सतह पर उभर कर आती भाजपा में अंतर्कलह

370

सतह पर उभर कर आती भाजपा में अंतर्कलह

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक अरुण पटेल का कॉलम

​जिस प्रकार से इन दिनों मध्यप्रदेश भाजपा में नेताओं की आपसी अर्न्तकलह उभर कर सतह पर आ रही है वह भाजपा जैसी केडरबेस पार्टी जो अपने लौह आवरणीय अनुशासन के लिए अन्य राजनीतिक दलों की भीड़ में अलग से पहचानी जाती थी, की कार्यशैली के अनुरुप नहीं कहा जा सकता। कभी इशारों इशारों में, कभी खुल कर तो कभी छुपे तौर पर जो हो रहा है उसको देखकर यही कहा जा सकता है कि आपसी स्वार्थों के टकराव के चलते पार्टी की अनुशासनात्मक पकड़ अब काफी ढीली पड़ रही है। शुक्रवार 26 मई को सोशल मीडिया, आपसी चर्चाओं और अन्य माध्यमों से अटकलों का इस कदर दौर चला कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल तो प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष लगभग बन ही गये हैं और उन्हें बधाइयां देने वाले भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गये। हालांकि जब शाम तक स्थिति स्पष्ट हो गई तब बधाई देने वालों ने भी अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। लेकिन जिस प्रकार का घटनाक्रम चल रहा है उसको देखते हुए यह तो कहा ही जा सकता है कि यदि धुंआ उठ रहा है तो अंगारे कहीं न कहीं सुलग ही रहे होंगे भले ही उस पर राख डालने के प्रयास किए जा रहे हों। भाजपा में विधानसभा चुनाव के पूर्व बदलाव तो होना है वह किस स्तर पर होता है और कब तक होता है इसके लिए भी अधिक इंतजार नहीं करना होगा, क्योंकि जो भी होना होगा चाहे बदलाव हो या यथास्थिति बनी रहे वह जून माह के प्रथम सप्ताह तक बहुत कुछ साफ हो जायेगा क्योंकि जैसे-जैसे दिन गुजरते हैैं चुनाव का समय भी उतना नजदीक आता जा रहा है।

सतह पर उभर कर आती भाजपा में अंतर्कलह

​एक ओर जहां भाजपा में अर्न्तकलह बढ़ रही है तो दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस स्थिति का पूरा-पूरा राजनीतिक लाभ अपनी पार्टी को दिलाने के लिए सक्रिय हो गये हैं तथा अनेक नेता उनके संपर्क में हैं, वह पार्टी छोड़ेंगे या नहीं, यह निश्चित तौर पर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इससे भाजपा को राजनीतिक तौर पर खामियाजा उठाना पड़ सकता है। भले ही असंतोष को छुपाने के लाख प्रयास किए जायें, लेकिन पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और पूर्व लोकसभा सदस्य तथा प्रदेश की राजनीति में संत राजनेता माने जाने वाले कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने जिस ढंग से भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है और सीधा निशाना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर साध रहे हैं उसका मतदाताओं पर कितना असर पड़ा यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इससे राजनीतिक फिजां में कुछ न कुछ माहौल बनने की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। एक तरफ असंतुष्टों को संभालने की जिम्मेदारी है तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के रियूमर यानी अफवाह सेल से बचाकर रखना होगा क्योंकि कर्नाटक में भी कांग्रेस ने इसी तरह रियूमर फैलाया जिससे हमारे कार्यकर्ता दिग्भ्रमित हुए थे। उपदेश व सीख देने के लहजे में उन्होंने कहा कि ऐसा यहां नहीं होना चाहिए। लेकिन उन्होंने बदलाव की जो बयार चल रही है उसे नहीं नकारा बल्कि यह कहा कि पार्टी में किसी तरह का बदलाव होना होगा तो उस पर शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा, फिलहाल में हमें मिशन 2023 फतह करने पर अपना पूरा फोकस लगाना होगा। लेकिन जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है यहां पर अफवाहों को पर लगे हुए हैं और वह भी इस अंदाज में कि जिससे ऐसा लगे कि कुछ न कुछ तो पार्टी में होने वाला है। पहले तो शिवप्रकाश को नेताओं को कड़ाई से न केवल उपदेश की घुट्टी पिलाना होगी बल्कि आगे से ऐसा न हो उसकी भी पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था करनी होगी अन्यथा इस प्रकार की सीख या नसीहत का कोई विशेष प्रभाव शायद ही पड़े। यदि सूत्रों की सही माने तो, क्योंकि आजकल ज्यादातर राजनीति सूत्रों के हवाले से ही हो रही है, शिवप्रकाश ने पदाधिकारियों से कहा है कि कर्नाटक में कांग्रेस के रणनीतिकार रहे नरेश अरोरा भोपाल में हैं जिन्होंने कर्नाटक में हमारी पार्टी को लेकर कई तरह के रियूमर फैलाये थे और अब यही काम मध्यप्रदेश में करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे पदाधिकारियों को सावधान रहने की जरुरत है।

