Kissa-A-IPS: IPS Dr Arti Singh: लिंग भेद से लड़ने के लिए IPS बनी, ‘फ़ोर्ब्स एशिया’ की लिस्ट में शामिल!
सन 2006 बैच की IPS अधिकारी डॉ आरती सिंह को लिंग भेद से लड़ने के लिए पावर बिजनेस वुमन पत्रिका ‘फोर्ब्स एशिया’ की सूची में शामिल किया गया था। उन्होंने डॉक्टरी पेशे की सीमा लांघकर IPS बनने का निर्णय लिया, ताकि वह महिलाओं को सुरक्षित महसूस करा सकें और लिंग भेद के खिलाफ अत्याचारों को कम कर सकें। इस दिशा में उन्होंने खूब काम किया और इसी के चलते फोर्ब्स की सूची में भी स्थान पाया।
इस महिला IPS अधिकारी को महाराष्ट्र के चर्चित बदलापुर कांड जांच का भी काम सौंपा गया। इस घटना में एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी, जिसे लेकर काफी बवाल हुआ था। सरकार ने इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की, जिसका जिम्मा IPS आरती सिंह को दिया गया था।
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स्त्री रोग विशेषज्ञ से IPS बनी डॉ आरती सिंह फ़िलहाल महाराष्ट्र पुलिस में आईजी (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी आरती के परिवार के कुछ सदस्य लड़कियों की सुरक्षा से लेकर उनके दहेज की चिंता तक के कारण चिंतित रहते थे। लेकिन, कई बाधाओं को पार करते हुए आरती ने हमेशा डॉक्टर बनने का सपना देखा और अपने लक्ष्य को पा भी लिया।
बतौर स्त्री रोग विशेषज्ञ लेबर वार्ड में अपनी इंटर्नशिप के दौरान प्रसव के बाद अधिकांश माताएं उनसे एक ही सवाल पूछती थीं कि लड़का हुआ या लड़की! यानी यह स्पष्ट संकेत था कि समाज लड़कियों के जन्म पर खुश नहीं होता। इस सवाल ने आरती को इस हद तक परेशान कर दिया कि उन्होंने लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनने का फैसला किया।
आरती सिंह के IPS अधिकारी बनने का मूल कारण भी यही है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से MBBS करने वाली आरती ने कभी सोचा भी नहीं था कि आगे चलकर वह IPS अधिकारी बन जाएंगी। जब उन्होंने गायनेकोलॉजी की डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की, तो देखा कि जब भी किसी परिवार में बेटा पैदा होता है, तो लोग खुशी से झूम जाते थे, मिठाइयां बांटते थे। लेकिन, बेटी पैदा होने पर इसके उलट सन्नाटा पसर जाता था।
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आरती ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कई बार तो लोग बच्चियों को अस्पताल में ही छोड़कर चले जाते थे। यह बात आरती को टीसती थी। इसके बाद आरती ने लोगों की इस सोच को बदलने के लिए IPS बनने की ठानी। उन्होंने डॉक्टरी पेशा छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद उनके माता-पिता को रिश्तेदारों से खरी खोटी भी सुननी पड़ी। लेकिन, 2006 में आखिरकार उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर ली और वे IPS बन गईं। उन्हें महाराष्ट्र कैडर अलॉट हुआ।
आरती सिंह महाराष्ट्र कैडर की IPS अधिकारी हैं. वर्तमान में वह आईजी रैंक (इंस्पेक्टर जनरल) की अधिकारी हैं। आरती इससे पहले मुंबई शहर की एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) भी रही हैं। वे पिछले 18 साल से अधिक समय से पुलिस सेवा में हैं। आरती महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित जिले गढ़चिरौली में भी रही हैं। इसके अलावा कोविड के समय उनको मालेगांव भेजा गया वहां भी उन्होंने काम किया।
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2009 में आरती सिंह को महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित जिले गढ़चिरौली में तैनाती मिली। यह ऐसा इलाका है, जहां पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ आम बात है। आरती की पोस्टिंग के ठीक पहले यहां नक्सलियों ने 17 पुलिसकर्मियों को मार डाला था। आरती जब वहां पहुंची तो वहां चुनाव होने वाले थे। उन्होंने न केवल शांतिपूर्वक चुनाव कराया, बल्कि काफी मात्रा में गोला बारूद भी बरामद किया। इसके बाद वह महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में भी रहीं। 2020 में उन्होंने मालेगांव में कोरोना की रोकथाम की दिशा में भी सराहनीय काम किया। फिर उन्हें चर्चित बदलापुर कांड की जांच का जिम्मा मिला।