आखिर पंख लगाकर उड़ ही गईं स्वर साम्राज्ञी, हो सके तो लौट के आना …

लता मंगेशकर, वह नाम जिनका स्वागत करने के लिए हर सरहद हर समय तैयार रहती थी। जिनका जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर 1929 को हुआ था। यह मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है। जिनका निधन 6 फरवरी 2022 को मुंबई में हुआ और अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शिवाजी पार्क में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मुंबई पहुंचकर प्रिय लता दीदी को शिवाजी पार्क में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पंख लगाकर हमेशा-हमेशा के लिए उड़ गईं लता जी, लेकिन दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगीं। देश की आजादी से लेकर अब तक आठ दशक का उनका जीवन पूरी तरह से सक्रियता के साथ कला को समर्पित रहा। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक सभी इस विराट शख्सियत के कायल रहे। अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में आपको 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। अटल जी को लता पितृतुल्य मानती थीं। दादा कहकर बुलाती थीं। लिखने को इतना है कि कलम कई दिनों तक लिखती रहे लेकिन आज यह सब लिखना बेमानी ही लग रहा है…।

1963 में लता जी आपने सेहरा फिल्म के लिए “पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ ज़ालिमा” गीत को आवाज दी थी। संगीतकार रामलाल और गीतकार हसरत जयपुरी थे। पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ जालिमा…तुझे दिल का दाग दिखलाती रे। यादों में खोई पहुँची गगन में, पंछी बन के सच्ची लगन में…दूर से देखा मौसम हसीं था,आने वाले तू ही नहीं था रसिया, ओ जालिमा, तुझे दिल का दाग दिखलाती रे। किरणें बनके बाहें फैलाईं, आस के बादल पे जा के लहराई…झूल चूकी मैं वादे का झूला,तू तो अपना वादा भी भूला रसिया, ओ जालिमा, तुझे दिल का दाग दिखलाती रे। गाने में जो मजबूरी थी, वह 6 फरवरी को खत्म हो गई और लता दीदी आप पंख लगाकर उड़ ही गईं। पर अपनी आवाज और अपने हजारों गीतों के रूप में किरणें बनकर रोशनी बिखेरती रहोगी आप। जीवन का कोई पल अछूता नहीं हैं, जिसको लेकर आपकी आवाज में कोई सुंदर गीत हमें अपनी तरफ न खींचता हो। चाहे बात प्यार-इकरार की हो, चाहे तकरार की हो, चाहे देशभक्ति की बात हो, चाहे क्रांति की हो, चाहे खुशी के पल हों या फिर उदासी का आलम हो, चाहे आशा हो, चाहे निराशा, चाहे बात धरा की हो, चाहे गगन की, चाहे पतझड़ की हो, चाहे बसंत की… जीवन का कोई भी पहलू हो, कितने भी भाव हों, कितने भी राग हों……लता जी आपकी आवाज के रंग हर जगह बिखरे पड़े हैं।

कला जगत में सिरमौर लता दीदी आज देश नहीं, पूरी दुनिया आपके जाने से दु:खी है। आज भी लोगों को लग रहा है कि यह खबर झूठी है, यह बात कहकर कोई कह दे कि दीदी की सेहत में सुधार हो रहा है। लेकिन शायद यह अब संभव नहीं है। आखिर पंख लगाकर आप उस गगन से पार तक उड़ गई हो, जहां से वापस आना किसी के वश में नहीं है। पर आपकी आवाज में ही तो वह गाना है…तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे, हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे।सही ही हैं यह शब्द। आपको कोई नहीं भुला पाएगा। जब तक जीवन रहेगा, तब तक भारत का यह रत्न हमेशा जिंदा रहेगा गीतों के जरिए, अपनी आवाज के साथ गुनगुनाने को मजबूर करता रहेगा।

और आपके गीतों की लंबी श्रंखला में मन का हर जुगनू कैद है। जो अंधेरे में रोशनी बिखेरने का दम रखता है। अच्छा ही होता कि आप यह गीत न गातीं। नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे। फिल्म किनारा में इस गीत को आवाज देकर आपने बहुत पहले ही जता दिया था कि एक दिन आप पंख लगाकर उड़ जाओगी, तब आवाज ही पहचान बनकर युगों-युगों तक महकती रहेगी। गुलजार ने इस गीत का एक-एक शब्द तो शायद आपके लिए आज के दिन के लिए लिखा था। नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा मेरी आवाज़ ही, पहचान है गर याद रहे। वक़्त के सितम, कम हसीं नहीं आज हैं यहाँ, कल कहीं नहीं वक़्त से परे अगर, मिल गये कहीं मेरी आवाज़ ही … जो गुज़र गई, कल की बात थी उम्र तो नहीं, एक रात थी रात का सिरा अगर, फिर मिले कहीं मेरी आवाज़ ही … दिन ढले जहाँ, रात पास हो ज़िंदगी की लौ, ऊँची कर चलो याद आये गर कभी, जी उदास हो मेरी आवाज़ ही …
सादर नमन भारत रत्न, स्वर कोकिला। मुकेश दादा की आवाज में गीतकार शैलेंद्र के इस गीत की पंक्तियों के साथ कि ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना…। और फिर इसी ह्रदय प्रदेश में ही जन्म लेना दीदी…। हम सब इंतजार करते रहेंगे।

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कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।