आओ हम सब धूमधाम से मनाएं स्थापना दिवस…

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आओ हम सब धूमधाम से मनाएं स्थापना दिवस…

आज मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है। एक नवंबर 1956 को भाषाई आधार पर मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ था। आज यानि एक नवंबर 2023 को मध्यप्रदेश 67 साल का हो गया है और इसका 68वां स्थापना दिवस है। विधानसभा चुनाव के चलते इस साल स्थापना दिवस पर चार सालों की तरह रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की राज्यस्तरीय साप्ताहिक धूमधाम नहीं रहेगी। हालांकि मध्यप्रदेश स्थापना दिवस प्रति वर्ष की भाँति इस वर्ष भी एक नवम्बर को मनाया जायेगा। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर राष्ट्र-गीत वंदे-मातरम,राष्ट्र-गान “जन गण मन” एवं मध्यप्रदेश गान का सामूहिक गायन 11 बजे मंत्रालय स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल पार्क में होगा। इस अवसर पर संस्कृति विभाग की टीम  द्वारा देश भक्ति गीतों की प्रस्तुति भी दी जायेगी।इसमें मंत्रालय, सतपुड़ा एवं विंध्याचल भवन के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं विभागाध्यक्षों को उपस्थित रहने के निर्देश दिये हैं। मध्यप्रदेश में हर पांच साल में नवंबर का महीना चुनावी होता है। इसके चलते कार्यक्रम की भव्यता चुनावी मौसम की धुंध में कुछ फीकी पड़ जाती है। ऐसे में हर मध्यप्रदेशवासी को एक साल अवसर मिलता है कि मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस अपने-अपने स्तर पर धूमधाम से मना सकें। जिसमें सरकारी और राजनैतिक हस्तक्षेप न हो और हर व्यक्ति का मन उत्सव और खुशी से भरा रहे। अपने-अपने स्तर पर देवालयों में जाकर प्रार्थना करें कि हमारा मध्यप्रदेश समृद्धिशाली बने। प्रदेश के साढ़े नौ करोड़ लोगों के चेहरे हमेशा खुशी से खिले रहें। मध्यप्रदेश देश का नंबर वन राज्य बने।

1 नवंबर 1956 को मध्य प्रांत और बरार , मध्य भारत , विंध्य प्रदेश और भोपाल को मिलाकर मध्य प्रदेश का गठन हुआ था। मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के समय भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया था। इस समय भोपाल जिला नहीं बना था और सीहोर जिले का हिस्सा था। राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित कर दिया गया। मध्य प्रदेश के गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थी। प्रदेश की राजधानी बनने के लिए कई जिले होड़ में थे। इनमें से रीवा और जबलपुर प्रमुख थे। कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस राज्य का नाम करण किया था। पहले विध्यप्रदेश की राजधानी रीवा था, महाकौशल की राजधानी जबलपुर थी। एक नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना था।

मध्यप्रदेश धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। 12 शिव ज्योर्तिलिंग में से दो ओंकारेश्वर एवं महाकालेश्वर मध्‍य प्रदेश में हैं । उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ का आयोजन किया जाता है। वहीं, सतना जिले में मैहर माता का मंदिर है। भीमबैटका, पचमढ़ी, खजुरोहा, सांची के स्‍तूप, ग्‍वालियर का किला जैसी ऐतिहासिक धरोहर हैं। चित्रकूट और ओरछा भगवान राम और उज्जैन कृष्ण से संबंधित महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। दतिया में पीतांबरा पीठ सिद्ध स्थल है। वैसे तो हर जिला ही धर्ममय और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों से संबंधित हैं।

मध्‍य प्रदेश का राज्‍य पशु बारहसिंघा और राज्‍य पक्षी दूधराज है। मध्‍य प्रदेश का राजकीय वृक्ष बरगद है। मध्‍य प्रदेश को देश भर में हीरा उत्‍पादक राज्‍य के रूप में पहचाना जाताहै। राज्य के पन्ना जिले में बड़ी संख्या में हीरे की खदान हैं।

वैसे तो मध्यप्रदेश के बारे में बहुत कुछ लिखने को है। पर सबसे बड़ी बात यही है कि आज मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है। और ह्रदय प्रदेश के रूप में राज्य की हर क्षेत्र में विशेष पहचान है। सर्वाधिक आदिवासी आबादी मध्यप्रदेश में निवास करती है। नर्मदा, बेतवा, ताप्ती, चंबल, केन जैसी नदियां जीवनदायिनी हैं। अन्नदाताओं ने समृद्ध कृषि राज्य की पहचान मध्यप्रदेश को दी है। हमारा मध्यप्रदेश हम सभी के ह्रदय में भी बसता है। हर नागरिक के जन्मदिन से अधिक महत्वपूर्ण है हमारे मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस। आओ हम सब मिलकर मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाते हैं…।