समृद्धि पर जमी धूल साफ करता ‘मोहन’ का ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव विजन’…

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समृद्धि पर जमी धूल साफ करता ‘मोहन’ का ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव विजन’…

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की महत्वाकांक्षी ‘रीजनल इण्डस्ट्री कांक्लेव’ योजना हर माह नए शिखर पर पहुंचने का कीर्तिमान रच रही है। रीवा में हुई पांचवीं ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ ने 31 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव और इनसे 27 हजार 645 संभावित रोजगार सृजन संग सफलता की कड़ी में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। अभी तक हुई पांच कांक्लेव करीब दो लाख 80 हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों के साथ मध्यप्रदेश में समृद्धि की नई उम्मीद जगा रही हैं। दरअसल ‘रीजनल इण्डस्ट्री कांक्लेव’ के पीछे ‘मोहन’ का ‘विजन’ भी यही है कि ‘धन’ पर जमी ‘धूल’ को साफ कर मध्यप्रदेश की आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खोल दिए जाएं। और यह सजगता भी बरती जा रही है कि खाली बातें न हों, बल्कि काम भी हो और काम की गति के प्रमाण भी मिलते रहें। इसीलिए हर ‘कांक्लेव’ में पिछले निवेश प्रस्तावों के कुछ वर्चुअल भूमिपूजन का आयोजन खास होता है। रीवा रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव में भी पीथमपुर, उज्जैन और सागर में 2680 करोड़ के वर्चुअल भूमिपूजन कर डॉ. मोहन यादव ने साफ किया कि इनसे 1830 से अधिक रोजगार सृजित होंगे। मोहन की नजर में सफलता का यह क्रम अन्य संभागीय मुख्यालयों पर ”रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ की सफल यात्रा संग जारी रहने वाला है। जो ‘मोहन’ के मध्यप्रदेश की आर्थिक समृद्धि के सपने में रंग भरता जाएगा। यह सपना ”मोहन’ ने खुली आंखों से देखा है और उनकी सरकार इसे पूरा करने में अथक परिश्रम कर रही है। इसे पूरा करने के प्रति मुख्य सचिव जैन का अनुराग और सभी विभागों के एसीएस-पीएस का परिश्रम कसौटी पर है और काबिले तारीफ भी है। कांक्लेव के मंच पर इनकी तारीफ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ उद्योगपतियों की जुबां पर आना इसका प्रमाण है।

अब इस ”रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विजन की भी बात कर लेते हैं। यह विजन उनके द्वारा सुनाई गई धूल से ढके कीमती पत्थरों वाले दो पेपरवेट की कहानी से सामने आ गया। मुख्यमंत्री ने रीवा रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव में अपनी बात एक रुचिकर और प्रेरणादायक कहानी से शुरू की। उन्होंने बताया कि एक समृद्ध परिवार के दिन फिरे और वह समय के साथ दरिद्रता के कगार पर पहुंच गया। समृद्धि के समय उनके परिवार का वैभव घर में बिखरा रहता था। तो दरिद्रता में कड़की के दौर में घर का गुजारा बड़ी तंगहाली में मुश्किल से हो पा रहा था। बच्चों को पढ़ा लिखाकर परिवार दो जून की रोटी जुटा रहा था। उनके घर की मेज पर दो पेपरवेट थे जो धूल गंदगी से लिपटे थे। परिवार जैसे तैसे अपनी साख बचाने में जुटा रहता था। एक दिन उनके घर एक पुराने मिलने वाले आए, जिन्होंने परिवार की दरिद्रता के बारे में सुन रखा था। उनके सामने भी परिवार के सदस्य अपनी झूठी साख बचाने में लगे थे। इस बीच वह पुराने परिचित पेपरवेट के ऊपर जमी धूल-गंदगी को साफ करते रहे। और जब धूल गंदगी हटी, तब पता चला कि उन दो पत्थरों की कीमत ही सौ-दो सौ करोड़ की थी। यानि कि समृद्धि धूल से ढकी थी और परिवार दरिद्रता में गुजारा करने को मजबूर था। संदेश साफ था कि वैभवशाली परिवारों को समृद्धि लौटाने के लिए कीमती चीजों पर से धूल साफ करने का श्रम करने में देर नहीं करनी चाहिए। और वैभवशाली और समृद्धिशाली मध्यप्रदेश की आर्थिक समृद्धि लौटाने के पीछे यही कहानी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन बन गई है। और ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ के पीछे तर्क यही है कि मध्यप्रदेश की धरती में मौजूद प्रचुर खनिज और प्राकृतिक संपदा पर जमी धूल हटाकर निवेश प्रस्तावों को जमीं पर उतारकर प्रदेश की आर्थिक समृद्धि लौटाने का संकल्प मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ले लिया है। और ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ के जरिए उनके इस विजन से जब मध्यप्रदेश की आर्थिक समृद्धि लौटेगी, तभी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार चैन की सांस लेगी।

और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इसी विजन में समाहित है रोजगार सृजन का महासंकल्प और 11 विभागों की समन्वित कार्ययोजना। और इसी विजन में समाहित है लाड़ली बहनों को हर माह दी जा रही राशि के अलावा उन्हें रोजगार मुहैया कराने वाले उद्योगपतियों को सरकार द्वारा प्रति महिला के हिसाब से पांच हजार रुपए प्रति माह का अनुदान उपलब्ध करवाना। और इसी विजन में समाहित है प्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी बनाना। और इसी विजन में शामिल है मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन देकर रोजगार के प्रचुर अवसर मुहैया कराना। और इसी विजन में शामिल है मध्यप्रदेश में पर्यटन को पंख लगाकर समृद्धि का आधार बनाना। इसके लिए ‘मोहन’ अपने विजन को बीज रूप में ढालकर सभी अहंकारों से परे जाकर प्रदेश के सभी अंचलों में उद्योग रूपी समृद्धि के वृक्ष लगाने को कृत संकल्पित हैं।

तो पांचवी रीजनल इंडस्ट्री कांन्क्लेव रीवा में 23 अक्टूबर 2024 को संपन्न हो गई है। इसे मिलाकर अभी तक मध्यप्रदेश को 2.76 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। यह प्रस्ताव सवा तीन लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद से भरे हैं। मुख्यमंत्री डॉ यादव की उम्मीद के मुताबिक रीवा में भी विंध्य और बुंदेलखंड को जोड़ते हुए विकास के लिए एक नया कीर्तिमान बना है। रीवा, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में रीजनल इंडस्ट्री कांन्क्लेव संपन्न हो चुकी हैं और इन्हें सफल बनाने के लिए मुंबई, कोयंबतूर, बेंगलुरु और कोलकाता इत्यादि स्थानों पर रोड शो कर चुके मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव फिलहाल अपने प्रयासों से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि शहडोल, भोपाल, इंदौर सहित सभी संभागों में ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव’ कर सरकार समृद्धि के नए द्वार खोलकर रहेगी। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार के साथ वह विकास के इस क्रम को लगातार जारी रखेंगे। और इसके लिए जरूरत पड़ने पर सारे नीतिगत बंधनों को तोड़कर वह निवेशकों को गले लगाएंगे और मध्यप्रदेश की आर्थिक समृद्धि को लौटाएंगे। तो मुख्यमंत्री जी प्रदेश की साढे आठ करोड़ आबादी को भी उसी पल का इंतजार है कि समृद्धि पर जमी धूल साफ कर ‘मोहन’ का ‘रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव विजन’ नया इतिहास रचे…और मध्यप्रदेश आर्थिक समृद्धि के नए शिखर पर पहुंचकर देश में नंबर एक और विकसित राज्य बने

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