

Major Decision of High Court : UPSC परीक्षा में EWS को आयु सीमा में 5 साल की छूट, अटेम्प संख्या भी बढ़ी, MP हाईकोर्ट का आदेश!
Jabalpur : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों को सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी। इसमें सिविल सेवा परीक्षा-2025 (UPSC) में EWS वर्ग के उम्मीदवारों को अन्य आरक्षित वर्गों की तरह आयु सीमा में 5 साल की छूट और 9 बार परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा।
इस मामले में UPSC आज मंगलवार को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश कर सकता है। यह अंतिम फैसला नहीं है, इस मामले में सुनवाई होना बाकी है। मैहर के आदित्य नारायण पांडेय ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर EWS कैंडिडेट के लिए राहत की मांग की थी। अभी तक EWS वर्ग के उम्मीदवारों को आयुसीमा में छूट नहीं दी जाती थी और वह अधिकतम 6 अटेंप्ट दे सकते थे। 2025 में 979 पदों के लिए यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 25 मई को आयोजित की जाएगी।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए यह बड़ा निर्णय लिया। आयु सीमा में छूट और स्टेम्प की संख्या में वृद्धि की गई है। हाई कोर्ट का यह फैसला समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हो सकता है। ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को शिक्षा और प्रशासनिक सेवाओं में समान अवसर प्राप्त हो सकता है।
हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक यूपीएससी सीएसई में ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को आयु सीमा में 5 साल की छूट मिलेगी। अभी तक यह सुविधा केवल आरक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों तक ही सीमित थी। अटेम्प्ट की संख्या को बढ़ाकर 9 कर दिया गया है। अधिसूचना के मुताबिक यूपीएससी ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को 32 वर्ष की उम्र तक 6 अटेम्पट देने की अनुमति देता है।
कपिल सिब्बल ने की मामले की पैरवी
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2025 में आवेदन की योग्यता और आयु सीमा को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हाई कोर्ट के सामने पैरवी की। उन्होनें 10 फरवरी 2025 के आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें अधिवक्ता धीरज तिवारी द्वारा की गई पैरवी की चर्चा शामिल थी।
यूपीएससी को निर्देश जारी
हाई कोर्ट ने इस संबंध में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) को निर्देश जारी किया है। याचिकाकर्ता और ऐसी स्थिति वाले अन्य उम्मीदवारों के आवेदन स्वीकार करने को कहा है भले ही वे उम्र की शर्तों को पूरा न कर रहे हैं। कोर्ट ने आयोग को बिना अनुमति नियुक्त आदेश जारी करने से भी मना किया है।