Kissa-A-IAS : एक घटना जिसने IIT स्टूडेंट को IAS बना दिया !
जो भी चेहरे आज सिविल सर्विस में दिखाई देते हैं, उनमे से अधिकांश का मुख्य लक्ष्य कुछ और ही था। लेकिन, सबके जीवन में कोई न कोई ऐसी घटना घटी, जिसने उनका सोच बदल दिया। सिमी करण की कहानी भी इससे अलग नहीं है। एक घटना ने उन्हें उस मोड़ पर ला दिया जिसने उनका जीवन बदल दिया। सिमी करण मूलतः ओडिशा की रहने वाली हैं। पढाई और लक्ष्य के प्रति उनकी लगन की कहानी वास्तव में प्रोत्साहित करने वाली है। उनका बैकग्राउंड तो इंजीनियरिंग वाला था, पर उन्होंने अपनी दिशा ही बदल दी।
सिमी के सिविल सर्विस में आने की कहानी भी बेहद रोचक है। उन्होंने कभी सरकारी नौकरी का नहीं सोचा था। लेकिन, उनकी जिंदगी के एक लम्हे ने उन्हें इस मंजिल तक पहुंचा दिया। वे मूलतः ओडिशा की रहने वाली हैं। लेकिन, वे छत्तीसगढ़ के भिलाई में पली-बढ़ी। उन्होंने पढाई की शुरुआत भी यहीं से की। सिमी के पिता डीएन करण भिलाई स्टील प्लांट में पोस्टेड थे। उनकी माता सुजाता भिलाई के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाती हैं।
सिमी ने भी दिल्ली पब्लिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। उन्हें 12वीं में 98.4 प्रतिशत अंक मिले और उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ में टॉप किया था। उन्होंने 12वीं के बाद आईआईटी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया और वे सफल भी रहीं। उन्हें आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन मिल गया और वे पढ़ाई करने चली भी गई।
आईआईटी में पढ़ाई के दौरान जब सिमी इंटर्नशिप कर रही थीं। इस दौरान उनको झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला। इन बच्चों को पढ़ाते समय उन्होंने इन लोगों के जीवन का गहराई से अध्ययन किया और उन्हें लगा कि इनके लिए कुछ किया जाना चाहिए। लेकिन, ऐसा क्या किया जाए कि इन लोगों का जीवन स्तर सुधरे!
यहां उन्होंने जो कुछ देखा, उसके बाद उनकी मंजिल किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना नहीं रह गया। उन्होंने तय किया कि वे सिविल सर्विस में जाएंगी और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की सेवा करेंगी। इन बच्चों को पढ़ाते समय वे समझ गई कि उन्हें अपना जीवन इन्हीं लोगों के बीच, उनकी सेवा करते हुए बिताना है। लेकिन, तब वे इंजीनियरिंग के आखिरी साल में थी।
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बिना कोचिंग UPSC की तैयारी
जब सिमी इंजीनियरिंग के आखिरी साल में थीं, तभी उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने अपने आप ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। यूपीएससी टॉपर्स के इंटरव्यू देखकर और इंटरनेट की मदद लेकर उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने किताबों की लिस्ट तैयार कर ली। उनका मानना है कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए जितना ज्यादा हो सके रिवीजन किया जाना चाहिए। सिमी करण ने सिलेबस को कई भागों में बांटकर सीमित कोर्स मटेरियल के साथ अपनी तैयारी शुरू की।
22 साल की उम्र में आईएएस
पढाई के घंटे तय किए। बिना किसी कोचिंग के सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर सिमी ने पहली कोशिश में ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई मई 2019 में खत्म हुई और जून में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी। उन्होंने बेहद स्मार्ट तरीके से पढाई की और उसी का नतीजा था कि उन्होंने UPSC एंट्रेंस परीक्षा पास कर की। सिमी को यूपीएससी की सिविल सर्विसेज एग्जाम-2019 में ऑल इंडिया में 31वीं रैंक मिली।
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इस तरह वे 22 साल की उम्र में ही आईएएस बन गईं। उन्होंने आईआईटी और यूपीएससी परीक्षा एक साल में ही क्लियर की। पहली कोशिश में ही सिविल सर्विस परीक्षा पास करके आईएएस भी बन गईं। उन्हें असम-मेघालय कैडर मिला हैं। यूपीएससी ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनी ऑफिसर के तौर पर सम्मानित किया गया था। फिलहाल सिमी करण दिल्ली में असिस्टेंट सेक्रेटरी के तौर पर तैनात हैं।