Lakhimpur Khiri Violance: प्रियंका के तेवरों से UP कांग्रेस में नई जान!

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Lakhimpur Khiri Violence

Lakhimpur Khiri Violance:

हेमंत पाल की विशेष रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हुए लखीमपुर कांड ने BJP के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे ने किसानों के आंदोलन के बीच जो हरकत की, उससे पूरी पार्टी मुसीबत में आ गई! ऐसे में कांग्रेस (Congress) नेत्री प्रियंका गांधी के तेवर में पार्टी में नई जान फूंक दी।

UP की योगी-सरकार के पास इस गलती को छुपाने का कोई बहाना नहीं है! यही कारण है कि आनन-फानन में राज्यमंत्री के बेटे पर FIR लिखी गई और मामले की उच्च स्तरीय जांच का ऐलान किया गया।

लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri) में 4 किसानों सहित 9 लोगों की मौत ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजनीतिक चुनौती बढ़ा दी। विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन के दौरान हुई इस घटना ने विपक्ष को के हाथ में एक बड़ा मुद्दा थमा दिया।

Lakhimpur Khiri Violance

ऐसे में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने अपने आक्रामक तेवरों से जता दिया कि किसानों के मुद्दे पर किसी भी हद तक जा सकती हैं। लखनऊ से लखीमपुर पहुंचने की कोशिश में उन्हें UP Police ने जिस तरह सीतापुर के पास गिरफ्तार (Arrest) किया, उससे स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस इस मुद्दे को आगे लेकर जाएगी।

बेलछी नरसंहार से तुलना
प्रियंका के इस जुझारुपन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि देख रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जिस तरह बेलछी नरसंहार के बाद इंदिरा गांधी हाथी पर बैठकर बेलछी गई और उसके बाद सत्ता में वापसी की, उसी तरह प्रियंका के जुझारूपन का फायदा भी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिलेगा। लेकिन, उससे पहले कांग्रेस को UP में संगठन को ताकतवर बनाना होगा।

कांग्रेस की कोशिश
कांग्रेस भले ही कहे कि किसान उसके लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, पर कांग्रेस (Congress) किसान आंदोलन के जरिए UP, Punjab और उत्तराखंड (Uttarakhand) में राजनीतिक जमीन तलाश रही है।

लखीमपुर की घटना का असर UP के साथ अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर दिखाई देगा। कांग्रेस किसानों की इस नाराजी को वोट में बदलने की कोशिश में कोई कमी नहीं रखेगी। लेकिन, इस कोशिश में वह कितनी सफल होगी यह चुनाव के नतीजे बताएंगे। लेकिन, प्रियंका गांधी के तेवरों ने UP में पार्टी कार्यकर्ताओं में जान जरूर फूंक दी।

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किसान आंदोलन भड़केगा 
किसान आंदोलन को करीब 10 महीने बीत गए। लेकिन, पहली बार ऐसी घटना हुई है कि जिसमें लोगों की जान गई और इसका आरोप सत्ताधारी भाजपा पर लग रहा है। ऐसे में BJP के खिलाफ किसानों की नाराजी बढ़ सकती है।
पश्चिम के साथ प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी आंदोलन तेज होने के आसार हैं। UP और उत्तराखंड (Uttarakhand) के तराई इलाके में सिख समुदाय की तादाद अच्छी खासी है।

2017 के चुनाव में UP के बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी व सीतापुर में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। वहीं, Uttarakhand के उधमसिंह नगर में भी 9 विधानसभा सीट पर सिख मतदाताओं की संख्या अधिक है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व पंजाब कर रहा है। किसान संगठनों ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में तराई क्षेत्र के सिख मतदाता भाजपा के खिलाफ वोट कर सकते हैं। क्योंकि, UP यूपी के मुकाबले उत्तराखंड में कांग्रेस का संगठन मजबूत है और जीत की दहलीज तक पहुंच सकती है।