Kissa-a-IAS : लोग ताने मारते थे,क्या बेटियों को Collector-SP बनाओगे
ये राजस्थान की एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी हिम्मत, लगन और जिद ने उसे कलेक्टर के ओहदे तक पहुंचा दिया। 2012 बैच की महाराष्ट्र कैडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अधिकारी और मुंबई कलेक्टर निधि चौधरी की शक्ति और संकल्प की कहानी आम महिलाओं से बिल्कुल अलग है।
वे राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। इस इलाके में लड़कियों के जन्म को अभिशाप माना जाता है। यहाँ की लड़कियों का जन्म और पूरा जीवन कठिनाइयों से भरा होता है। आखातीज पर जब बिना मुहूर्त के शादियां होती है तो सबसे ज्यादा बाल विवाह राजस्थान के नागौर जिले में ही होते हैं। उनके गांव में 18 साल की उम्र तक हर लड़की की शादी हो जाती थी।
मुंबई कलेक्टर निधि चौधरी का पिछले दिनों मुंबई की एक समाजसेवी संस्था ‘परमार्थ’ ने सम्मान किया था। यह संस्था लड़कियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कार्य करती है। संस्था ने उनसे अनुरोध किया कि वे अपने जीवन संघर्ष का संस्मरण सुनाएं, ताकि लड़कियां और समाज उनसे प्रेरणा लें। उन्होंने हेमा मालिनी के मुख्य आतिथ्य वाले इस कार्यक्रम में अपने जन्म से IAS बनने तक की कहानी सुनाई!
उन्होंने बताया कि जब उनका जन्म हुआ, तो समाज की प्रतिक्रिया अच्छी नहीं थी! लेकिन, जब परिवार में दूसरी भी लड़की, यानी निधि की बहन का जन्म हुआ, तो समझो भूचाल आ गया। परिवार के सदस्यों ने किसी तरह दिल पर पत्थर रख लिया। जब हम दोनों बहनों ने पढ़ाई शुरू की, तो मेरे परिवार को ताने मारे जाने लगे कि 10वीं तक पढ़ ली, अब शादी कर दो!
जब हमारे माता-पिता हमें स्कूल भेजते थे, तो लोग कहते थे ‘कितना पढ़ाओगे लड़कियों को, कलेक्टर-एसपी बनाना है क्या!’ लेकिन, दोनों बहनों की पढ़ाई जारी रही! मेरे माता पिता ने हम बहनों को पढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया है और मैं उनके इस संघर्ष का नतीजा हूं।
निधि चौधरी बताती हैं कि आज मैं कलेक्टर हूँ और मेरी छोटी बहन कच्छ (गुजरात) में एसपी है। भौगोलिक दृष्टि से कच्छ देश का सबसे बड़ा जिला है और मैं मुंबई के जिस इलाके की कलेक्टर हूँ वो आबादी के दृष्टिकोण से सबसे सघन जिला है।
निधि चौधरी के जीवन का सफर बड़ा ही रोचक रहा। उनकी छोटी बहन उनके UPSC में सिलेक्ट होने से पहले ही IPS की परीक्षा पास कर चुकी थी। तब वे रिज़र्व बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी।पांच साल की नौकरी के बाद उनकी छोटी बहन ने उन्हें UPSC के लिए प्रोत्साहित किया। आज यदि वे IAS हैं, तो इसके पीछे छोटी बहन की ही प्रेरणा है।
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निधि का कहना है कि मेरा लक्ष्य शुरू से ही समाज सेवा करना था। मैं हर हाल में समाज के लिए और खासकर ऐसी लड़कियों के लिए काम करना चाहती थी, जो अभाव में अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती हैं। बैंक मैनेजर होते हुए भी मैंने इसी दिशा में ज्यादा से ज्यादा काम किया। लेकिन, अब IAS बनकर इस दिशा में ज्यादा बेहतर काम कर पा रही हूं।
उन्होंने UPSC की परीक्षा नौकरी करते हुए और एक बच्चे की माँ बनने के बाद पास की। उन्हें मुश्किल तो हुई, पर उनके परिवार ने हर कदम मदद की। आगे बढ़ने का हौंसला दिया। मेरी हमेशा से कोशिश रही कि कुछ करना है तो कभी डरना नहीं!
कुछ करके दिखाने की ललक कभी हौसला टूटने नहीं देती। उनके पति जो खुद RBI में हैं, बच्चे को संभाला और लक्ष्य तक पहुंचने में हर कदम उनका साथ दिया। इसलिए कहा जा सकता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक औरत और हर सफल औरत के पीछे एक पुरुष होता है। मैं खुद इसकी मिसाल हूँ।
इस महिला कलेक्टर का सपना है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश का कोई भी बच्चा ट्रैफिक सिग्नल्स पर तिरंगा झंडा बेचता हुआ नजर न आए। क्योंकि, यह सब देखकर देश की आजादी उन्हें बहुत अधूरी लगती है।
निधि चौधरी चाहती हैं कि औरतें अपने अंदर की शक्ति को पहचाने। मैं कहना चाहती हूं कि हमारे समाज में बेटियों को यह बताया जाए कि वे किसी से कम नहीं हैं। उनकी तुलना लड़कों से नहीं की जानी चाहिए। देश का माहौल ऐसा बन गया है, जिसमें लड़कियों को लगता है कि वो सुरक्षित नहीं हैं। हमारे संस्कार ऐसे बन गए हैं जिसमें स्त्री को हमेशा सुरक्षा में रखने की बात होती है। यह सब बदलना चाहिए। यह बदलाव केवल औरतें ही ला सकती हैं।
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हम नौ महीने अपने पेट में बच्चे को पालती हैं तो यह हमारी ही जिम्मेदारी है कि बच्चों को यह संदेश और ज्ञान दें कि बेटा-बेटी बराबर है। बल्कि, बेटियों में बेटों से आगे जाकर कुछ कर गुजरने की क्षमता भी है। अपने अंदर की शक्ति को पहचानना होगा। बेटियों को वो शक्ति देनी होगी जो अब तक हम उनको नहीं दे रहे हैं। जब यह हो जाएगा तो इस देश में दिन हो या रात, महिलाएं हर वक्त सुरक्षित होंगी।