Loksabha Election:भाजपा कैसे होगी 400 पार ?

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Loksabha Election:भाजपा कैसे होगी 400 पार ?

पूरे देश और विपक्ष के मन में इ्स समय एक ही सवाल औऱ जिज्ञासा है कि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा 400 के पार कैसे निकलेगी या निकल भी पायेगी ? यह देखना दिलचस्प तो होगा, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं।विपक्ष के पास अभी तक तो भाजपा को रोकने की न तो कोई तैयारी है, न ही कोई ठोस योजना है, न मनोबल। दूसरी तरफ भाजपा और उसका आत्म विश्वास से भरपूर बूथ स्तर का कार्यकर्ता मैदान पकड़ चुका है। उसका तो ध्येय वाक्य ही है,अपने बूzत पर 370 मतदाता बढ़ाना। यह एक ऐसा आंकड़ा है, जो केवल भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं ,बल्कि देशवासी से भी भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। इसका सीधा संबंध जम्मू कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति से होने के कारण यह हर भारतीय के मन में शंख ध्वनि की तरह गुंजायमान होता है।

 

भाजपा के रणनीतिकारों के बीच से कार्यकर्ताओं तक पहुंचे संदेश के अनुसार 400 पार का लक्ष्य असंभव नहीं है। उसे एक बूथ पर 370 मतदाता अपने पक्ष में बढ़ाने की जो जिम्मेदारी दी गई है,वह बेहद सोची-समझी रणनीति का ही हिस्सा है। पहले तो इस पर बात कर लें कि भाजपा 370 या 400 के पार कैसे निकलेगी। भाजपा के लिये यह कोई शेखचिल्ली ख्वाब नहीं है। भाजपा की कार्य पद्धति की जो भी थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं,वे समझ सकते हैं कि संघ पृष्ठभूमि वाले राजनीतिक दल भाजपा को संस्कार,सीख,समझ और सलाह भी संघ से निरंतर मिलती ही है। उस अनुशासन व कार्य प्रणाली की वजह से चुनावी तैयारियां भी भाजपा समय पूर्व करती है। उसी के मद्देनजर भाजपा ने सबसे पहले वे सीटें चिन्हित की हैं, जो पिछले लोकसभा चुनाव(2019) में हारे थे। ऐसी 146 सीटें हैं, जहां भाजपा दूसरे क्रम पर रही थीं।उन सीटों पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित कर भाजपा सीटें बढ़ाने पर जोर दे रही है।

 

अब संभवत आप भाजपा की इस घोषणा(400 पार) व लक्ष्य के पीछे की मंशा को ठीक से समझ सकेंगे। इस बार टिकट वितरण से लेकर तो प्रत्येक बूथ पर 370 मतदाता बढ़ाने के अभियान के पीछे की भावना का आकलन कर सकेंगे। भाजपा ने अपने करीब 35 प्रतिशत(101) वर्तमान सांसदों के टिकट काटकर नये चेहरों को मौका दिया है। पिछली बार भी अपने इसी तरीके से वह 272 सीटों से 303 तक पहुंच चुकी है। याने कमजोर,अलोकप्रिय,विवादित,उम्रदराज या ऐसे ही किसी कारण से प्रत्याशी बदलने का उसे लाभ मिला है, यह हमें मानना चाहिये। इन्हीं कारणों से बदले गये प्रत्याशियों की वजह से उसे फायदा मिलेगा,ऐसा प्रारंभिक अनुमान तो लगाया ही जा सकता है।इस पर अंतिम और प्रामाणिक मुहर तो जनता ही लगायेगी।

भाजपा को इस बात पर पूरा भरोसा है कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का स्वाभाविक लाभ उसे विशेष तौर से हिंदी भाषी इलाके यथा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली,उत्तराखंड के अलावा गुजरात,महाराष्ट्र,ओड़िसा,हिमाचल,पंजाब,कर्नाटक में भी मिलेगा। अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिये वह आंध्र,तेलंगाना,केरल,पश्चिम बंगाल में जबरदस्त अभियान छेड़े हुए हैं। उसे आशा है कि वह दक्षिण भारत में इस बार उल्लेखनीय सीटें बढ़ा लेंगी। ये चुनाव देश के जनमानस पर राम मंदिर के निर्माण के असर को भी रेखांकित करेंगे। यह कोई ऐसी घटना नहीं है, जिसका असर तात्कालिक तौर पर ही हो। भाजपा ने पूरे मनोयोग और योजनाबद्ध तरीके से इस बात को जन-जन के मन तक पहुंचाने का अभियान चलाया है कि देश में इस समय सनातन मूल्यों की ध्वज वाहक सरकार है, जो बहुसंख्यक वर्ग के हितों को संरक्षित करेगी।

 

इस एक बात से तो देश-दुनिया के तमाम राजनीतिक विश्लेषक और अंदरूनी तौर पर विपक्षी दल भी सहमत होंगे कि केंद्र में तीसरी बार भी भाजपा की सरकार बनेगी,जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। बस, देखना इतना भर है कि 400 के जादुई आंकड़े को छु पाती है या नहीं ? भाजपा की कार्य प्रणाली में मुगालते को कोई स्थान नहीं है। उत्साह के अतिरेक से भी वह बचती है। फिर,कोई लाख उसके 400 पार के दावे की हंसी उड़ाये, लेकिन उसके रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा का कार्यकर्ता बड़े लक्ष्यों के साथ ही काम करता है और उसने लोकसभा में 2 सीटों से 303 सीटें भी हासिल करके बताया ही है। कुछ आंकड़ेंबाज यह भी कहते हैं कि देश में करीब 10 लाख बूथ पर यदि भाजपा प्रत्येक पर 370 मतदाता बढ़ा लेगी यो क्या वह 37 करोड़ अतिरिक्त मतदाता के समर्थन की उम्मीद करती है? जबकि 2019 के चुनाव में भाजपा को 23 करोड़ मत ही मिले थे। इस बारे में मेरा यह मानना है कि जब 23 करोड़ मतदाताओं के समर्थन से भाजपा को 303 सीटें मिली थी, तब 37 करोड़ न सही, यदि 7 करोड़ जनता का समर्थन भी उसने बढ़ा लिया तो भाजपा की 75 सीटें बढ़ सकती है। क्या यह उतना मुश्किल आंकड़ा है? याने 370 पार तो वह हो ही सकती है।याने लक्ष्य का पांचवां हिस्सा 20 प्रतिशत से भी वह उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर लेगी।2024 के चुनाव में करीब 96 करोड़ मतदाता होंगे। यदि मतदान 70 प्रतिशत रहा और भाजपा को 30 करोड़ (याने 37.5 प्रतिशत) मत भी मिले तो वह अपने लक्ष्य को पा लेगी।

 

खैर, 5 जून से पहले इन सारे मसलों पर चिंतन तो किया ही जा सकता है। भाजपा के पास जहां इस जादुई आंकड़े को छुकर हिमालयीन सफलता पाने का स्वर्णिम अवसर है तो विपक्ष के पास उसके अश्व मेघ के रथ को रोकने के भी पर्याप्त मौके हैं ही। जो जितना सामर्थ्यवान होगा, वह उतना सफल होगा। इस बार के चुनाव परिणाम हर हाल में एक नये भारत का उदयकाल साबित होंगे।

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।