Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

दोस्तों, मैं 2021 हूं। आज तुम सभी से विदा लेने का दिन है। आधी रात के बाद जब तक मेरा नया जन्म होगा, सोचता हूं, कुछ भूली-बिसरी यादें ताजा कर लूं। ऐसी यादें जो मेरे कई जन्म लेने के बाद भी तुम नहीं भूलोगे। कुछ खट्टी-कुछ मीठी, सब तुमसे ही तो जुड़ी हुई।

तुम्हारे लिए नया साल आने के पहले मैंने कुबेर के खजाने की झांकी दिखाने का इंतजाम कर दिया था। नोटों के पहाड़, सोने-चांदी के भंडार दिन-रात टीवी चैनलों पर देखकर मन भरा कि नहीं। प्रचंड ठंड में कानपुर-कन्नौज वाली गर्मी आई कि नहीं। चुनावी मौसम में समाजवादी इत्र वालों और कमल वालों में क्या खूब ठनी है।

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ को भी भरपूर मौका मिल गया साइकिल, हाथी और पंजे वालों पर निशाना साधने का। इनने भी कहां चूकना था। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने तंज कसा कि भाजपा ने गलती से अपने कारोबारी पर छापा डलवा दिया। विपक्ष ने आरोप जड़ा कि नोटबंदी और कड़े कानूनों के बावजूद कैश का इतना बड़ा जखीरा रखने में कोई कामयाब कैसे हो गया।

लो, मशहूर फिल्म स्टार ऐश्वर्या राय बच्चन का नाम भी याद आ गया, जिनसे बहुचर्चित पनामा पेपर्स लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब पांच घंटे पूछताछ की। इस मामले में अभिषेक बच्चन से भी पूछताछ हो चुकी है। संसद में बताया गया है कि पनामा तथा पैराडाइज पेपर लीक मामले में भारत से संबद्ध 930 इकाइयों के संबंध में 20,353 करोड़ रुपये की राशि के कुल अघोषित जमा का पता चला है।

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में ‘इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ द्वारा अक्तूबर, 2021 की शुरुआत में प्रकाशित पैंडोरा पेपर्स रिपोर्ट लगभग 1.2 करोड़ दस्तावेज़ों की एक ऐसी पड़ताल है, जिसे 117 देशों के 600 खोजी पत्रकारों की मदद से तैयार किया गया है।

इस पड़ताल में पाया गया है कि भारत सहित दुनियाभर के 200 से ज्यादा देशों के बड़े नेताओं, अरबपतियों और मशहूर हस्तियों ने विदेशों में धन बचाने और अपने कालेधन के गोपनीय निवेश के लिए किस तरह टैक्स पनाहगाह देशों ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, सेशेल्स, हांगकांग और बेलीज आदि में छुपाकर सुरक्षित किया हुआ है। इस रिपोर्ट में 300 से अधिक भारतीयों के नाम भी शामिल हैं।

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

बोले तो, वर्ष 2017 में पैराडाइज़ पेपर्स के तहत 1.34 करोड़ से अधिक गोपनीय इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के माध्यम से 70 लाख लोन समझौते, वित्तीय विवरण, ई-मेल और ट्रस्ट डीड लीक किये थे। इनमें 714 भारतीयों के नाम उजागर हुए थे। ये विभिन्न लीक फ़ाइलें बताती हैं कि कैसे दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली लोग अपनी संपत्ति छिपाने के लिए टैक्स हैवन्स देशों में स्थित शैल कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं। टैक्स हैवन देश वे होते हैं, जहां नकली कंपनियां बनाना आसान होता
है और बहुत कम टैक्स या शून्य टैक्स लगता है।

कुछ और यादें ताजी करने से पहले सोचता हूं कि तुम्हें दो तोहफों की सूचना भी दे दूं। लाखों लोगों को लील लेने वाली संक्रामक महामारी कोरोना से निपटने के लिए तीसरे-चौथे भारतीय टीके ‘कोवैक्स’ और ‘कोर्बोवैक्स’ की मंजूरी मिल गई है। चार दिन पहले ही एक दिन में कोरोना के मामलों ने दुनिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

Omicron Variant

कोरोना के वंशज ओमिक्रॉन ने अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, यूके आदि में तीसरी लहर का कहर मचाने के बाद भारत को भी डराना शुरू कर दिया है। ऐसे में, बच्चों के कोवैक्सीन के दूसरे-तीसरे चरण का परीक्षण भी पूरा हो गया है।

