
Killer Bridge: 3 साल में 30 जानें ले चुका हत्यारा जबरन ब्रिज
मोहन वर्मा की खास रिपोर्ट
देवास: शहर में विकास बनाम विनाश की सच्ची कहानी जानना हो तो ए बी रोड पर रामनगर से बावड़िया तक बने ज़बरन ब्रिज की कहानी जरूर जानना चाहिये। जिम्मेदारों ने पूरे शहर के विरोध के बावजूद इसे कोरोना काल में उस जगह पर बना डाला जहां जरूरत ही नहीं थी।
बीते तीन सालों में इस ब्रिज पर हुए हादसों की बात करें तो अब तक तीस से अधिक जानें ले चुका है ये हत्यारा जबरन ब्रिज और अभीं दो दिन पहले फिर एक मासूम छात्रा ने इस ब्रिज के कारण बस दुर्घटना की शिकार होकर अपनी जान गवांई है जिसे लेकर शहर में जबरदस्त आक्रोश है।
नागरिकों का कहना है कि जिस ब्रिज को वर्तमान जगह पर विकास के नाम पर बनवाया गया दरअसल उसे भोपाल चौराहे से बस स्टैंड तक बनवाया जाना था मगर कथित कारणों से स्थान परिवर्तन करके ब्रिज को उस जगह बनवा दिया जहां इसकी जरूरत ही नही थी। शहरवासियों और कांग्रेस के विरोध के बाबजूद बने इस ब्रिज पर अब तक हादसों पर हादसे हो रहे हैं और अब तक तीस से अधिक जानें ले चुका है ये हत्यारा जबरन ब्रिज।
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गौरतलब बात यह भी है कि इस ब्रिज के दोनों तरफ सैकड़ों कालोनी और रहवासी बस्तियां है जिनके स्कूली बच्चे, उनकी बसें, फैक्ट्रियों के कर्मचारी, उनकी बसें, इंदौर देवास आने जाने वाला सारा ट्रैफिक ब्रिज के नीचे से ही आता जाता है। सिर्फ लंबे रूट के वाहन और दूसरे सिरे से इंदौर जाने वाले लोग ही इस ब्रिज पर अन्धाधुन्ध तरीके से गुजरते है उसी से मौतों का ये सिलसिला है, अगर पूरा ट्रैफ़िक ऊपर से गुजरे तो क्या हालत हो समझा जा सकता है फिर आसपास के रहवासियों को तो ब्रिज की कतई जरूरत नहीं है।
पिछले दिनों हुए हादसे मे हुई मौतों के कारण और लगातार विरोध के चलते ब्रिज को इन दिनों प्रशासन ने बंद कर दिया है और उस पर इन दिनों डिवाइडर बनाया जा रहा है जिससे उसकी चौड़ाई और कम होकर दुर्घटना की संभावना फिर भी बनी हुई है। भाजपा सांसद भी लगातार नितीन गड़करी जी से चर्चा का हवाला देकर इसकी डिज़ाइन में परिवर्तन की बात भी कर रहे है।
ताजा जानकारी के अनुसार कांग्रेस ब्रिज के स्थान परिवर्तन के लिये 2022 में दिए ज्ञापन को फिर से जिम्मेदारों के ख़िलाफ़ देने जा रही है जिसमें इस बात का उल्लेख किया जा रहा है कि पूर्व PWD मंत्री सज्जन सिंह वर्मा द्वारा स्वीकृत करवाये गए स्थान से ब्रिज को मर्जी से परिवर्तित करने वालों पर कार्यवाही हो।
बहरहाल, शहर इस जबरन (और शायद अभिशापित) ब्रिज को लेकर न सिर्फ परेशान है बल्कि आक्रोशित भी है। डिवाइडर बनने के बाद फिर से ब्रिज पर आवागमन शुरू होने के बाद हादसे रुक जायेंगे ऐसी खुशफहमी पालने के अलावा शहरवासियों के पास दूसरा विकल्प ही क्या है? राम करे सब ठीक हो।





