“हिन्दी की जड़ें बहुत मज़बूत हैं, साहित्य और हिन्दी को लेकर ऐसे आयोजन होते रहे”

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‘हिन्दी की जड़ें बहुत मज़बूत हैं, साहित्य और हिन्दी को लेकर ऐसे आयोजन होते रहे-सांसद लालवानी

मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने किया आयोजन

साहित्यिक संस्थाओं में अग्रणी संस्था मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति,इंदौर लेखिका संघ  एवं साहित्यिक संस्थाएँ हुईं सम्मानित

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इंदौर। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित लघुकथा–मंथन कार्यक्रम के मुख्य सत्र में इंदौर शहर की हिंदी के लिए समर्पित साहित्यिक संस्थाओं में अग्रणी संस्था मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति,इंदौर लेखिका संघ एवं हिन्दी परिवार के साथ अन्य संस्थाओं को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद श्री शंकर लालवानी  द्वारा सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर सांसद लालवानी ने संस्मय प्रकाशन की विवरणिका का विमोचन भी किया।श्री लालवानी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हिन्दी की जड़ें बहुत मज़बूत हैं, साहित्य और हिन्दी को लेकर ऐसे आयोजन होते रहे तो हिन्दी की फिर बहार आएगी।’इंदौर में महात्मा गाँधी िन्दी के उन्नयन के लिए आये थे ,उन्होंने गांधी जी का एक किस्सा भी सुनाया।मुख्य अतिथि का स्वागत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन ने किया।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित लघुकथा–मंथन सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी ने की,विशेष अतिथि डॉ. पन्नालाल थे। विमर्श सत्र की मुख्य वक्ता कांता रॉय ने लघुकथा के वर्तमान को बहुत अच्छा बताते हुए आशा व्यक्त की कि इसका भविष्य भी उज्ज्वल होगा। श्रीमती रॉय ने नवोदित रचनाकारों से कहा कि ’लेखन व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। कोई भी विधा आपको चुनती है, आप विधा को नहीं चुनते। कांता रॉय ने कहा कि साहित्य की विधा लघुकथा को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए।लघुकथा शोध केंद्र भोपाल यह प्रयास कर रहा है ’। अतिथि स्वागत संस्थान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता व ऋतु गुप्ता ने किया एवं सत्र संचालन अंशुल व्यास ने किया।इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित आयोजन में अतिथिगण कांता राय जी, सतीश राठी जी, डाॅ पन्नालाल जी, मीरा जैन जी, योगेन्द्र नाथ शुक्ला जी सभी ने एकमत से लघुकथा विधा के उज्ज्वल भविष्य की कामना की तथा इसकी गुणवत्ता और विस्तार के उपाय सुझाए|

वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ‘लघुकथा आज जिस ऊँचाई पर खड़ी है, वहाँ तक पहुँचने के लिए इस विधा ने बहुत संघर्ष किया है। वर्तमान में लघुकथा की गुणवत्ता के स्तर पर चिंतन ज़रूरी है।इंदौर के लघुकथा कारों द्वारा लघुकथा पाठ भी किया गया.