इंट्रानैज़ल टीके का परीक्षण तीन समूहों पर किया जा रहा है। जबकि, 15-18 साल के किशोरों के लिए Covid-19 के खिलाफ वैक्सीनेशन तीन जनवरी से शुरू करने और हेल्थ केयर और फ्रंट लाइन कर्मियों के लिए “प्रीकॉशन
डोज़” 10 जनवरी से देने की घोषणा की जा चुकी है। इस बीच, एक और बड़ी उपलब्धि हुई, भारत ने
1 बिलियन कोविड टीकों का रिकॉर्ड भी तोड़ा।

तुम किसान आंदोलन तो भूले नहीं होगे। मेरे पैदा होने के 26वें दिन ही मेरा सिर शर्म से झुक गया था, जब तथाकथित किसान आंदोलनकारियों ने लालकिले पर हिंसा का नंगा नाच खेला था और प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहरा दिया था। बहरहाल, तीनों कृषि कानून केंद्र सरकार ने वापस ले लिए और साल भर से अधिक से चला आ रहा आंदोलन अंततः समाप्त हो गया।

विरोध-प्रदर्शन, सड़क, टोल प्लाजा और रेल सेवाएं बंद होने से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई थीं। तब उद्योग मंडल एसोचैम ने अनुमान लगाया था कि किसानों के आंदोलन की वजह से सप्लाई चेन और परिवहन प्रभावित होने से रोजाना 3,000-3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। इस दौरान बलात्कार, हत्या और लालकिले पर हुई अराजकता की टीस भला मैं भूल सकता हूं। आंदोलनकारियों का आरोप है कि उनके 700 साथियों की भी मौत इस दौरान हो गई। वे उन्हें शहीद का दर्जा देते हैं। जो भी हो, अंततोगत्वा देश की जीत हुई।

समय-काल-परिस्थितियों और जटिल सामाजिक स्थितियों के चलते महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने की कवायद संसद में होते भी मैंने देखा। विधेयक पारित होने के बाद शादी की उम्र वाला प्रावधान देश के सभी समुदायों के विवाह संबंधी कानूनों पर लागू होगा, जिसके बाद देश में मौजूद तमाम विवाह कानूनों में संशोधन करना होगा।

इस बीच, एक दिलचस्प घटना और घटी। सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया टाटा संस की हो गई। टाटा संस के पास एयर इंडिया को वापस आने में कुल 68 साल लग गए। यह साल 1953 था, जब भारत सरकार ने टाटा संस से एयर इंडिया में मालिकाना हक खरीद लिया था।

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

टाटा संस की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर बाजी मारी। दरअसल, जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में इस एयरलाइन की स्थापना की थी। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। हालांकि, एयर इंडिया का 1953 में राष्ट्रीयकरण किया गया था। कर्ज का बोझ बढ़ने की वजह से सरकार दो दशकों से अधिक समय और तीन प्रयासों के बाद एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में सफल हो पाई।

“चक दे फट्टे इंडिया… चक दे फट्टे” वाले अंदाज में भारत की बेटी हरनाज संधू ने भी उधर, मिस यूनिवर्स का ताज अपने नाम करके मेरे क्षीण होते शरीर को पुलकित कर दिया। 75 देशों की खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिलाएं इस प्रतियोगिता में शामिल हुई थीं। टॉप 3 राउंड में हरनाज से सवाल पूछा गया था, “आज के दबावों से निपटने के लिए युवा महिलाओं को आप क्या सलाह देंगी?”

इस पर हरनाज ने जवाब दिया, “आज का युवा जिस सबसे बड़े दबाव का सामना कर रहा है, वह है खुद पर विश्वास करने का। यह जानना कि आप यूनीक हैं, आपको सुंदर बनाता है। दूसरों के साथ अपनी तुलना करना बंद करें और दुनिया भर में हो रही अधिक महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बात करें। बाहर जाओ, अपने लिए बोलो, क्योंकि तुम अपने जीवन के लीडर हो। आप ही अपनी आवाज हैं। मुझे खुद पर विश्वास था और इसलिए मैं आज यहां खड़ी हूं।” भारत की बेटी ने अपने उत्तर से निर्णायकों का दिल जीत लिया।

