झूठ बोले कौआ काटे! राम-मंदिर उद्घाटन इसी वर्ष! मोदी को चुनौती टेढ़ी खीर

झूठ बोले कौआ काटे! राम-मंदिर उद्घाटन इसी वर्ष! मोदी को चुनौती टेढ़ी खीर

झूठ बोले कौआ काटे! राम-मंदिर उद्घाटन इसी वर्ष! मोदी को चुनौती टेढ़ी खीर

भगवान विष्णु के 7वें अवतार रामलला अस्थाई मंदिर में अपना अंतिम नवरात्र मना रहे और खबर है कि घोषित लक्ष्यतिथि से 3 माह पहले, सितंबर में ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा। उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में कोर्ट ने 2 वर्ष की सजा सुना दी। ऐसी स्थिति में, बौखलायी कांग्रेस और बिखरे विपक्ष का 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे पाना टेढ़ी खीर ही लगता है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, जिस प्रकार दिसंबर माह में काशी में कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ था, ठीक उसी तरह अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन भी दिसंबर 2023 में हो सकता है। मंदिर के भूतल का निर्माण अंतिम चरण में है। गर्भ गृह और उसके चारों तरफ परिक्रमा पथ के दीवारों को खड़ा किया जा चुका है। चंपत राय बताते हैं की 21वीं शताब्दी में लोगों के लिए अयोध्या का राम मंदिर एक अनोखा मंदिर होगा। मंदिर समय से पूरा होगा और हम प्राण प्रतिष्ठा 2023 में कर पाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के पहले चरण का 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

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श्रीराम मंदिर का गर्भगृह 8 कोण वाला होगा, जिसमें रामलला विराजमान होंगे। प्रथम तल पर मौजूद राम मंदिर तक पहुंचने के लिए 32 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। इसके बाद 33वां कदम मंदिर के तल पर पड़ेगा। इसमें से 24 सीढ़ियों का निर्माण पूरा हो चुका है। इसी तरह मंदिर के लगभग सभी खंभों का निर्माण भी पूरा हो चुका है। जल्द ही गर्भगृह की बीम लगाने का काम शुरू हो जाएगा।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार निर्माण पूरा होने के बाद राम मंदिर नगर शैली का उत्तर भारत में सर्वश्रेष्ठ मंदिर होगा। राम मंदिर के दूसरे चरण का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा होना है। इसके बाद मंदिर के तीसरे और अंतिम चरण का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा होगा। राममंदिर स्थापत्य कला के लिए भी नजीर होगा। यहां हो रहे निर्माण कार्य में भारतीय संस्कृति के नायाब कला की झलक दिखेगी।

राममंदिर जिन 400 स्तंभों पर टिका होगा उनमें देवी-देवताओं के चित्र उकेरे जा रहे हैं। आठ एकड़ में बनने वाले परकोटे में रामकथा के 100 प्रसंगों का चित्रांकन लुभाएगा। राममंदिर न सिर्फ तकनीक, बल्कि भव्यता में भी दुनिया के चुनिंदा मंदिरों में शामिल होगा। तीन मंजिला राममंदिर में कुशल कारीगरों द्वारा 6400 मूर्तियां प्राचीन पद्धति से उकेरी जा रही हैं, जो मंदिर को हेरिटेज लुक प्रदान करेंगी। राममंदिर के लिए हुए पांच सौ वर्षों के संघर्ष पर एक फिल्म बनाने की ट्रस्ट की योजना है। फिल्म का निर्माण दूरदर्शन कर रहा है। फिल्म में बॉलीवुड के सुपर स्टर अभिनेता अमिताभ बच्चन अपनी आवाज देंगे।

मंदिर बनने के बाद रोजाना लाखों की संख्या में भक्त पहुंचेंगे। इस कारण एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन के साथ-साथ सड़कों को बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। पंचकोसी परिक्रमा मार्ग और चौहदकोसी परिक्रमा मार्ग को दो से चार लेन तक चौड़ा किया जाएगा। एक विश्व स्तरीय पार्क बनाने के लिए लगभग 50 से 100 एकड़ खाली जमीन की तलाश अयोध्या में की जा रही है। रामकोट में मल्टीलेवल 250 कारों की पार्किंग की सुविधा रहेगी। ऊपरी अंतिम तल पर कैफे बनाने का भी प्रस्ताव है।

दूसरी ओर, कांग्रेस नेता और पीएम पद दावेदार राहुल गांधी को सूरत की अदालत ने मानहानि के मामले में गुरुवार को दो साल की सजा सुना दी। नियम के तहत दो या दो साल से अधिक की सजा होने पर संसद अथवा विधानसभा की सदस्यता छिन जाती है। राहुल गांधी को उनके बयान ‘सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों होते हैं?’ के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाया गया है। राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। हालांकि, इस फैसले से बौखलायी कांग्रेस के नेता अब मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।

