Jhuth Bole Kauva Kaate: खेला तो करेंगी महिला वोटर
हिजाब विवाद और मुस्लिम-जाट, दलित-जाट, मुस्लिम-यादव, दलित-मुस्लिम आदि-इत्यादि की सोशल इंजीनियरिंग के बीच उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की लगभग 25 प्रतिशत सीटों का परिणाम इवीएम में बंद हो चुका है। जबकि, 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है और भाजपा के सामने पिछले चुनाव में जीती अपनी 49 सीटों को बचाने की चुनौती है। दूसरी ओर, यहां समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, जो मैनपुरी की करहल सीट से मैदान में हैं। इस बीच, उप्र कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की उपस्थिति में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के विवादित बयान ने एक और चुनावी तड़का लगा दिया है।
पंजाब में प्रियंका गांधी की रैली में सीएम चन्नी ने कहा कि प्रियंका पजाबियों की बहू है। यूपी दे, बिहार दे, दिल्ली दे भईए आके इते राज नई कर दे। यूपी के भइयों को पंजाब में फटकने नहीं देना है। सबसे बड़ी बात यह है कि रैली के मंच से जब मुख्यमंत्री चन्नी की जुबान फिसल रही थी, तब प्रियंका खिलखिलाती रहीं और भीड़ के साथ खुद भी नारे लगाने लगीं। इस बयान के बाद भाजपा, आम आदमी पार्टी और तमाम सियासी पार्टियों ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री चन्नी के खिलाफ चौतरफा मोर्चा खोल दिया। इसका असर मतदान के शेष चरणों पर पड़ना स्वाभाविक है।
हालांकि, दो चरणों के मतदान के बाद अखिलेश यादव ने सीटों का शतक लगाने का दावा किया है। लेकिन अखिलेश की असली परीक्षा सपा के गढ़ यादवलैंड में होनी है। चुनाव के दो चरणों में जाटलैंड, मुस्लिम बेल्ट और रुहेलखंड की लड़ाई देखने को मिली। पहले चरण में 58 सीटों पर चुनाव हुआ, दूसरे चरण में 55 सीटों पर। तीसरे चरण में सेंट्रल यूपी के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड के 16 जिलों की 59 सीटों पर रविवार को जोर आजमाइश होगी। इनमें से सात जिले यादव बेल्ट के और पांच जिले बुंदेलखंड के हैं। 2017 में सत्ता में रहने के बावजूद भी इस क्षेत्र में सपा का प्रदर्शन खराब रहा था। सपा को महज आठ सीटें मिली थीं। सपा की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत मिली थी। भाजपा ने 49 सीटें जीती थीं।
पहले चरण में 60.17 फीसदी तो दूसरे चरण में 62.82 फीसदी मतदान हुआ। उत्तर प्रदेश में वोटिंग के इतिहास को देखते हुए यह आंकड़ा काफी अच्छा है। हालांकि, 2017 की तुलना में यह आंकड़ा थोड़ा कम है। माना जाता है कि अधिक वोटिंग आमतौर पर बदलाव को लेकर होती है, जबकि मौजूदा सरकार के पक्ष में माहौल की स्थिति में मतदान का प्रतिशत कम रह जाता है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था और इसका परिणाम सत्ता परिवर्तन के रूप में सामने आया।
इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव किसी बड़े परिवर्तन की तरफ संकेत नहीं कर रहा है। जाट नाराजगी के बीच हिजाब के विवाद और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों ने भाजपा के लिए राहत का काम भी किया है। वहीं मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मतदान पिछली बार की तुलना में अधिक हुआ है जो कि सपा के लिए सकारात्मक है, बशर्ते कि बसपा, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटों में सेंधमारी न की हो। दूसरी ओर, तीन तलाक कानून और कानून-व्यवस्था से खुश प्रगतिशील महिलाओं के वोट इस बार भी भाजपा उम्मीद कर सकती है।
बोले तो, सपा गठबंधन की वजह से पश्चिमी उप्र में जयंत चौधरी भले ही कुछ सीटें जीत जाएंगे, लेकिन संदेह बरकरार है कि क्या जयंत जाट मतदाताओं को सपा प्रत्याशियों के पक्ष में स्थानांतरित करा पाने में सफल हुए हैं? क्या मुस्लिम प्रत्याशियों को जाट समुदाय ने वोट किया है? भाजपा को पहले चरण से ज्यादा दूसरे चरण और तीसरे चरण में नुकसान हो सकता है।
दूसरे चरण की 55 में से 40 सीटों पर 30 से 55% मुस्लिम मतदाता हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां से 15 सीटें जीती थी जिसमें 10 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल थे। लोकसभा चुनाव 2019 में इन 9 जिलों की 11 लोकसभा सीटों में से विपक्ष ने 7 जीती थी। मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने पर ही भाजपा को यहां राहत मिल सकती है। तीसरे चरण में शिवपाल यादव के साथ होने का लाभ सपा को यादवलैंड में मिल सकता है।