Jhuth Bole Kauva Kaate: सुनो, कुछ कहना है तुमसे, मैं 2021

बोले तो, हरनाज को अक्टूबर में मिस यूनिवर्स इंडिया 2021 का ताज पहनाया गया था। हरनाज ने साल 2017 में मिस चंड़ीगढ़ का खिताब भी जीता था। उन्होंने मिस मैक्स इमर्जिंग स्टार इंडिया का खिताब भी अपने नाम किया। हरनाज ने 2019 में मिस इंडिया में हिस्सा लिया था। 21 साल की हरनाज पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स कर रही हैं। उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है।

तुम्हें याद हो कि न याद हो, मुझे ओलंपिक खेलों के इतिहास में भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए भी याद किया जाएगा। इससे पहले 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल 6 पदक अपने नाम किए थे। वहीं टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड समेत 7 पदक अपने नाम किए।

भारत की तरफ से नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में देश को 13 साल बाद गोल्ड मेडल दिलाया। उनके अलावा वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और रेसलर रवि कुमार ने सिल्वर मेडल जीता। वहीं रेसलर बजरंग पूनिया, बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन, शटलर पीवी सिंधु तथा पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता।

मैं तो गद्गद् हुआ इसलिए भी कि टोक्यो पैरालिंपिक में भी भारतीय खिलाड़ियों ने सारी बाधाओं को फलांगते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज कर इतिहास रच दिया। भारत ने इन खेलों में कुल 19 पदक अपने नाम किए, जिनमें पांच गोल्ड, आठ सिल्वर और छह कांस्य पदक शामिल रहे।

अहा! इस बार 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सात हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

पद्म पुरस्कार पाने वालों में शामिल एक्ट्रेस कंगना रनोट, सिंगर अदनान सामी, स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी पीवी सिंधु और मेरी कॉम, बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा, शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र उन नामों में आते हैं जिनसे हर कोई वाकिफ है। इनकी उपलब्धियां सबको पता है; लेकिन कुछ ऐसे चेहरे और तस्वीरें भी लोगों के सामने आईं, जिन्हें इससे पहले शायद ही कोई जानता था। आज ये शक्ति, सम्मान और नए भारत की तस्वीर बन गई हैं।

नंगे पांव पद्मश्री पुरस्कार लेने वाली कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन पौधों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान के चलते उन्हें इन्साइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट कहा जाता है। 12 साल की उम्र से वे अब तक 30 हजार से भी ज्यादा पौधे रोप चुकी हैं। पर्यावरण के संरक्षण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

मंगलोर के 68 वर्षीय फल विक्रता हरेकाला हजब्बा को शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। संतरे बेचकर रोजाना 150 रुपए कमाने वाले हरेकाला हजब्बा के गांव न्यूपडपू में कई साल तक कोई स्कूल नहीं था। ऐसे में हरेकाला ने साल 2000 में अपनी जिंदगीभर की कमाई लगाकर एक एकड़ जमीन पर बच्चों के लिए एक स्कूल बनाया। आज इस स्कूल में कक्षा दसवीं तक 175 बच्चे पढ़ते हैं। राष्ट्रपति से पुरस्कार लेने के लिए वे सादी सफेद शर्ट और धोती पहनकर पहुंचे थे।

अयोध्या निवासी 83 साल के साइकिल मैकेनिक मोहम्मद शरीफ को भी पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार समाज कल्याण के लिए दिया गया। शरीफ चाचा के नाम से मशहूर मोहम्मद शरीफ ने अब तक 25 हजार से भी ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है।

1992 में उनके बेटे की हत्या के बाद उसके शव को रेलवे ट्रैक के किनारे फेंक दिया गया था, जिसे अंतिम संस्कार नसीब नहीं हुआ। इसके बाद से शरीफ चाचा ने लावारिस लाशों के क्रिया-कर्म को अपनी जिम्मेदारी मान लिया। उन्होंने सिर्फ हिंदू और मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के मृत शरीरों का उनके धार्मिक रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार किया है।

बीज माता या सीड मदर के नाम से जानी जाने वाली राहीबाई सोमा पोपेरे को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया। वे महाराष्ट्र के अहमदनगर की महादेव कोली आदिवासी जनजाति की किसान हैं।