झूठ बोले कौआ काटेः

अयोध्या का शाब्दिक अर्थ अजेय है। अयोध्या पहले वैष्णव उपासना का केंद्र रही। पांचवीं शताब्दी में यहां गुप्त वंश का राज रहा। सातवीं शताब्दी में यह नगर निर्जन हो गया। अयोध्या का संबंध राम के आख्यान और सूर्यवंश से है। इतिहासकारों के मुताबिक, बाबरी मस्जिद 1528 में बनी; 1813 में हिंदू संगठनों ने पहली बार इस जमीन पर अपना दावा किया। यह विवाद 1855 से ब्रिटिश अधिकारियों के रिकॉर्ड में मिलता है, 1885 में यह पहली बार कोर्ट में पहुंचा। फैजाबाद जिला अदालत में 102 साल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में 23 साल और सुप्रीम कोर्ट में 9 साल चला।

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राम-मंदिर के मुद्दे पर अतीत में भाजपा ने अपनी चार-चार चुनी हुई सरकारों की कुर्बानी दी। पांच सौ वर्षों के संघर्ष और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया था। लेकिन, राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल तक, ऐसे नेताओं की लंबी सूची है, जिन्होंने राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिये। राहुल और सोनिया गांधी ने तो राम मंदिर भूमि पूजन दिवस के मौके पर काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन भी किया। कांग्रेस नीत केंद्र सरकार पर राम मंदिर के मुद्दे को लंबे समय तक कोर्ट में उलझाए रखने का भी आरोप है।

अमित शाह इसी 5 जनवरी को त्रिपुरा में पार्टी की रथ यात्रा शुरू करने गए थे। वहां शाह ने अयोध्या में राम मंदिर 1 जनवरी 2024 में खोलने की घोषणा की थी। अमित शाह की घोषणा 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर थी। उसका असर भी हुआ।

इसके अगले ही दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हरियाणा के पानीपत में आयोजित रैली में सवाल किया, “आप कौन होते हो ऐसा कहने वाले? क्या आप राम मंदिर के पुजारी हैं? क्या आप राम मंदिर के महंत हैं? महंत, साधु और संत को इस बारे में बात करने दें। आप कौन हो? आप एक राजनीतिज्ञ हैं। आपका काम देश को सुरक्षित रखना, कानून व्यवस्था बनाए रखना, लोगों के लिए भोजन मुहैया करना और किसानों को पर्याप्त एमएसपी देना आपका काम है।“

बिहार में कांग्रेस के गठबंधन दल राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर नफरत की जमीन पर बन रहा है। लेकिन राम को भव्य महल में कैद नहीं किया जा सकता। हम ‘हे राम’ में विश्वास करने वाले लोग हैं, न कि ‘जय श्री राम’ में।

हाल ही में समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा रामनवमी पर रामचरित मानस का पाठ कराए जाने को लेकर विवादित बयान दिया, तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी तंज कसा। मौर्या ने तो कहा कि पूरे देश के लोगों ने अपने आप रामचरित मानस का पाठ करना बंद कर दिया है। इसलिए सरकार अपने खर्चे से रामचरितमानस का पाठ कराने को मजबूर हो रही है। जो रामचरित मानस का पाठ कराने की बात कर रहे हैं, वो देश की महिला, आदिवासी और पिछड़ों के सम्मान के दुश्मन हैं। मौर्या पहले भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं।

बिहार में ‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी ने तो कहा कि भगवान राम की कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में राम से ज्यादा कर्मठ रावण था लेकिन इस काल्पनिक कहानी को हम नहीं मानते हैं। इसके पूर्व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था।

झूठ बोले कौआ काटे! राम-मंदिर उद्घाटन इसी वर्ष! मोदी को चुनौती टेढ़ी खीर

इन नेताओं को कौन बताये कि रामलला के मंदिर को लेकर देश-विदेश के हिंदू जनमानस में कितना उत्साह है, कितनी श्रद्धा है, यह तो अयोध्या जाने पर ही पता चलता है। इन पंक्तियों के लेखक ने वहां जाकर इसे महसूस भी किया। देश-विदेश से श्रद्धालुओं का जब इतना तांता अभी है तो भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद क्या हाल होगा? श्रीराम जन्मोत्सव 30 व 31 मार्च को अयोध्या में होगा। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने की संभावना है।

पिछले पंचकोशी परिक्रमा में अयोध्या में लगभग 14 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बार रामनवमी के मौके पर कई लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। अकेले 2022 में ढाई करोड़ से अधिक लोगों ने राम नगरी में दर्शन-पूजन किया। मंदिर निर्माण के साथ इस आंकड़े में दोगुने वृद्धि की आशा है। यही नहीं, भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए दिए जाने वाले नकद चंदे में तीन गुना वृद्धि हुई है।

