Kissa-A-IAS: कलेक्टर से जूते साफ करवाने का दावा करने वाले नेता परिवार सहित जेल की सलाखों के पीछे
कुछ अफसरों के कामकाज की शैली और अंदाज कुछ अलग होता है। हम यहां एक ऐसे IAS की कहानी दे रहे हैं जिसने क्षेत्र के एक बलशाली नेता के न सिर्फ आतंक का अंत किया बल्कि उस नेता के साम्राज्य को ध्वस्त कर उसे पत्नी और बेटे सहित जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। कलेक्टर से जूते साफ करवाने का दावा करने वाले इस नेता का पूरा परिवार इस समय भी जेल में ही है। एक समय आतंक का पर्याय बन चुके उस नेता का नाम मोहम्मद आजम खान है और उस IAS अफसर का का नाम है आंजनेय कुमार सिंह, तत्कालीन कलेक्टर रामपुर उत्तर प्रदेश।
आजम की जड़े समाप्त कर क्षेत्र में कानून का राज स्थापित करने वाले इस IAS को पदोन्नति के बाद सरकार ने सीधे कमिश्नर बनाया है। रामपुर जिले के लोग अपने चहेते कलेक्टर के प्रमोशन से प्रसन्न तो हुए लेकिन बिदा करते हुए उनकी आंखों में आंसू थे।
रामपुर कलेक्टर आंजनेय कुमार सिंह ऐसे ही अफसर थे, जिन्हें वहां की जनता का दिल से प्यार मिला। जब उन्हें रामपुर से बदलकर मुरादाबाद का कमिश्नर बनाया गया, तो रामपुर के लोग ख़ुशी के साथ मायूस भी हुए थे। क्योंकि, इस अफसर के काम करने के तरीके ने जनता के दिल में घर कर लिया था। यही वजह रही कि उन्हें ऐसी विदाई ऐसी दी गई, जो यादगार बन गई।
लोग उनकी विदाई में उमड़ पड़े। साथी अफसरों और कर्मचारियों ने बैंडबाजे के साथ उन्हें विदाई दी। औपचारिक विदाई समारोह के बाद आंजनेय कुमार सिंह को बग्गी में बैठाया गया, फिर बैंडबाजों की धुन के साथ विदा किया गया।
आंजनेय कुमार सिंह उस IAS अफसर का नाम है, जिसने रामपुर में आजम खान के आतंक को ठिकाने लगाया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार पर निकले आजम खान ने इस अफसर के बारे में बेहद अभद्र टिप्पणी की थी। रामपुर आने के बाद आंजनेय कुमार सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय चर्चा में आए। उन्होंने चुनाव अचार संहिता का कड़ाई से पालन करवाया, दूसरी तरफ इसका उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी की। जिसमें आजम खान के तमाम करीबी भी शामिल थे। आजम ने कहा था ‘कलक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं, अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।’ लेकिन वो स्थिति नहीं आई और आजम खान की पूरी सल्तनत तहस-नहस हो गई। आजम रामपुर शहर सीट से 9 बार विधायक रहे हैं। उनका यहाँ जलवा कभी कम नहीं हुआ।
आजम खान ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस कलेक्टर वो चुनौती दे रहा है, वही उसकी पूरी सल्तनत को एक दिन नेस्तनाबूद कर देगा। इसी कलेक्टर के आदेश पर रामपुर के समाजवादी पार्टी के सांसद मोहम्मद आजम खान लम्बे अरसे तक जेल की सलाखों के पीछे रहे। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी भी चली गई। पत्नी डॉ तंजीन फातिमा को जेल जाना पड़ा। बेटा 23 महीने बाद जेल से जमानत पर छूटा है। जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में कैद 172 एकड़ सरकारी जमीन भी आजम खान से छिन गई।
आजम खान कभी नहीं चाहते कि चुनावों में आंजनेय कुमार सिंह मुरादाबाद के कमिश्नर रहें। उनके खेमे ने उनकी शिकायतें शुरू की थी। दूसरी तरफ चुनाव आयोग आंजनेय कुमार सिंह के कामकाज की तारीफ कर चुका है। आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में रामपुर में किए गए प्रशासनिक इंतजामों की जमकर तारीफ की थी। यह निर्देश भी दिया था कि बाकी अफसर भी निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण चुनावों के लिए इसी तरह की व्यवस्थाएं करें। किसी IAS अधिकारी के लिए इससे ज्यादा सम्मान की बात और कोई नहीं होती कि उसके काम को जनता और सरकार के साथ देश की संवैधानिक संस्थाएं भी सराहें।
