मोदी 3.0 – शपथ समय के दर्पण में नई सरकार का ज्योतिषीय विश्लेषण

*प्रदेश के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक शर्मा बता रहे हैं कि कितनी सफल हो सकती है,क्या, क्या कर सकती है,किन चुनौतियों से जूझ सकती है इस बार की तीसरी मोदी सरकार और स्वयं श्री मोदी*

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मोदी 3.0 – शपथ समय के दर्पण में नई सरकार का ज्योतिषीय विश्लेषण

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ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक शर्मा,इटारसी।

एनडीए की नई केंद्र सरकार आज बनने जा रही है। लगातार तीसरी बार लोकसभा में सर्वाधिक सीटे जीतने के बाद तीसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे | आज 9 जून रविवार, ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की तृतीय चतुर्थी तिथि रहेगी, पुनर्वसु नक्षत्र का चौथा चरण होगा। पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा, वृश्चिक लग्न होगी। शाम को 4.30 से 6 तक राहू काल रहेगा। इसके उपरांत गोधूलि बेला प्रारंभ होगी जो शाम के 7.37 तक रहेगी। संध्या समय 7.19 से 8.20 तक अमृत काल का मुहूर्त रहेगा। शाम को 5.52 से 7.31 तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी होगा और रवि योग भी होगा। ये पंचांग शुद्धि तो मोदी जी के निजी पंडितों ने भी देख ही ली होगी। उल्लेखनीय है की उन्होंने पिछली बार भी शपथ वृश्चिक लग्न में ही ली थी। वृश्चिक लग्न ही क्यों ? चार स्थिर लग्न होती है वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ। इनमें से वृश्चिक लग्न स्थिर लग्न होने के साथ – साथ साहस,पराक्रम, शौर्य, प्रतिष्ठा और यश देने वाली कही गई है। विशेष बात यह है की मोदी जी की भी वृश्चिक लग्न और वृश्चिक ही राशि है। इसी के साथ 9 तारीख को ही क्यों चुना गया है और रविवार को ही क्यों चुना गया है। तो अंक विज्ञान के अनुसार 9 अंक का स्वामी मंगल ग्रह होता है जो कि मोदी जी की लग्न का भी स्वामी है। 9 की संख्या एक बहुत अद्भुत रहस्य पूर्ण संख्या है | आध्यात्मिक दृष्टि से यह एक शक्तिशाली अंक है | 9 के अंक का बहुत बड़ा रहस्यमय विज्ञान है। पश्चिम जगत में निकोलस टेसला इस 9 के रहस्य को जान गया था। ये फोर्थ डिमेन्शन को ले जाने वाली संख्या है, इसलिए 9 जून को चुना गया है | रविवार क्यों चुना गया है ? क्योंकि भारतीय ज्योतिष में सप्ताह का प्रारंभ रविवार से ही होता है अतः यह सप्ताह का प्रथम दिन है और और ग्रहों के राजा सूर्य का दिन है।

अब बात करें नक्षत्र की तो सवाल उठता है कि पुनर्वसु नक्षत्र ही क्यों चुना गया ? भगवान राम का जन्म भी पुनर्वसु नक्षत्र में ही हुआ था, भारत के प्रख्यात वीर आला उदल का जन्म भी पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्र में ही हुआ था | राम की जन्मांक संख्या भी नवमी तिथि है। नक्षत्र का अर्थ होता है, पुनः बसना यानी स्थिरता और प्रतिष्ठा की पुनः प्राप्ति। इससे सरकार में स्थिरता रहेगी और उत्तम कार्य होंगे | इस नक्षत्र का स्वामी गुरु होता है।

 

यह चर अर्थात गतिशील नक्षत्र है। अतः कार्यों को पूरी गति के साथ विवेक पूर्ण ढंग से करता है। इसलिए 9 जून रविवार गोधूलि बेला में शाम 7.15 से शपथ ग्रहण समारोह प्रारंभ होगा | यह तो शपथ ग्रहण समारोह के निर्धारित समय का संक्षिप्त ज्योतिषीय विश्लेषण है |