विपक्ष को वोट बैंक की राजनीति के चलते न उगलते बन रहा न निगलते। पीएम मोदी के खिलाफ एक सुर में आग तो सब उगलते लेकिन प्रभुत्व और निहित स्वार्थों के चलते इनका एक प्लेटफॉर्म पर आना एक टेढ़ी खीर है। राहुल गांधी को विपक्ष का सर्वमान्य नेता बनाने की कोशिश में लगी कांग्रेस को सूरत कोर्ट के ताजा फैसले से जबर्दस्त झटका लगा है। भविष्य में और कितने झटके लगेंगे कहना मुश्किल है, क्योंकि नेशनल हेराल्ड जैसे मामले अभी भी न्यायालय में विचाराधीन हैं। ऐसे में, फिलहाल 2024 लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को चुनौती देना कत्तई आसान नहीं।

और ये भी गजबः

नवरात्र व्रत भगवान श्रीराम ने भी रखा था, इसका वर्णन श्रीरामचरित मानस में है। देवीभागवत महापुराण में भी इसको विस्तार से बताया गया है। वेदव्यास जनमेजय को भगवान राम के नवरात्र व्रत का हेतु बताते हैं।

सीता हरण से दुःखी श्रीराम लक्ष्मण से बोले, कितने बुरे दिन हैं। पिताजी सुरधाम सिधारे, अपनी नगरी छूटी, वनवासी बने, सीता हरी गई, पता नहीं आगे क्या हो, पर इतना तय है कि जानकी के बिना अयोध्या न लौट सकूंगा। लक्ष्मण, तुम भी सब सुख छोड़ कर मेरे साथ निकल पड़े, अब इतना कष्ट भोग रहे हो। रावण ने अधिक परेशान किया तो जानकी जान दे देगी, पर उसकी बात न मानेगी। जानकी ने जान दी तो मैं भी जिंदा न रहूंगा।

झूठ बोले कौआ काटे! राम-मंदिर उद्घाटन इसी वर्ष! मोदी को चुनौती टेढ़ी खीर

लक्ष्मण श्रीराम को दिलासा देते हुए शोक न करने की सलाह दे रहे थे। तभी नारदजी आकाश से विशाल वीणा बजाते, गाते हुये वहां पहुंच गए। नारदजी ने श्रीराम से कहा, ‘राघव! तुम साधारण लोगों की तरह इतने दुःखी क्यों हो? रावण ने सांप को माला समझकर अपने गले में डाल लेने वाले किसी व्यक्ति की तरह यह काम किया है। निराश मत हो, उसके वंश का नाश अब निश्चित है। यह कैसे होगा मैं बताता हूं।

इसी आश्विन महीने में नवरात्र व्रत करो। नवरात्र में उपवास, भगवती की पूजा, उनके नाम का जप और होम हर तरह की सिद्धियां देने वाला है। भगवान राम ने व्रत का महत्व और उपासना विधि समझकर नारदजी के कहे अनुसार किष्किंधा पर्वत पर एक ऊंचा आसन बनवा कर भगवती जगदंबा की मूर्ति रखी। नारद जी के बताये अनुसार उपवास करते हुए भगवान राम के साथ लक्ष्मण भी होम, पूजा, पाठ जप में लगातार लगे रहे। अष्टमी तिथि आयी, भगवान ने मां जगदंबा को 108 नील कमल चढाने की व्यवस्था कर रखी थी। वे एक-एक कर फूल चढाते जाते थे, पर 107 फूलों के बाद आखिरी नील कमल गायब था। रावण ने अपनी माया से उसे गायब कर दिया था।

रात हो गयी थी, इस दुर्लभ नील कमल की व्यवस्था असंभव थी। ऐसे में श्रीराम को अचानक ख्याल आया कि उन्हें कमलनयन भी कहते हैं। एक नीलकमल की जगह उन्होंने अपनी एक आंख निकाल कर चढाने की का फैसला लिया। उन्होंने तत्काल अपने तरकश से एक तीर निकाला और अपनी आंख निकालने ही वाले थे कि भगवती प्रकट हुईं। सिंह पर बैठी हुई भगवती ने श्रीराम और लक्ष्मण को दर्शन दिए। देवी ने कहा- श्रीराम! मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूं। मनचाहा वर मुझसे मांग लो। मनु के पावन वंश में विष्णु के अंश के रूप में तुम्हारा अवतार देवताओं के प्रार्थना पर रावणवध के लिए ही हुआ है। तुम्हारे साथ के ये सभी वानर देवताओं के ही अंश हैं, इन सब में मेरी शक्ति भी है। लक्ष्मण शेषनाग का अवतार है, यह मेघनाद को मार डालेगा। अब इस व्रत को पूरा करने के बाद पापी रावण को मारकर सुखपूर्वक राज्य भोगो। 11 हजार वर्षों तक धरती पर तुम्हारा राज्य रहेगा जिसके बाद तुम अपने परमधाम को सिधारोगे।’ व्यास जी ने कहा, यह कहकर भगवती अंतर्धान हो गईं। भगवान राम बहुत प्रसन्न हुए। नवरात्र-व्रत समाप्त करके दशमी के दिन भगवान राम लंका को चले पर उससे पहले विजयादशमी की पूजा भी की। (यह आस्था और विश्वास की बात है)।

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रामेन्द्र सिन्हा
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