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छोटी -छोटी खुशियां

ननकू अपने पिता के साथ आता और मगन होकर काम करता रहता । मैं जितना पूछती उतना ही जवाब देता । मैंने  पूछा कि पढ़ाई करते हो
ननकू- हां सरकारी स्कूल में सातवीं में पढ़ता हूं ।
मैंने पूछा-कब पढ़ते हो? ।दिन भर यहा बापू के साथ काम में लगे रहते हो ।
ननकू- क्या करें काम करना पड़ता है ,क्योंकि एक छोटी बहन और भाई और है । मॉं बीमार रहती हैं । घर जाकर खाना भी पिताजी के साथ बनाना पड़ता है । मॉं की दवाई के लिए पैसा भी चाहिए । पहले मॉं काम पर जाती थी अब नहीं जाती ।
मैं – क्या हुआ मॉं को ?
ननकू -डॉ. ने बताया है कि भूखे रहने से पेट में छाले हो गए हैं । आराम और भरपेट खाना होगा तभी इलाज हो पाएगा । इसलिए मुझे भी मजदूरी करनी पड़ी ।
मैं -तुम्हें समय कब मिलता है पढ़ने का ?
ननकू- सब को खिला -पिला कर देर रात तक पढ़ता हूं ।
मैं -नंबर कैसे आते हैं ?
ननकू -फर्स्ट डिवीजन में पास होता हूं।
मैॆ- तुम पढ़ाई पर ध्यान दो । तुम्हारी मॉं का इलाज मैं करवाऊंगी ।जाते समय एक समय का भोजन भी सबके लिए दूंगी ।
ननकू ने मेरे पैर पकड़ लिए और कहने लगा कि धरती पर भी देवी -देवता होते है आज मालूम पड़ा ।
समय बीतता रहा और ननकू ने पी.एम .टी में अच्छे अंक लाकर मेडिकल में प्रवेश लिया और एक होनहार डॉ बन गया। मिलने आता जरूर। एक बार मेरा स्वास्थ्य बिगड़ा तो ननकू ने दिन -रात एक करके मेरा इलाज करवाया और मैंने किसी से यह कहते सुना कि ये मेरी मॉं हैं ,जिन्होने जन्म तो नहीं दिया ,परन्तु आज डॉक्टर इन्हीं के कारण हूं ।
मेरी आखों में आंसू आ गए और मेरे बेटा न होेने का दर्द समाप्त हो गया । कुछ रिश्ते खून के रिश्तों से भी बड़े होते हैं ।
नीति अग्निहोत्री,
57,सॉंई विहार ,इंदौर (म.प्र.)
स्वरचित है

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नीति अग्निहोत्री,
57,सॉंई विहार ,इंदौर (म.प्र.)

नीति अग्निहोत्री एक कवियित्री,लेख व पत्र संपादक के नाम (करीब1000)तथा कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त किए हैं । दो पुस्तकें “मन मांगे इन्द्रधुष ” (कविताएं ) और खुशबू बन गई वह (उपन्यास) प्रकाशित हुआ है ।  शिक्षा एम.एस-सी ,बी.एड औरआकाशवाणी के युव वाणी कार्यक्रम इंदौर से रचनाएं प्रसारित । जन्म राजस्थान के झालावाड़ में 1.7.1954 । प्रतिष्ठित पत्र -पत्रिकाओं में लेखन.

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