किस्सा-ए-IAS : आंखों की रोशनी छिनी, पर हौसला नहीं!

देश की पहली दृष्टि बाधित महिला के IAS बनने की कहानी

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  देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC को क्लीयर करना आसान नहीं है। इसके लिए सालों की मेहनत, लगन के साथ ही धैर्य, खुद पर भरोसा और कभी न हार मानने वाले जज्बे की जरूरत होती है। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी IAS अधिकारी प्रांजल पाटिल (Pranjal Patil) की है, जो हर किसी को संघर्ष के लिए प्रेरित करती है। तमाम सुविधाओं के बाद भी जहाँ कैंडीडेट्स यह एक्जाम crack नहीं कर पाते, वहीं प्रांजल ने जीवन की सबसे अभिन्न अंग आंखों के बिना यह परीक्षा न केवल पास की, बल्कि वे अच्छी रैंक लाकर IAS बनी। प्रांजल ने यह परीक्षा एक नहीं दो-दो बार पास की।                                                                        IMG 20211106 WA0065

   प्रांजल की कहानी बताती है कि कमजोरी या Disability शरीर में नहीं, बल्कि mind में होती है। प्रांजल ने कभी खुद को Disable नहीं माना, बल्कि Specially abled माना। तभी शायद इतनी चुनौतियों के बाद भी उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। महाराष्ट्र की रहने वाली IAS प्रांजल पाटिल ने आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने बगैर कोचिंग के UPSC की तैयारी की और second attempt में अच्छे रैंक से एग्जाम क्लीयर कर लिया। 2016 में उन्होंने पहले अटेम्प्ट दिया और 744 वीं रैंक हासिल की। फिर 2017 में दूसरे अटेम्प्ट में 124 वीं रैंक हासिल की। इस तरह उन्होंने देश की पहली दृष्टिबाधित महिला IAS अधिकारी होने का गौरव हासिल किया।

   मुंबई के नजदीक Ulhas Nagar की रहने वाली प्रांजल को जन्म के साथ ही आंखों में परेशानी थी। जब वे 6ठी कक्षा में थी, तो उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। कुछ समय बाद दूसरी आंख ने भी साथ छोड़ दिया। 6 सालों तक संघर्ष करने के बाद उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई। पर प्रांजल की हिम्मत और हौसले ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने mumbai के दृष्टिबाधित कमला मेहता दादर स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की, फिर मुंबई के ही Saint Xaviers से पॉलिटिकल साइंस में अंडर ग्रेजुएशन कोर्स किया। उन्होंने दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशंस (International Relations) में मास्टर्स डिग्री हासिल की और फिर MPhil और PHD भी पूरी की।

    UPSC की तैयारी के लिए उन्होंने किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। तैयारी के लिए एक अपडेटेड software का इस्तेमाल किया, जो UPSC की किताबों को जोर से पढ़कर सुनाता है। उनकी आंखों की रोशनी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने सुनने की शक्ति (Hearing Capabilities) को ताकत बनाया और UPSC की तैयारी की।

*पहली पोस्टिंग Kerala में*
2017 में UPSC की परीक्षा में ऑल इंडिया में 124 वीं रैंक लाने के बाद उन्हें 2018 में केरल के Ernakulam  में  Assistant Collector  के पद पर तैनात किया गया। प्रांजल पाटिल फ़िलहाल केरल के तिरुवनंतपुरम के एडिशनल-कलेक्टर के रूप में तैनात है।

*रेलवे में नौकरी नहीं मिली*
जब 2016 में पहली बार प्रांजल ने UPSC में 744वीं रैंक पाई, उससे पहले उनकी नौकरी Indian  Railways में सर्विस अकाउंटेंट के पद पर लगी थी। लेकिन, दृष्टिबाधित होने के कारण उन्हें नौकरी करने से रोक दिया गया था। कहते हैं ना, जो होता है वह अच्छे के लिए ही होता है। अगर वह नौकरी लग जाती तो शायद आज प्रांजल IAS नहीं बन पाती। अब वे IAS अधिकारी के रूप में देश की सेवा कर रही हैं।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

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