आज नर्मदापुरम में अंतिम दर्शन,फिर इटारसी में होगा पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
इटारसी से संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की खबर
भोपाल/इटारसी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह की पार्थिक देह उनके निधन के बाद से ही भोपाल स्थित निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।आज शुक्रवार सुबह 9 बजे उनको पार्थिक देह भोपाल से नर्मदापुरम के लिए रवाना होगी। जहां सुबह 11 बजे भाजपा जिला कार्यालय नर्मदापुरम में उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिये रखा जाएगा । भाजपा के सभी कार्यकर्ता पदाधिकारी अंतिम दर्शन कर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे । तदोपरांत उनकी पार्थिव देह आंवली घाट होते हुए,दोपहर 2 से 3 बजे के मध्य इटारसी के रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित गुरुद्वारा पहुंचेगी। जहां उनके अंतिम दर्शन उपरांत उनकी अंतिम यात्रा खेड़ा स्थित शांति वन के लिए प्रस्थान करेगी,जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पर कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं होगा।
इस तरह इटारसी की माटी का यह सपूत जिसने एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में नपा परिषद इटारसी में एल्डरमैन बनकर सत्ता की राजनीति का आगाज किया और नपा अध्यक्ष,सांसद,केंद्रीय मंत्री,विधायक और राज्य में केबिनेट मंत्री बनने तक का अपना सफल राजनीतिक सफर तय किया व फिर अपने अंतिम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विगत विधानसभा चुनाव में अपने ही राजनीतिक शिष्य से पराजित हो फिर पुनः भाजपा में आ अपनी राजनीति को विराम दिया, अपनी इटारसी की माटी से एकाकार होकर अपने गृह नगर की फिजाओं में पंच तत्व में विलीन हो जायेगा। उसके बाद इटारसी लाया जायेगा।पूरे राजकीय सम्मान के साथ स्वर्गीय सरताज सिंह का अंतिम संस्कार खेड़ा स्थित शांति वन में किया जायेगा। ऐसी संभावना है कि श्री सिंह के अंतिम संस्कार में भाजपा काग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इटारसी पहुंचकर शामिल होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
सरताज सिंह पांच बार के सांसद और दो बार के विधायक थ। वह दो बार नगरपालिका अध्यक्ष भी रहे। केंद्र में अटल जी की 13 दिन की सरकार में उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी बनाया गया था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से सिवनी मालवा की टिकट नहीं मिलने पर वे भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। पार्टी ने उम्र का हवाला देकर टिकट काटा था, जिसके बाद वे कांग्रेस के टिकट पर नर्मदापुरम से चुनाव लड़े। नर्मदापुरम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने उन्हें पराजित कर दिया, जबकि सीतासरन शर्मा को राजनीति में लाने का श्रेय सरताज सिंह को ही जाता है। चुनाव हारने के कुछ समय बाद वह वापस भाजपा में आ गए थे। थे। इस हार के बाद वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे।
वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। साल 1960 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, बाद में वे हरी विष्णु कामथ के संपर्क में आकर सक्रिय राजनीति में उतर गए। इटारसी नगर पालिका से साल 1971 में सरताज सिंह नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने। शुरुआत पार्षद बनकर की। सिवनी मालवा से जीतकर वे लगातार साल 2008 से 2016 तक दस साल मप्र में लोक निर्माण विभाग व वन मंत्री भी रहे। केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले नर्मदापुरम नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र से 1989 से 1996 तक की अवधि में तीन बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराकर संसद तक पहुंचे। सिंह ने एक चुनाव में साल 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह को भी हराया था। साल 1999 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, इसके बाद साल 2004 में फिर लोकसभा चुनाव जीता। कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली जिले की सिवनी मालवा विधानसभा सीट से साल 2008 में लड़कर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी व तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। 2013 में भी चुनाव में वे फिर मंत्री बने। पिछले चुनाव में उन्हें डा. सीतासरन शर्मा ने करीब 15 हजार मतों से पराजित कर दिया था।