Indore’s flag will wave again today : इंदौर का गीला कचरा भी गुणवत्ता वाला, अब इससे बनेगी बायोगैस

प्रधानमंत्री आज एशिया के सबसे बड़े CNG Plant का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे, CM भी मौजूद रहेंगे

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Indore : देश में स्वच्छता में सिरमौर बना इंदौर एक बार फिर से अपना परचम लहराने जा रहा है। कचरे से ऊर्जा बनाने की अकल्पनीय सोच (Incredible idea of ​​making energy from waste) को यहां धरातल में मूर्त रूप दे दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ की अवधारणा को साकार (Realizing the concept of Waste-to-Wealth) करने तथा गीले कचरे के निपटान के लिए 550 मैट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का बायो सीएनजी प्लांट (Bio CNG Plant of 550 Metric Tonnes Per Day Capacity) स्थापित किया गया है। इंदौर के गीले कचरे में मात्र 0.5 से 0.9% ही रिजेक्ट उपलब्ध (Only 0.5 to 0.9 percent reject available in wet waste) है, जो यूरोपीय देशों की तुलना में भी उच्च गुणवत्ता का है।

यह एशिया में जैविक अपशिष्ट से बायो सीएनजी (Bio CNG from organic waste) का सबसे बड़ा तथा देश का पहला प्लांट है। शहर के देवगुराडिया ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित इस बायो सीएनजी प्लांट (Bio CNG Plant Based on PPP Model) का शिलान्यास प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में 19 फरवरी दोपहर एक बजे वर्चुअली सम्पन्न होगा।

प्रस्तावित बायो सीएनजी प्लांट पीपीपी मॉडल पर आधारित (Bio CNG Plant Based on PPP Model) है। इस प्लांट की स्थापना पर जहां एक और नगर निगम को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा! वहीं, दूसरी और प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी आईईआईएसएल (Plant setting up agency IEISL) नई दिल्ली द्वारा नगर निगम इंदौर को प्रतिवर्ष 2.50 करोड़ रुपए प्रिमीयम के रूप में अदा करेगा। इस बायो सीएनजी प्लांट में प्रतिदिन 550 मैट्रिक टन गीले कचरे (Household organic waste) को उपचारित किया जाएगा, जिससे 17500 किलोग्राम बायो सीएनजी गैस तथा 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन (Production of organic compost) होगा।

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यह प्लांट जीरो इनर्ट मॉडल (Zero inert model) पर आधारित है, जहां किसी प्रकार का अनुपचारित वेस्ट नहीं निकलेगा। प्लांट से उत्पन्न होने वाली 17 हजार 500 किलोग्राम बायो सीएनजी में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इंदौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिए बाजार दर से 5 रुपए प्रति किलोग्राम कम दर पर उपलब्ध होगी। शेष 50% गैस विभिन्न उद्योग एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को विक्रय की जा सकेगी।

इंदौर का गीला कचरा भी उत्तम
कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि इंदौर नगर का वेस्ट सेग्रीगेशन उत्तम क्वालिटी का (Waste Segregation of Indore Nagar of best quality) होने से आईईआईएसएल नई दिल्ली ने इस प्लांट को इंदौर में स्थापित करने का निर्णय लिया गया। प्लांट स्थापना के निर्णय के पूर्व उक्त कंपनी द्वारा गीले कचरे के गत एक वर्ष में 200 से अधिक नमूने लिये जाकर परीक्षण कराया गया। परीक्षण के परिणाम के आधार पर सामने आया कि गीले कचरे में मात्र 0.5 से 0.9 प्रतिशत ही रिजेक्ट उपलब्ध (Only 0.5 to 0.9 percent reject available in wet waste) है, जो कि अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में भी उच्च गुणवत्ता का होना पाया गया।

वायु गुणवत्ता में सुधार होगा
नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया है कि इस बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना से नगर निगम को आय के साथ ही नगरीय परिवहन व्यवस्था सुदृढ करने में मदद (Help to strengthen the urban transport system) मिलेगी। बायो सीएनजी प्लांट से प्रतिदिन 550 टन गीले कचरे का निपटान हो सकेगा। साथ ही वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में मील का पत्थर (Milestone towards air quality improvement) साबित होगा। इसके अतिरिक्त नगर निगम, इन्दौर द्वारा उपरोक्त प्लांट के संचालन से कार्बन क्रेडिट अर्जित कर भी 8 करोड़ रुपये की राशि (Amount of Rs 8 crore also after earning carbon credit) प्राप्त होगी।

पूर्व प्रसंस्करण (Pre-treatment)
कचरे की पृथक्करण प्रक्रिया के बाद जैविक कचरे को बायो गैस बनाने के लिए इसका पूर्व प्रसंस्करण करना आवश्यक होता है। इसके लिए प्लांट में अत्याधुनिक उपकरण की आवश्यकता होती हैं। इंदौर शहर से संग्रहित जैविक कचरे में अजैविक पदार्थों की मात्रा बहुत कम (Very little amount of inorganic material in the stored organic waste) होती हैं, फिर भी इस कचरे को प्रसंस्करण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके लिए प्लांट के अंदर अत्याधुनिक एवं स्वचालित उपकरण को स्थापित किया गया है। जैविक कचरे को एक गहरे बंकर में प्राप्त किया जाता है। जहाँ से इसे ग्रेब क्रेन की मदद से प्रसंस्करण उपकरण तक पहुंचाया जाता है।

सेपरेशन हैमर मिल
जैविक कचरे में से अजैविक एवं फायबरस पदार्थों को बड़े स्क्रीन द्वारा अलग किया जाता हैं। 120 एमएम से कम गीले कचरे को कन्वेयर बेल्ट द्वारा सेपरेशन हैमर मिल में भेजा जाता हैं। सेपरेशन हैमर मिल (Separation Hammer Mill) एक अत्याधुनिक स्वचालित मशीन है जो गीले कचरे को अच्छी गुणवत्ता के फीड में बदल देता हैं, जिसे स्लरी कहा जाता हैं। इस मशीन में ठोस एवं तरल पदार्थों की मात्रा का अनुपात स्वचालित माध्यम से नियंत्रित किया जाता हैं। इसके लिए जैविक ठोस कचरे में रीसायकल वाटर (Recycle water into organic solid waste) को उचित अनुपात में मिलाया जाता है जिससे उचित गुणवत्ता की स्लरी तैयार होती हैं। सेपरेशन हैमर मिल में अजैविक पदार्थों को स्वचालित पद्धति द्वारा अलग किया जाता है, जिसका नियंत्रण कम्प्यूटरीकृत तरीके से किया जाता है।