8 माह के तेंदुए के रहस्यमय ढंग से गायब (Mysterious Disappearance of Leopard) होने और अचानक मिलने को लेकर कई नई बातें सामने आ रही है।

कहा गया कि वन विभाग ने मंगलवार को शहर के नवरतन बाग इलाके से जो तेंदुआ पकड़ा गया वह नर है। जबकि, बुरहानपुर से मादा तेंदुए को लाया गया था। वन विभाग की इस कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इससे लगता है कि पूरे मामले को गोलमाल करने की कोशिश (Trying to Break the Whole Matter) हो रही है।

बुरहानपुर से सात दिन पहले इंदौर लाए गए तेंदुए के पिछले हफ्ते चिड़ियाघर से गायब होने से हड़कंप मच गया था। पांच दिन तक तलाश के बाद मंगलवार सुबह नवरतन बाग के वन विभाग के गेस्ट हाउस के पास (Near Forest Department Guest House) से तेंदुए को पकड़ा गया।

Indore Leopard Controversy : भागा तेंदुआ मादा था, पकड़ा गया नर कैसे हो गया!

बिना पिंजरे के उसे वाहन में बैठाकर चिड़ियाघर ले जाया गया। लेकिन, जिस तरह घटनाक्रम बताया गया, वो संदेह पैदा करता है। चिड़ियाघर को वन विभाग ने जो पत्र सौंपा था, उसमें तेंदुए के मादा तेंदुआ होने का ज़िक्र (The Mention of the Leopard Being a Female Leopard) किया गया था। जबकि, मंगलवार को जो तेंदुआ पकड़ा गया है, वह नर है। इस वजह से वन विभाग की कार्यवाही सवालों से घिर गई।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तेंदुए को पकड़ा गया था तब वेटरनरी डॉक्टर ने परीक्षण किया था। परीक्षण के आधार पर कहा था कि वह मादा हो सकता है। चूंकि, वह छोटा था और दूर से देखकर जांच की थी, इसलिए ऐसा कहा गया। दोनों तेंदुए के शरीर पर धब्बों के निशान एक जैसे हैं।

जो तेंदुआ पकड़ा गया है और जो गायब हुआ, दोनों समान है। इंदौर के चिड़ियाघर प्रभारी डॉ उत्तम यादव (Zoo in-charge Dr. Uttam Yadav) ने कहा कि वन विभाग ने हमें जो पत्र सौंपा था उसमें मादा तेंदुए का जिक्र था। जबकि, पकड़ा गया तेंदुआ नर है।

इन सवालों के जवाब नहीं

वाइल्ड लाइफ एसोसिएशन (Wildlife Association) के आजीवन सदस्य अजय कुमार जैन ने वन विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, जो इस प्रकार हैं : – चिड़ियाघर और नवरतन बाग की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। बुरहानपुर के फुटेज में स्पष्ट है कि तेंदुआ लकवाग्रस्त है। वह नवरतन बाग की आठ फीट ऊंची दीवार कैसे कूद सकता है!

– नवरतन बाग में अंदर जाने के लिए सिर्फ एक गेट है, जहां 24 घंटे गार्ड रहते हैं। यह कैसे संभव है कि तेंदुआ नवरतन बाग स्थित वन विभाग के परिसर में सरेंडर करें!

– चिड़ियाघर और वन विभाग के बीच घनी बसाहट भी है। यह कैसे संभव है कि चिड़ियाघर से निकला लकवाग्रस्त तेंदुआ नवरतन बाग में जाकर छिप जाएगा? रेसीडेंसी एरिया में अधिकारियों के बंगले हैं। तेंदुआ वहां भी तो छिप सकता था।

– चिड़ियाघर में तेंदुआ सुबह लाने को कहा गया था। प्रभारी अधिकारी ने स्टाफ को चिड़ियाघर में रुकने का बोला था, तब वे क्यों नहीं रुके!

– क्या तेंदुए के हैंडओवर, टेकओवर की कार्यवाही हुई थी? क्या चिड़ियाघर के पजेशन में तेंदुआ दिया गया था!
– चिड़ियाघर के स्टाफ ने रुकने की व्यवस्था की थी, तो वन विभाग का स्टाफ वहां रुका क्यों नहीं!
– जिस पिंजरे में बुरहानपुर से तेंदुए को लाए थे, क्या वह पूरी तरह से फिट था!

जांच की मांग

वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि 11 दिसंबर को समीक्षा करेंगे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इसी वजह से तेंदुए को जैसे-तैसे पकड़ लाए हैं। क्या मामले में खुद को सही साबित करने के लिए वन विभाग ने यह सब किया है। क्या वन मंत्री की नाराजगी से बचने के लिए पूरी पटकथा लिखी गई है!

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