BJP's New Ticket Formula

भाजपा में इन दिनों जो कुछ देखने को मिल रहा है वह अनायास नहीं हुआ बल्कि प्रदेश व देश में लगातार सरकार रहने के कारण कार्यकर्ताओं व नेताओं के बीच यह दूरी नजर आई है। नेताओं के बीच सत्ता में अपनी मलाईदार भागीदारी को लेकर प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है लेकिन जब तक वह प्रतिस्पर्धा रहती है उससे कोई विशेष ​फर्क नहीं पड़ता लेकिन अब प्रतिस्पर्धा प्रतिद्वंद्वता में तब्दील हो गयी है शायद यही एक कारण है कि भाजपा नेताओं के बयान मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं। यही सुर्खियां ही भाजपा नेतृत्व को शूल की भांति चुभ रही हैं। यही कारण है कि समझाइश के दौर पर दौर चल रहे हैं लेकिन यह समझाइश भी अटकलों को विराम नहीं दे पा रही है। इसलिए अब आला नेतृत्व भी यह समझ चुका है कि आगामी विधानसभा और उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के पूर्व स्थायी समाधान के लिए उसे सर्जरी करना पड़ेगी। क्योंकि अब होम्योपैथी की मीठी गोलियों से असर होने वाला नहीं। सर्जरी करते समय नेतृत्व को एक ऐसे कुशल सर्जन की भूमिका भी निभानी होगी जिसके हाथ अपने को देख कर कांप न जायें, बल्कि जो जरुरी हो वह सर्जरी पूरी निर्ममता के साथ अपने-पराये का भेदभाव किए बिना की जाए। केवल नोटिस देने, अनुशासन का भय दिखाने, का विशेष असर होने वाला नहीं है और न ही खबरों के खंडन से या चेहरे की कास्मेटिक सर्जरी कर कुछ ब्यूटी स्पॉट लगाने से उसमें निखार आने वाला है।

छत्तीसगढ़ में बदलाव का भूपेश का दावा
​शुक्रवार 26 मई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश की राजधानी नयी दिल्ली में मिन्ट पब्लिक पालिसी समिट में विस्तार से अपना नजरिया और कार्यशैली तथा छत्तीसगढ़ में आये बदलाव की चर्चा करते हुए दावा किया कि नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विकास, विश्वास व सुरक्षा की रणनीति पर काम किया गया है। बघेल का कहना था कि सरकार बनने के बाद हमने छत्तीसगढ़ वासियों से एक ऐसे छत्तीसगढ़ का निर्माण करने का वादा किया था जिसमें हाशिए पर खड़े लोगों के साथ न्याय होगा। इसलिए राहुल गांधी ने न्यूनतम आय योजना की संकल्पना देश के सामने रखी थी और हमने उनकी इस योजना में न्यूनतम आय के साथ-साथ न्यूनतम आवश्यकताओं को भी शामिल कर लिया, जिसका ही यह परिणाम है कि छत्तीसगढ़ के नवाचार देश में उदाहरण बने हैं। छत्तीसगढ़ के किसानों को सही कीमत मिल सके इसके लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत आदान सहायता की व्यवस्था की गयी। उनका दावा है कि छत्तीसगढ़ के किसानो को उनकी उपज की देश में सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। गौ-धन न्याय योजना के अंतर्गत किसानों से गोबर और गौमूत्र की खरीदी कर उससे खाद व कीटनाशाक बना रहे हैं। गांव-गांव में गौठानों का निर्माण कर उन्हें ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रुप में उन्नत किया जा रहा है। इनमें दाल मिल, तेल मिल, मिनी राइस मिल जैसी छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। गौठानों में भी गोबर से जैविक खाद के निर्माण के साथ-साथ हमने गोबर से बिजली का उत्पादन करने की कोशिश की है तथा प्राकृतिक पेन्ट और गुलाल का निर्माण भी कर रहे हैं। ग्रामीणों को उपभोक्ता बनाकर नहीं रखना चाहते बल्कि उन्हें हम उत्पादक भी बना रहे हैं। आज हमारे गांव उत्पादन केंद्र के रुप में विकसित हो रहे हैं तो शहरों में उन उत्पादों की बिक्री हो रही है, इसके लिए सी-मार्ट की स्थापना की गयी है। बघेल ने बस्तर में बदलाव पर बात करते हुए कहा कि हमने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए राज्य में विकास, विश्वास व सुरक्षा की रणनीति पर काम किया है।

और यह भी
​मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में तीन भाजपा की चटकारेदार चर्चाएं चल रही हैं इनमें एक महाराज बीजेपी यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आये लोग, दूसरे शिवराज बीजेपी और तीसरी है नाराज बीजेपी। इसी संदर्भ में हालातों को बयां करता यह जुमला उछल रहा है कि नाराज बीजेपी शिवराज बीजेपी से लड़ रही है और कह रही है कि महाराज बीजेपी को आउट करो।