Investigation Revealed : ब्रिटिश डेली का खुलासा, कोरोना चीन के वैज्ञानिकों का बनाया वायरस!
Beijing : अब यह साबित हो गया है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक आपदा नहीं थी! बल्कि, ये चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब (Wuhan Institute of Virology Lab) में हुए एक प्रयोग का नतीजा था। जांचकर्ताओं के मुताबिक जिस समय दुनिया कोविड-19 की चपेट में आई, उससे पहले चीनी वैज्ञानिक वुहान की लैब में सबसे खतरनाक कोरोना वायरस का जानलेवा म्यूटेंट स्ट्रेन तैयार करने में लगे थे। ब्रिटिश डेली ‘द टाइम्स’ जांच करने वालों के हवाले से इस बात का खुलासा किया है।
2020 की शुरुआत से ही वुहान से निकले कोरोना वायरस ने दुनिया में तबाही मचाना शुरू कर दिया था। यह वायरस चीन से निकला और दुनियाभर में फैलता गया। भारत समेत दुनिया के हर हिस्से में लॉकडाउन लगे और श्रीलंका जैसे कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गईं। उस समय सभी को शक भी था कि कहीं चीन ने तो जानबूझकर दुनिया में यह अशांति नहीं फैलाई। मगर अब इस महामारी की जांच करने वालों की तरफ से जो कुछ कहा गया है, वह इस पर मुहर लगाने के लिए काफी है।
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खतरनाक वायरस पर रिसर्च
‘द टाइम्स’ ने अमेरिकी जांचकर्ताओं के हवाले से जो कुछ लिखा, उसने अब हर किसी के शक को यकीन में बदलने का काम किया। अब हर कोई मान रहा था कि कोविड-19 एक प्राकृतिक नहीं, बल्कि लैब में बना वायरस है। जांचकर्ताओं के मुताबिक, वैज्ञानिक ऐसे वायरस को तैयार करने में लगे थे, जिसे जैविक हथियार की तरह प्रयोग किया जा सके।
जांचकर्ताओं का मानना है कि महामारी शुरू होने से पहले वैज्ञानिक चीनी सेना की इस योजना पर काम कर रहे थे। वे सबसे खतरनाक कोरोना वायरस पर सीक्रेट एक्सपेरिमेंट को अंजाम देने में लगे थे। इस वजह से वुहान लैब में रिसाव हुआ और दुनियाभर में कोरोना फैला।
लैब में काम चीनी सेना की देखरेख में
महामारी फैलने से पहले सर्दियों में वैक्सीन पर रिसर्च चल रही थी, जो कोविड-19 वैक्सीनेशन से जुड़ी थी। ब्रिटिश और अमेरिकी मीडिया में इस बात की जानकारी विस्तार से दी गई कि साल 2019 के अंत में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में क्या हो रहा था। अमेरिकी जांचकर्ताओं की एक टीम ने टॉप सीक्रेट इंटरसेप्टेड कम्युनिकेशन और रिसर्च की मदद से अपनी जांच को पूरा किया है।
उनका कहना है कि जो कुछ भी हुआ उसके बारे में कोई भी काम पर कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं की गई। क्योंकि, इस पूरे काम को चीनी सेना के रिसर्चर्स के साथ मिलकर किया। चीनी मिलिट्री की तरफ से ही इन प्रोजेक्ट्स को फंड मिल रहा था। जांचकर्ताओं को जो प्रमाण मिले, उनसे साबित होता है कि प्रयोगों पर काम कर रहे वैज्ञानिकों को नवंबर 2019 के अंत में कोविड-19 जैसे लक्षण नजर आने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। इसके ठीक बाद ही पश्चिमी देशों में इस महामारी ने दस्तक दी। इस पूरी कोशिश में इससे जुड़े एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी।
मिला खतरनाक वायरस
साल 2016 में रिसर्चर्स ने युन्नान प्रांत के मोजियांग में एक खदान में नए जानलेवा प्रकार के कोरोना वायरस की खोज की थी। लेकिन, वे इसके बारे में दुनिया को चेतावनी देने में नाकाम रहे, जिसे बाद में वुहान लैब में ले जाया गया और यहां पर सब कुछ क्लासिफाइड कर दिया गया। यह वही वायरस था जिसका संबंध कोविड-19 से था और जो महामारी से पहले अस्तित्व में आया था।