 

*मुख्य बात है* – नरेंद्र मोदी की जन्म पत्रिका की, क्योंकि किसी भी परिवार या देश के मुखिया से ही उन लोगों का भविष्य जुड़ा होता है। मेरी जानकारी के अनुसार या मुझे उपलब्ध उनकी जन्म पत्रिका अनुसार उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को दोपहर के समय वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि में हुआ था | 21 अप्रैल 2013 से 21 अप्रैल 2023 तक मोदी जी की चंद्रमा की दशा चली और 21 अप्रैल 2023 से 21 अप्रैल 2029 तक इनकी मंगल की महादशा चलेगी | मंगल इनका लग्नेश है और पंच महापुरुष राजयोग में रुचक नामक राजयोग इनकी कुंडली में पड़ा है। उल्लेखनीय है कि हमने 2012 में जब मोदी जी की सूर्य की महा दशा चल रही थी तभी कहा था की 2029 तक मोदी जी प्रधानमंत्री रहेंगे | उस समय मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं थे।हमारी यह भविष्यवाणी एक स्थानीय समाचार पत्र जो वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत जी अग्रवाल द्वारा संपादित था उसमें तब छपी भी थी |

मंगल और चंद्रमा का लग्न में होना एवं उच्च के बुध के साथ एकादश भाव में बैठा सूर्य एवं गुरु की दशम भाव पर दृष्टि मोदी के कर्म भाव एवं दूरदर्शिता को दर्शाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि पूरी मजबूती के साथ मोदी जी अपना कार्यकाल पूर्ण करेंगे। मोदी जी के पंचम भाव में राहू बैठा होने से कुछ निर्णय जनता को भ्रमित करने वाले होंगे,तब भी पूरी निर्भयता के साथ, चुनोतीयों के बावजूद भी मोदी जी सत्ता का कुशल निर्देशन करेंगे। मंगल की महा दशा होने से मोदी जी का देश की आर्थिक और खुशहाली को मजबूती देने एवं भारत की सेना की मजबूती के लिए मुख्य रूप से फोकस होगा | इसी कार्यकाल में भारत की सेना और देश में विशेष प्रतिष्ठा को प्राप्त होंगे अर्थात इस कार्यकाल में मोदी जी प्रधान सेवक होते हुए भी राजा एवं सेनापति की भूमिका को बहुत प्रबुद्ध तरीके से संचालित करेंगे | मई 2025 से मई 2028 तक देश मोदी जी के नेतृत्व में तेजी से प्रगति करेगा, लेकिन साथ साथ विपक्ष भी मोदी के लिए चुनौतियाँ पेश करता रहेगा। इसका एक कारण शपथ ग्रहण समारोह की लग्न में सप्तम भाव में चार गृह बुध, गुरु, सूर्य, शुक्र लग्न को देख रहे हैं। और शनि की भी लग्न पर दृष्टि है। अर्थात विपक्ष बिखरा हुआ होने के बावजूद भी पूरी एकजुटता से मोदी के विरोध में लगा रहेगा |

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मंगल की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा में मोदी जी को कुछ स्वास्थ्य संबंधी भी समस्याएं आ सकती हैं। उद्योग जगत एवं किसानों को पुनर्वसु नक्षत्र और वाणिज्य नामक करण में शपथ होने के कारण व्यापार,उद्योग के लिए काफी लाभ प्रद स्थितियां 2025 से 2028 तक रहेगी। शाम के समय चतुर्थी तिथि एवं चंद्रमा के केंद्रों के योग के कारण कुछ विपरीत परिस्थियों का भी सामना करना पड़ेगा | मोदी जी की योजनायो का विपक्षी दल प्रबल विरोध करेंगे इसके बावजूद भी मोदी जी की बड़े फैसले ले सकते हैं।