Kissa-A-IAS: IAS Swapnil Wankhede: संवेदनशील प्रशासन और जन जन का भरोसेमंद चेहरा

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Kissa-A-IAS: IAS Swapnil Wankhede: संवेदनशील प्रशासन और जन जन का भरोसेमंद चेहरा

सुरेश तिवारी

प्रशासन तब प्रभावी बनता है जब वह केवल नियमों और आदेशों तक सीमित न रहकर आम नागरिक की पीड़ा को समझे और उसका समाधान मानवीय दृष्टिकोण से करे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में ऐसे अधिकारी विरले ही होते हैं जो पद की गरिमा के साथ सहजता और संवेदना को भी समान रूप से जीते हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2016 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी दतिया जिले के कलेक्टर स्वप्निल वानखेडे ऐसे ही अधिकारियों में शामिल हैं। स्वप्निल वानखेड़े अपनी कार्यशैली और नवाचारों के दम पर लगातार सुर्खियों में रहे हैं. जबलपुर से लेकर दतिया तक… जहां भी पोस्टिंग मिली वहां उन्होंने नई मिसाल पेश की. कभी सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे IAS स्वप्निल वानखेड़े ने नौकरी छोड़कर UPSC की कठिन राह चुनी. कई असफलताओं के बाद 2015 में 132वीं रैंक हासिल कर IAS बने. समाज के प्रत्येक वर्ग की बेहतरी के लिए उनकी कई कहानियां पूरे भारत में प्रेरणा बन चुकी है।

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सादगी भरा व्यवहार, चेहरे पर मुस्कान, आम लोगों से आत्मीय संवाद और समस्याओं को गंभीरता से सुनने की आदत ने उन्हें जनता के बीच विशेष पहचान दिलाई है। जनसुनवाई में बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक से उनकी सहज बातचीत प्रशासन की पारंपरिक छवि को तोड़ती नजर आती है। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सुरक्षित नौकरी छोड़ IAS बनने तक का उनका सफर संघर्ष, धैर्य और स्पष्ट लक्ष्य का उदाहरण है।

दतिया जिले में उनका कार्यकाल यह साबित करता है कि प्रशासन यदि संवेदनशील हो तो शासन और जनता के बीच विश्वास की मजबूत पुल बन सकती है।

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*▪️जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि*

▫️स्वप्निल वानखेडे का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता शिक्षक रहे हैं और माता ने नर्स के रूप में सेवा दी। परिवार का वातावरण अनुशासन, ईमानदारी और सेवा भावना से जुड़ा रहा। सीमित संसाधनों के बीच पले बढ़े स्वप्निल ने बचपन से ही परिश्रम और आत्मनिर्भरता का महत्व समझा। यही संस्कार आगे चलकर उनके प्रशासनिक जीवन की नींव बने।

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*▪️शिक्षा और प्रारंभिक करियर*

▫️प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने स्थानीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और कंप्यूटर साइंस पृष्ठभूमि के साथ निजी क्षेत्र में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य किया। लगभग तीन वर्ष तक उन्होंने आईटी सेक्टर में काम किया। आर्थिक रूप से स्थिर जीवन होने के बावजूद उन्हें यह महसूस हुआ कि उनका उद्देश्य केवल निजी करियर तक सीमित नहीं है। समाज के लिए प्रत्यक्ष रूप से कुछ करने की भावना ने उन्हें सिविल सेवा की ओर मोड़ा।

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*▪️भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश*

▫️सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का निर्णय कठिन था। इस यात्रा में असफलताएं भी आईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। निरंतर प्रयास और अनुशासन के साथ की गई तैयारी के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 132वीं अखिल भारतीय रैंक प्राप्त की। वर्ष 2016 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ और उन्हें मध्यप्रदेश कैडर आवंटित किया गया।

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*▪️प्रशासनिक यात्रा की शुरुआत*

▫️IAS बनने के बाद स्वप्निल वानखेडे ने सहायक कलेक्टर के रूप में अपनी प्रशासनिक यात्रा शुरू की। इसके बाद उन्होंने एसडीएम, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और नगर निगम कमिश्नर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। इन दायित्वों के दौरान उन्होंने योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन, स्वच्छता व्यवस्था, शहरी प्रशासन और जवाबदेही पर विशेष ध्यान दिया। वे फील्ड में जाकर काम देखने और समस्याओं को मौके पर समझने वाले अधिकारी के रूप में पहचाने गए।

