जगदीप जी का जाना… जैसे जस की तस धर दीनी चदरिया…

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जगदीप जी का जाना… जैसे जस की तस धर दीनी चदरिया…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
पत्रकारिता में ऐसे बहुत ही कम व्यक्तित्व होंगे, जो शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचे लेकिन व्यक्तिगत हित के लिए कभी किसी से भूलकर भी कोई मदद नहीं ली हो। जिनका स्वभाव सहजता, सरलता, विनम्रता, सह्रदयता, क्षमाशीलता जैसे गुणों की खान हो। जिन्हें उपकृत करने के लिए सरकार में बैठे शक्तिशाली नेता उधार बैठे रहे हों, लेकिन उन नेताओं की यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो पाई। जिनके अंदर पत्रकारिता धर्म के साथ-साथ मानवीयता का धर्म बराबरी से कदमताल करता रहा पर जिन्होंने सबकी मदद दिल खोलकर की और खुद के लिए किसी का सहारा कभी नहीं लिया। और ऊपर बैठे परमपिता परमात्मा को उनका स्वभाव, उनकी सोच और उनका व्यक्तित्व इस कदर भा गया कि 53 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्हें अपने पास बुलाकर सबको यह अहसास करा दिया कि जगदीप का स्थान मृत्यु लोक में नहीं बल्कि उनके लोक में है। बहाना भी ऐसा कि लाइलाज बीमारी देकर जगदीप के जीवन को हम सब से छीनकर अपने नाम कर लिया। और ऐसी कठिनतम और विषमतम परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हुए जगदीप जी ने इस तरह महाप्रयाण किया मानो जस की तस धर दीनी चदरिया…।
हमारा और जगदीप जी का साथ भी करीब 21 साल पुराना था। वर्ष 2004 में ईटीवी के जरिए हम रामोजी राव फिल्म सिटी में मिले तो फिर एक बार मन मिला और अंत तक मिला ही रहा। भले ही महीनों मुलाकात न हुई हो लेकिन जब मिले तब दिल खोलकर मिले और फिर मन भर बातें हुईं। व्यक्तित्व ऐसा कि कर्मस्थली पर भी जो लोग विरोध करते नजर आए उनके खिलाफ भी कभी अपनी नजरें टेढ़ी नहीं की। बस यही शब्द हमेशा मुंह पर रहे कि ‘नेकी कर दरिया में डार’। जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा। अपन को किसी का बुरा नहीं करना कौशल भाई। समझाइश देना अपना काम है, सो वह काम पूरी ईमानदारी से कर दिया। यह कल्पना नहीं की जा सकती कि कलयुग में इतना सकारात्मक और बेदाग व्यक्ति भी देखने को मिल सकता है। जिसे शुचिता का पर्याय और उदारता का पूरा अध्याय माना जा सकता हो। और जो एक बार मिला मानो वह जगदीप जी का ही हो लिया। इसकी झलक 28 जुलाई 2025 को जगदीप जी की श्रद्धांजलि सभा में खुलकर सामने दिख रही थी। जिसको पता चला वही श्रद्धांजलि सभा स्थल सिंधु भवन पहुंचकर जगदीप जी को श्रद्धांजलि देता नजर आया। और अपने भाव प्रकट करते हुए जगदीप जी को ‘श्रेष्ठतम व्यक्तित्व’ के रूप में परिभाषित करता रहा। ऐसा कम ही होता है कि श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, मंत्री, विधायक सहित गणमान्य व्यक्तियों का अपार जनसमूह हो। और सभी की जुबान पर एक ही बात हो कि जगदीप जी जैसा कोई और नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस प्रदेश के एक स्वनाम धन्य पत्रकार थे। जबलपुर से पत्रकारिता की यात्रा शुरू कर ईटीवी व अलग-अलग संस्थानों में कार्य करते हुए अपनी लेखनी का समाज की सेवा में उपयोग किया। मैं और मध्यप्रदेश सरकार स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस के परिवार के साथ है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि बुआजी के साथ उनका गहरा नाता था। निष्पक्ष राय का भरोसा बुआजी