Jaya Kishori: ख्यात मोटिवेशनल स्पीकर की “नानी बाई रो मायरो कथा” में झूम उठे लोग

पांडाल में राधे राधे के गूंजने लगे नारे

1233

Jaya Kishori: ख्यात मोटिवेशनल स्पीकर द्वारा नानी बाई रो मायरो कथा में झूम उठे लोग 

इंदौर श्रीबांके बिहारी सेवा समिति की ओर से सोमवार की सायं पुराना गवर्नमेंट कॉलेज मैदान में धार्मिक कथा नानी बाई रो मायरो का आयोजन किया गया। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंडाल में पहुंचे. तिलक नगर स्कूल मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ तीन बजे दोपहर में हुआ। जया किशोरी चार बजे पहुंची और उनके आते ही पांडाल में राधे राधे के नारे गूंजने लगे। आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आयोजन स्थल पर पूर्ण व्यवस्थाओं का ध्यान रखा गया है। इस आयोजन के सूत्रधार पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने बताया कि 19 मई से 21 मई तक तिलक नगर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में यह आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में जया किशोरी के द्वारा नानी बाई रो मायरो की कथा का श्रवण कराया जाएगा। कथा का आयोजन दोपहर 3:00 से 6:00 बजे तक होगा। आयोजन में भाग लेने के लिए आने वाले नागरिकों और श्रद्धालुओं की सुविधा का खासतौर पर ध्यान रखा जा रहा है।
जया किशोरी एक कथा का कितना चार्ज करती हैं? जानें उनकी पांच सीक्रेट बातें जिसे जान आप रह जाएंगे हैरान | Jaya Kishori Fees par Katha, Income,Networth, Life Style and Marriage -
पटेल ने बताया कि आयोजन स्थल पर बनाई गई व्यास पीठ को भव्य स्वरूप दिया गया है। इस व्यास पीठ के पीछे एलईडी लगाई जाएगी, जहां से नागरिकों को जया किशोरी भी कथा का श्रवण कराते हुए दूर से नजर आ सकेंगी। इस आयोजन में अधिक से अधिक नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 के सभी वार्ड में घर-घर जाकर निमंत्रण पत्र बांटे गए हैं और नागरिकों को इस प्रसिद्ध तथा ऐतिहासिक कथा का श्रवण करने के लिए निमंत्रित किया गया है।जया किशोरी ने कथा का झांकियों के साथ विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई। नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में आज से 600 साल पूर्व हुमायूं के शासनकाल में हुआ। नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई-भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कड़क था। एक संत की कृपा से नरसी की आवाज गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। नरसी का विवाह हुआ लेकिन छोटी उम्र में प|ी भगवान को प्यारी हो गई। नरसी जी का दूसरा विवाह कराया गया। समय बीतने पर नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह अंजार नगर में हुआ। इधर नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। भगवान शंकर की कृपा से उन्होंने ठाकुर जी के दर्शन किए। उसके बाद तो नरसी ने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए। उधर नानीबाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई किंतु नरसी को कोई खबर नहीं थी। लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया। नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई किंतु मदद तो दूर कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ। अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही लड़की के ससुराल के लिए निकल पड़े।