
letter from son to father : “बाबा मतलब सादगी में पूर्ण ज्ञान समाया हुआ”
जन्मदिन के इस खास मौके पर
best wishes for your birthday
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और आपका आशीर्वाद हम पर बना रहे ,आप हर बार कहते हैं कि मैं आपके लिए क्या सोचता हूँ ,आज में आपको बताना चाहता हूँ।
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है
पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का अहसान है
पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है
मेरे पिता श्री किशोर बागड़देव , अपने सात भाई-बहनों में से एक हैं, खासकर अपने अन्य 3 भाइयों (जो दुर्भाग्य से अब नहीं रहे) से बहुत अलग हैं। अन्य तीन भाइयों के विपरीत- मैंने देखा है कि उन्हें पैसे या किसी अन्य भौतिकवादी चीज़ों जैसे कि कार, बंगला, महंगे कपड़े आदि के प्रति कोई आकर्षण नहीं था। सही भी है – वे एक शिक्षक बन गए जो उनके स्वभाव के बिल्कुल अनुरूप है। उन्हें संगीत का बहुत शौक है, खासकर अपनी पीढ़ी के गाने- खुद को खुश और स्वस्थ रखने के लिए वे दिन भर उन्हें गुनगुनाते रहते हैं। अब 82 साल की उम्र में भी, उनमें एक बच्चे जैसी मासूमियत और जीवन के प्रति दृष्टिकोण है। वे आज की जटिल दुनिया में समायोजित होने के लिए बहुत बुद्धिमान और महान हैं- लेकिन इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं। उनके व्यक्तित्व का सबसे मासूम हिस्सा यह है कि वे बच्चों जैसी गलतियों को छिपाने के लिए मासूम झूठ बोलते हैं और एक को दूसरे पर छिपाने की कोशिश करते हैं और अंत में मेरी माँ के आगे झुक जाते हैं,क्योंकि वे उनसे सत्य उगलवा लेती हैं-जैसे खोपरा बड़ी [मिठाई ]के पांच पीस थे चार ही बचे? मुझे नहीं पता । दरअसल उन्हें मीठा मना है पर वे खाना चाहते हैं ,और इस छोटे से झूठ की उन्हें अनकही छुट है ,लेकिन ज्यादा ना हो इसलिए थोड़ी रोकटोक बनी हुई है।
उनकी कुछ आदतें मुझे कभी-कभी परेशान करती हैं, जिस पर मेरे बड़े भाई कहते हैं – आनंद -.डैडी ऐसे ही हैं और ऐसे ही रहेंगे- क्या यह काफी नहीं है कि वे हम दोनों से कुछ भी स्वीकार नहीं करते हैं। हमसे नाराज नहीं होते ?
आज भी अगर मैं ऑफिस के किसी दबाव में दुखी या परेशान होता हूँ – तो वे चुपचाप आकर मेरी पीठ थपथपाते हैं – मेरी आँखों में देखते हैं और कहते हैं – चिंता मत करो- सब ठीक हो जाएगा- भगवान राम पर भरोसा रखो. वे राम भक्त भी है।
मेरी राय में – वे ज्ञान के प्रतीक हैं, बच्चों जैसे अहंकार में डूबे हुए, अच्छी तरह से समझे जाने वाले क्योंकि वे जीवन भर एक शिक्षक रहे हैं।
इस उम्र में – मुझे खुशी है कि वह अपना और सबसे महत्वपूर्ण बात अपने स्वास्थ्य का इतना ख्याल रखतें है – जो अप्रत्यक्ष रूप से हमारी और मेरी माँ के लिए बहुत सहायक है ,हमें कम से कम परेशानी हो उनके स्वास्थ को लेकर।
35 साल की उम्र में मैं सोचता था – वे इतने भोले और बाल सुलभ स्वभाव के क्यों है? – उसके जीवन में कोई आकांक्षा क्यों नहीं है? उन्होंने मेरे और मेरे भाई के लिए क्या किया है आदि – लेकिन लगता है अब मुझे इसका जवाब मिल गया – उन्होंने मुझे और मेरे भाई को जो सबसे बड़ा उपहार दिया है वह है अपना ख्याल रखना – हमें किसी भी महंगे उपहार के लिए ,या किसी बात से परेशान नहीं करना।
हर साल उनके जन्मदिन पर मैं उन्हें एक सफ़ेद शर्ट (उसकी पसंदीदा) खरीद कर देता हूँ – जिससे उसकी आँखें हीरे की तरह चमक उठती हैं। वह मुझसे और संभवतः मेरे भाई से भी यही उम्मीद करते है.
मुझे खुशी है और मैं धन्य हूँ कि वह मेरे पिता हैं – या मुझे कहना चाहिए – इसके लिए मैं भगवान का हमेशा आभारी रहूँगा ,की मैं एक अत्यंत सरल -प्रसन्नचित और हमेशा पढ़ने लिखने वाले व्यक्ति की संतान हूँ। जटिल और अभिमानी पिता की तुलना में सरल और सहज संतुष्ट व्यक्ति की संतान होना मेरे लिए गर्व की बात है। बाबा आप मेरे पिता है,यह इश्वर का मुझे आशीर्वाद है। आपको जन्म दिन की बधाई और शुभ कामनाये। आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें यही प्रार्थना है।
My thoughts on my father
To define my dad in a few words – simplicity enveloped in absolute wisdom
My dad, one amongst his seven siblings is way so different especially to his other 3 brothers ( who unfortunately are no more ). In dark contrast to the other three brothers- I have seen him having no attraction towards money or any other materialistic things like a car , a bungalow, expensive clothes etc. Rightfully so – he became a teacher which goes absolutely in sync with his nature. He is so fond of music especially songs of his generation- keeps on humming them all through the days to keep himself happy and healthy. Even now at 82 years of age, he has a child like innocence and approach to life. He is too wise and noble to be adjusting in today’s complex world- but refuses to accept it. The most innocent part of his persona is he spells innocent lies just to cover up child like mistakes and tries to cover one over the other and finally gives in to my mother
Some of his habits irritate me sometimes to which my elder brother says – Anand -.daddy aise hi hain aur aise hi rahenge- is it not enough that he does not accept anything from both of us.
Even today if I am sad or upset on some office pressures – he will quietly come – pat my back – look into my eyes and say – don’t worry- everything will be alright- have faith in lord Ram
To my opinion – he is the epitome of wisdom, bundled into a child like ego , well understood as he being a teacher all his life.
At his age – I am glad he takes care of himself and more importantly his health so well – which indirectly is so much of support to us and my mother in particular
At the age of 35 I used to wander – why is he so naive- why he has no aspirations in life- what has he done for me and my brother etc – but guess today I got the answer- The biggest gift he has given to me and my brother is taking care of himself – not bothering us with any expensive gifts etc
On his birthday every year I buy him a white shirt ( his favorite) – which makes his eyes glitter like diamond.Thats all he expects from me and possibly my brother also
Glad and blessed to be having him as my dad – or must I say – eternally greatful to the god for the same
आनंद बाग़डदेव
रूचि बाग़डदेव,आरुष बाग़डदेव,एवं परिवार