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*▪️दतिया जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यभार*

▫️वर्ष 2025 में स्वप्निल वानखेडे को दतिया जिले का कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। यह उनका पहला पूर्ण कलेक्टरी कार्यकाल है। पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता जनता से संवाद, शिकायतों का समयबद्ध समाधान और प्रशासन को सरल तथा सुलभ बनाना है। उन्होंने जिले की सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को समझते हुए कार्य प्रारंभ किया।

*▪️जनसुनवाई बनी पहचान*

▫️दतिया जिले में स्वप्निल वानखेडे की जनसुनवाई प्रशासनिक प्रक्रिया से आगे बढ़कर संवाद का मंच बन गई। वे हंसते मुस्कुराते हुए आम नागरिकों से मिलते हैं और उनकी बात ध्यान से सुनते हैं। बुजुर्गों और जरूरतमंदों से उनका सहज व्यवहार कई बार भावुक कर देने वाला होता है। जनसुनवाई के दौरान सामने बैठकर बात करना और कई मामलों में तत्काल निर्देश देना उनकी कार्यशैली की विशेषता बन गई है। इससे जनता में यह विश्वास पैदा हुआ कि उनकी बात सचमुच सुनी जा रही है।

*▪️संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण*

▫️जनसुनवाई के दौरान अनाथ बच्चियों से संवाद कर उनकी शिक्षा और सहायता सुनिश्चित करना हो या किसी गरीब परिवार की छोटी लेकिन महत्वपूर्ण समस्या का समाधान करना, स्वप्निल वानखेडे हर मामले में संवेदनशील नजर आते हैं। वे केवल आदेश जारी नहीं करते बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सहायता वास्तव में जरूरतमंद तक पहुंचे। यही मानवीय दृष्टिकोण उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग पहचान देता है।

जबलपुर में पोस्टिंग के दौरान नर्मदा नदी के किनारे कबाड़ बसों से महिलाओं के Changing Room बना दिया. इसके लिए उन्हें लंदन में भी सम्मानित किया गया. इतना ही नहीं अनाथ बच्चियों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी भी उठाई. साथ ही जरूरत छात्रों को फ्री में कोचिंग मुहैया कराया.

*▪️शिक्षा और युवाओं के लिए पहल*

▫️स्वप्निल वानखेडे ने दतिया जिले में गरीब और मेधावी छात्रों के लिए निःशुल्क MPPSC कोचिंग की पहल की। उनका मानना है कि आर्थिक कठिनाई के कारण किसी प्रतिभाशाली युवा का सपना अधूरा नहीं रहना चाहिए। यह पहल युवाओं के बीच उन्हें प्रेरणादायक अधिकारी के रूप में स्थापित करती है और प्रशासन के सकारात्मक चेहरे को उजागर करती है।

*▪️कार्यशैली और नेतृत्व की खासियत*

▫️उनकी प्रशासनिक कार्यशैली में सादगी, पारदर्शिता और तकनीकी समझ स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के कारण वे समस्याओं को व्यवस्थित ढंग से देखते हैं और समाधान भी व्यावहारिक रखते हैं। वे टीमवर्क को महत्व देते हैं और अधीनस्थ अधिकारियों को जिम्मेदारी के साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। अनुशासन और संवेदनशीलता का संतुलन उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

*▪️प्रभाव और प्रेरणा*

▫️स्वप्निल वानखेडे आज दतिया जिले में केवल कलेक्टर नहीं बल्कि जनता के भरोसे का नाम बन चुके हैं। वे यह साबित करते हैं कि प्रशासनिक शक्ति का सबसे बड़ा आधार जनता का विश्वास होता है। उनकी कहानी उन युवाओं और अधिकारियों के लिए प्रेरणा है जो यह मानते हैं कि सख्ती और संवेदना साथ चल सकती हैं और प्रशासन को वास्तव में जनसेवा का माध्यम बनाया जा सकता है।