आंजनेय कुमार सिंह सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अधिकारी हैं। 16 फरवरी 2015 को वे समाजवादी पार्टी सरकार के समय प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए थे। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 19 फरवरी 2019 को आंजनेय कुमार सिंह को रामपुर का कलेक्टर बनाया गया था। वे करीब 2 साल तक रामपुर के कलेक्टर रहे। प्रमोशन के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडल का कमिश्नर बना दिया। केंद्र सरकार उनकी प्रतिनियुक्ति भी बढ़ा चुकी है। आंजनेय कुमार सिंह अब 14 फरवरी 2023 तक उत्तर प्रदेश में ही रहेंगे।
98 मुकदमे दर्ज, भूमाफिया घोषित
उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की भी रही, रामपुर में हमेशा ही आजम खान की तूती बोलती रही। दूसरे दलों की सरकार होने पर भी रामपुर की नौकरशाही हमेशा आजम के ही इशारे पर चलती थी। पहला मौका था जब 2019 में रामपुर के कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे आंजनेय कुमार सिंह ने आजम के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर बेखौफ होकर एक्शन लेना शुरू किया। शुरू में 27 किसान कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि जौहर विश्वविद्यालय के लिए आजम खान ने उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया। आंजनेय कुमार सिंह ने सभी मामलों में FIR के निर्देश दिए। इसके बाद शिकायतों का ऐसा अंबार उमड़ा कि एक के बाद एक आजम खान के खिलाफ 98 मुकदमे दर्ज हो गए। सरकारी जमीन हथियाने के मामले में कलेक्टर ने आजम खान का नाम प्रदेश सरकार के एंटी भू माफिया पोर्टल पर रजिस्टर कर उन्हें भू माफिया भी घोषित कर दिया।
172 एकड़ सरकारी जमीन वापस ली
आजम के खेमे में IAS आंजनेय कुमार सिंह के नाम का खौफ बेवजह भी नहीं है। यही वो अफसर है जिसने आजम के साम्राज्य की बुनियाद तक की ईंटें हिलाकर रख दी हैं। 2005 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां को यूनिविर्सटी के लिए 12.5 एकड़ भूमि की अनुमति दी थी, लेकिन सपा सरकार में आजम की जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में 172 एकड़ सरकारी जमीन और समा गई। 2019 में डीएम ने इसकी जांच के आदेश दिए। बाद में नियम विरुद्ध यूनिवर्सिटी में शामिल की गई इस 172 एकड़ भूमि को वापस राज्य सरकार के नाम दर्ज करा दिया गया।
बेटे की विधायकी भी गई
2017 के चुनाव में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के सामने BSP से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खां ने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम होने की बात कहकर निर्वाचन रद्द करने की मांग की थी।
2019 में जब यह मामला आंजनेय कुमार सिंह के सामने आया तो उन्होंने जांच कराई। जांच में खुलासा हुआ कि अब्दुल्ला आजम ने उम्र का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर चुनाव लड़ा था। नामांकन के समय वे 25 साल के नहीं थे। यह रिपोर्ट कलेक्टर ने चुनाव आयोग को भेज दी। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया। जांच में अब्दुल्ला के 2 पैन कार्ड और 2 पासपोर्ट भी सामने आए। कलेक्टर ने इस मामले में भी मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसमें अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम और मां तंजीन फातिम को भी जेल जाना पड़ा।
पहला मौका है जब किसी अफसर ने इतनी बेरहमी से आजम खां के खिलाफ अपनी कलम चलाई है। इसी कड़ी कार्रवाई ने आंजनेय कुमार सिंह को प्रदेश सरकार का पसंदीदा अफसर भी बना दिया है। वैसे, ये भी सच है कि BJP के शासन में ही आंजनेय से पहले महेंद्र बहादुर सिंह रामपुर के डीएम थे, लेकिन सरकार के फ्री हैंड के बावजूद वो एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
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आजम खान पर कड़ी कार्रवाई की वजह से आंजनेय कुमार सिंह बेशक आजम खेमे की नजरों में चुभते रहे। लेकिन, रामपुर की जनता में उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता मिली। वास्तव में ये एक व्यक्ति का सम्मान नहीं, बल्कि उस कलेक्टर के पद का सम्मान था, जिसने आतंक के साम्राज्य का अंत किया था।
सुरेश तिवारी
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