Khandwa By-Election: BJP और Congress दोनों में नामांकन दाखिले में एकजुटता दिखी!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद, हर्ष चौहान नदारद

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Khandwa By-Election: BJP और Congress दोनों में नामांकन दाखिले में एकजुटता दिखी!

जय नागड़ा की रिपोर्ट

खंडवा। Khandwa By-Election के लिए आज भाजपा और कांग्रेस दोनों के अधिकृत प्रत्याशियों ने अपने नामांकन शुभ मुहूर्त देखकर दाख़िल किए। भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल के साथ जहाँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा उपस्थित थे।

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर राजनारायण सिंह के साथ पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह शेरा भी नामांकन दाख़िल करते समय साथ थे। महत्वपूर्ण बात यह रही कि दोनों ही प्रमुख दलों में अप्रत्याशित एकजुटता दिखी।

दोनों ही दलों के प्रमुख दावेदार अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में खड़े नज़र आए। मुख्यमंत्री शिवराज ने इसके बाद इस चुनाव की पहली सभा को सम्बोधित भी किया जिसमे उनकी केबिनेट के आधा दर्ज़न से ज्यादा मंत्री भी उपस्थित थे।

आमतौर पर दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा में अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा के बाद इतना सौहाद्रपूर्ण माहौल नहीं दिखता, जितना इस By-Election में नज़र आया। दोनों ही दलो में गुटीय नेता अपने आपसी विवाद ख़त्म कर एकजुट नज़र आए। अन्यथा नामांकन वापसी तक दोनों दलों में रूठे हुए या बागियों के मान -मनोव्वल का लम्बा दौर चलता है।

कांग्रेस में जहाँ राजनारायण सिंह के पक्ष में उनके घुर विरोधी अरुण यादव साथ में मजबूती से नज़र आए जो इस सीट से सबसे प्रबल दावेदार थे। वहीं अपनी पत्नी के टिकट के लिए ख़म ठोकने वाले बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा भी खुलकर राजनारायण सिंह के समर्थन में दिखाई दिए।

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भाजपा में भी टिकट की सशक्त दावेदार पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने भी अपना समर्थन भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में दिया और उन्हें जिताने की पुरजोर अपील की। भाजपा से पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन जरूर कार्यक्रम से नदारद दिखे तो उसपर सवाल उठने लगे। मुख्यमंत्री शिवराज टिकट से वंचित दावेदारों के ज़ख्मो पर मलहम लगाते दिखे, वहीं हर्षवर्धन की तरफ से भी उन्होंने मंच से ही सफाई दे दी।

बहरहाल, इस प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में दोनों ही दलों के प्रचार का बहुत सीमित समय मिला है। 30 अक्टूबर को मतदान होना है। इस तरह बमुश्किल 20 दिन मिलने है प्रचार के लिए! लेकिन, दोनों ही दलों के लिए राहत की बात यह है कि अपने अंतर्कलह से उन्होंने पहले ही मुक्ति पा ली है।

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भाजपा जहाँ केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में शिवराज सरकार की उपलब्धियों पर जनता से वोट मांगेगी, वहीं कांग्रेस इन्ही दोनों सरकार पर हर क्षेत्र में नाकामियों का आरोप लगाते हुए जनता से अपने पक्ष में वोट की अपील करेगी। कांग्रेस के लिए बढ़ती महंगाई, बड़े पैमाने पर हो रहा निजीकरण और बढ़ती बेरोजगारी बड़ा मुद्दा होगा।

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हालाँकि नामंकन दाखिले के लिए अभी एक दिन और शेष है फिर भी इस लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों में सीधा मुकाबला ही होने की संभावना है। वैसे भी कोई और प्रभावी क्षेत्रीय दल या प्रत्याशी अभी तक चुनावी परिद्र्श्य में नज़र नहीं आ रहा है।

यहाँ दोनों ही दल अपनी पूरी शक्ति प्रचार में झोंक देने को तत्पर दिख रहे है। इस चुनाव में कांग्रेस को खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन भाजपा के लिए परिणाम विपरीत आये तो पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती है।