दो चरणों में भाजपा के गढ़ माने जाने वाले शहरी इलाकों में मतदान को लेकर उत्साह की कमी रही तो मुस्लिम इलाकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। मुस्लिम बहुल सीटों पर बंपर वोटिंग को सपा गठबंधन के पक्ष में माना जा रहा है। तीसरे चरण की 59 विधानसभा सीटों में से 30 पर यादव वोट बैंक का दबदबा है। दरअसल, 16 में से 9 जिलों में यादवों का बहुमत है।
इसके बावजूद 2017 में सपा के खराब प्रदर्शन की वजह यादव विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण था। माना जा रहा है कि पिछले चुनाव में यादवों के एक बड़े समूह ने हिंदुत्व लहर में भाजपा को वोट किया था। तीसरे चरण में कोई मुस्लिम बहुल क्षेत्र नहीं है। इसलिए यादवलैंड होने के बावजूद इस चरण में सपा-गठबंधन के लिए भाजपा को हराना आसान नहीं होगा। कांग्रेस और बसपा की भी अपनी जमीन है। खासकर बंदेलखंड में बसपा का अच्छा प्रभाव है।
झूठ बोले कौआ काटेः योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल की तरह ही पश्चिम में भी लोकप्रिय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की सभाओं में सबसे अधिक भीड़ दिखाई पड़ती है। मोदी-योगी की साफ-सुथरी छवि को अब तक कोई ठोस चुनौती नहीं मिली है तो, योगी की बुलडोजर कार्यशैली ने उन्हें युवाओं और महिलाओं के बीच रॉबिनहुड बनाया है। केंद्र सरकार की उज्जवला, शौचालय जैसी योजनाओं और तीन तलाक कानून ने खासकर महिलाओं को काफी प्रभावित किया है। हालांकि, अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी महिला मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
बोले तो, उप्र में वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में जहां महज 41.92 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया, वहीं साल 2012 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 60.28 प्रतिशत तक पहुंच गया। चुनाव आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़ो के अनुसार प्रदेश में अभी कुल 7.68 करोड़ पुरुष और 6.44 करोड़ महिला वोटर हैं। आंकड़ों से साफ है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों में महिला वोटर किसी भी दल की दशा और दिशा बदलने में सक्षम हैं। खूबी यह है कि ये बड़ा साइलेंट वोटर है। 2014 के चुनावों के लिए सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से इस बात की पुष्टि भी होती है कि 70% महिला मतदाताओं ने अपने पतियों से परामर्श नहीं किया कि किसे वोट देना है।
और ये भी गजबः फिरोजाबाद में एक निर्दलीय प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार का तरीका सबसे अलग और चौंकाने वाला रहा। प्रत्याशी रामदास मानव ने अपने आप को जंजीरों में जकड़ लिया और हाथ में कटोरा लेकर डोर-टू-डोर अपना प्रचार किया। रामदास का कहना था कि वह चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों के नेता हैं, मजदूरों का शोषण हो रहा है, चूड़ी जुड़ाई मजदूरों की हालत खराब है। भाजपा के बुलंदशहर सदर प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने तो घोड़ी पर चढ़कर बारात निकाली, अपने समर्थकों के साथ जमकर झूमे।
भाजपा प्रत्याशी चौधरी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी किया। उधर, महोबा मुख्यालय में भाजपा के प्रत्याशी को जिताने के लिए एक अनोखे अंदाज में जोर शोर के साथ बुलडोजर यात्रा निकाली गई। गौतम बुद्ध नगर की जेवर सीट से सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना ने अपने चुनाव प्रचार के लिए घोड़ों का सहारा लिया। डीजे की धुन और ढोल की थाप पर डांस करते घोड़े और भीड़ के बीच अवतार सिंह लोगों से वोट मांगते दिखे। चुनाव प्रचार में घोड़ों के डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।
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बता दें कि चुनाव आयोग ने प्रचार में जानवरों के इस्तेमाल या उनके प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। हमीरपुर के डामर गांव में तो दो सगे भाइयों में सपा-भाजपा को समर्थन को लेकर मारपीट हो गई। गांव के लक्ष्मी प्रसाद यादव ने अपने घर के लोगों से कहा कि अबकी बार योगी के समर्थन में मतदान किया जाएगा। तभी उसका छोटा भाई महेश यादव गुस्से से भड़क गया और बोला कि साइकल को वोट दिया जाएगा। अखिलेश यादव का समर्थन न करने पर महेश यादव ने अपने दो साथियों के साथ बड़े भाई के साथ मारपीट की और उसके हाथ की अंगुली ही तोड़ डाली।