उन्होंने अपने परिवार से खेती की पारंपरिक विधियां सीखीं और जंगल के संसाधनों का ज्ञान एकत्र किया। दो दशक पहले उन्होंने देशी बीज तैयार करना और उन्हें दूसरों को बांटना शुरू किया। उन्होंने एक ब्लैकबेरी नर्सरी तैयार की, जहां सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्यों को इसके पौधे तोहफे में दिए। इसके बाद उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर देशी बीजों का संरक्षण करने का अभियान शुरू किया। यहीं से उन्हें बीज माता का नाम मिला। उनके पास एक बीज बैंक है जिसमें करीब 200 प्रकार के देशी बीज हैं।

राजस्थान के नागौर जिला निवासी हिम्मताराम भांभू पिछले 25 साल से पेड़ों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। राजस्थान के कम पेड़ वाले जिलों जैसे नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, सीकर, अजमेर में वे अब तक साढ़े पांच लाख पौधे रोप चुके हैं।

पर्यावरण को समर्पित इस अहम योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। हिम्मताराम ने एक खास तरह का बायोडायवर्सिटी सेंटर बनाया है। नागौर के हरिमा गांव में बना यह सेंटर 6 एकड़ में फैला है और मोर, चिंकारा और कई दुर्लभ जंगली पशु-पक्षियों के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर बन गया है।

घड़ी की सुई की टिकटिक के साथ मुझे 2022 की आहट सुनाई दे रही है। ऐसे में भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत की भी बहुत याद आ रही। ये सदमा इसी महीने तो लगा था। तमिलनाडु में एक दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हम उन्हें, उनकी पत्नी और भारत मां के 11 सपूतों को खो बैठे।

Kashi Corridor: लीडरशिप की लंबी लाइन

अब क्या-क्या याद करूं। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, डिजीटल हेल्थ आईडी कार्ड, गर्भपात की समयसीमा बढ़ना, संसद टीवी, चेनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के आर्च का निर्माण, चुनावी बॉंड, दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम मोंटेरा, नई व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी या छठवीं बार भारत का UNHRC का सदस्य बनना, और भी बहुत कुछ।

झूठ बोले कौआ काटे

अब जब मैं नया जन्म लेने वाला हूं, मेरी उम्मीदें भी तुमसे बहुत हैं। सुनो, तुममें से कोई देश चलाता है, कानून बनाता है, कोई पुलिस, प्रशासन, उद्योग घंधे, रेल-हवाई सेवा, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज आदि-इत्यादि चलाता है। तो वादा करो कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का काम सबसे पहले करोगे।

ये जो ब्लैक मनी है न, ये भ्रष्टाचार का ही परिणाम है। और, ये तो तुम जानते ही हो कि चुनावों से वोट और नोट का रिश्ता कोई नया नहीं है। कहीं, इतना कैश 2022 के उप्र विधानसभा
चुनावों में इस्तेमाल के लिए तो बटोर कर नहीं रखवाया गया था?

अच्छा ये बताओ कोरोना क्या रात में ही अटैक करता है? नाइट कर्फ्यू का फिर क्या मतलब? वैसे पाबंदियां लगनी शुरू हो गई हैं लेकिन जबतक तुम खुद को पाबंद नहीं करोगे तीसरी लहर को कोई सरकार-सिस्टम नहीं रोक पाएगा। मेरा क्या, मेरी सांसे तो आधी रात तक थम जाएंगी लेकिन नये जन्म में भी मुझे कलंकित कराओगे क्या?

देखो मैं जाता हुआ 2021 हूं, पर टूटा नहीं हूं। मुझे पता है कि मेरे जन्म लेने की खुशी में तुम आज से कल तक खूब मस्ती, धूम-धड़ाका करने वाले हो। सच! जाने वाले चले जाते हैं, पर उनके कृतित्व कभी नहीं मरते।

vipin rawat

इसलिए आज ठान लो, तुम बिपिन रावत, नीरज चोपड़ा, पीवी सिंधू, हरनाज आदि-इत्यादि भी बन सकते हो और अभावों के बावजूद तुलसी गौड़ा, हरेकाला हजब्बा, मो. शरीफ, राहीबाई सोमा पोपेरे और हिम्मताराम भांभू की तस्वीर भी पेश कर सकते हो। देश को ऐसे ही नागरिक चाहिए। तुम्हें 2021 का वास्ता, याद रखना… और ये भी कि मेरे विदाई और जन्म के जश्न में मोदीजी का पाठ ‘दूरी है जरूरी’ भूल मत जाना, ओमिक्रॉन घूम रहा है। अलविदा!