को जगदीप पर था। उनके जाने से हमें अपूरणीय क्षति हुई है। आपके विचार, आपकी सोच की बराबरी कोई नहीं कर सकता। जगदीप जी की राजनीति पर गहरी पकड़ थी। उन्होंने कभी व्यक्तिगत स्वार्थ की बात नहीं की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि वे जहां भी रहे उल्लेखनीय कार्यो से अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनका कम उम्र में हम सबके बीच से जाना, बहुत दुखःद है। केन्‍द्रीय मंत्री शिवराजसिंह चौहान ने शोकसभा को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि मेरे गहरे दोस्त स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस अब नहीं है। राजनैतिक खबरों पर लगातार उनके बड़े स्तंभ रहे है। सामाजिक सरोकारों को गंभीरता से उठाते थे। वे सहज, सरल, शिष्ट और शालीन व्यक्तित्व के धनी थे। मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस का पत्रकारिता का जीवन शुचिता से भरा था। लेखन और चर्चा में उनकी बहुत रूचि रहती थी। हमेशा उनका प्रयास रहता था कि वे पत्रकारिता के जरिए किसी को कुछ दे पाएं। राजनीतिक क्षेत्र में कार्य करने की वजह से मेरा उनसे आत्मीय संबंध बना। उनकी कार्य पद्धति निश्चित रूप से बहुत प्रेरणादायक है। हम सब उससे प्रेरणा ले सकते हैं। प्रदेश शासन के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस हमेशा मुस्कारते रहते थे। वे मैन ऑफ प्रिंसिपिल्स थे। वे सिर्फ और सिर्फ पत्रकार थे। पत्रकारिता के जीवन में कभी उन्होंने किसी काम के लिए आवेदन नहीं लिखा। ऐसे मित्र को खोने से हम सबके साथ पत्रकारिता जगत की भी बड़ी हानि है। वे मुझे आर्टिकल लिखने के लिए भी प्रोत्साहित करते रहते थे। मुझे उनके जाने का बहुत दुख है। उनके जाने से मेरा एक अभिन्न मित्र कम हो गया है।
प्रदेश शासन के मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि स्वर्गीय जगदीप सिंह बैस हमेशा मेरी स्मृतियों में रहेंगे। वे कम बोलते थे, लेकिन अपने विषय और संकल्पों को लेकर उनकी जो निष्ठा थी, वह अनुकरणीय और सीखने लायक है। पूर्व आईएएस विनोद सिंह बघेल ने कहा कि बहुत कोशिश की, लेकिन जगदीप जी ने हमसे कभी कुछ नहीं लिया। और पिता के नाम पर बनाए कृष्णपाल सिंह ट्रस्ट की ओर से जब 50 हजार रुपए राशि के पुरस्कार के लिए जगदीप जी का चयन किया तो वह पुरस्कार लेने से पहले ही इस दुनिया से विदा हो गए। अंततः श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने परिजनों को वह पुरस्कार राशि भेंट की।
यानी कि जीते जी किसी से कुछ भी न लेने का उनका मन था और उनकी इच्छा के अनुरूप ही उनके जीते जी कोई उन्हें कुछ दे नहीं पाया। वह जिसके लिए जो कर सकते थे वह हमेशा करते रहे। पत्रकारिता के रूप में भी उन्होंने पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाया और मानवीयता के रूप में भी उन्होंने किसी को कभी निराश नहीं होने दिया। और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी मौन रहकर सब की बातें सुनते रहे और अपनी मुस्कुराहट से सबके चेहरों पर खुशियां बिखेरते रहे। किसी भी क्षेत्र में ऐसा व्यक्तित्व बिरला ही होता है। वास्तव में जगदीप जी का जाना सभी को अखरा, जो भी उनसे जुड़ा हुआ, वह हमेशा के लिए उनका होकर रह गया। और इसी बीच जगदीप जी बिना अहसास कराए ‘चदरिया को जस की तस धर कर इस दुनिया से विदा हो गए… कहने को बस यही बाकी रहा है कि ‘ओ जाने वाले हो सके तो लौट कर आना’…।
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