Mothers Day:जन्म और पुनर्जन्म की अविरल गाथा है माँ!

Mothers Day:जन्म और पुनर्जन्म की अविरल गाथा है माँ!

 

माँ, मानव जाति के होंठों पर सबसे खूबसूरत शब्द है. खलील जिब्रान के कहे गए ये शब्द, अत्यंत सार्थक एवं मोहक हैं क्योंकि बच्चे का बोला गया यह पहला शब्द माँ को रोमांचित कर उसमें एक ऐसी भावना को जागृत करता है जो प्यार से परिपूर्ण, त्याग से ओतप्रोत तथा भावनाओं के विशाल सागर का एक अनूठा संगम है।

रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में ‘भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने माँ को बनाया।’ इससे यह विदित है कि माँ भगवान-स्वरूप है। बच्चे को मनपसंद भोजन देना, खुद भूखे रहकर बच्चे के मुंह में निवाला देना, तेज धूप में बच्चे को आँचल में छुपा लेना, सर्द हवाओं में बच्चे को अच्छी तरह लपेट लेना, बीमार होने पर अनगिनत रातें जागते हुए बिता देना, बच्चे के चेहरे पर चिंता की रेखा देखकर उस चिन्ता को स्वंय ग्रहण कर लेना- इन सब गुणों के कारण, हर बच्चे को माँ में भगवान का स्वरुप नजर आता है और यही वजह है कि हर खुशी और हर गम में बच्चे के मुख से एक ही शब्द निकलता है ‘माँ।’ माँ है तो सब मुमकिन है।

इन्हीं भावनाओं को लेकर मातृ दिवस (मदर्स डे) मनाया जाता है, जो मातृत्व का सम्मान करने वाला दिन है, जिसे दुनिया भर में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। जूलिया वार्ड होवे (कवि, कार्यकर्ता और लेखिका) के विचारों से वर्ष 1872 में अमेरिका में मदर्स डे को एक आधिकारिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने 2 जून को शांति कार्यक्रम के रूप में मातृ दिवस और 2 जून के रविवार को मातृ शांति दिवस मनाने का सुझाव दिया था। मदर्स डे का अमेरिकी अवतार औपचारिक रूप से 1908 में अन्ना जार्विस द्वारा बनाया गया और एक आधिकारिक अमेरिकी बन गया। 1908 में, एना जार्विस ने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन में सेंट एंड्रयूज मेथोडिस्ट चर्च में अपनी माँ के लिए एक स्मारक बनवाया जो अब अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के लिए तीर्थ स्थल है।

यह दिवस मातृत्व का सम्मान करने के साथ-साथ बच्चों के प्रति मातृ बंधन को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। मदर्स डे हर साल दुनिया भर के विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। भारत में मदर्स डे मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष यह 12 मई 2024 को मनाया जायेगा। बच्चे की रचना, माँ की रचना है क्योंकि जैसे ही बच्चा पैदा होता है, एक माँ भी पैदा होती है। गर्भावस्था एक खूबसूरत चरण है क्योंकि यह एक माँ को वह खुशी और तृप्ति देती है जो एक नए जीवन को दुनिया में लाने से मिलती है। यह सिर्फ महिला शरीर का शारीरिक कायापलट नहीं है; यह एक भावनात्मक परिवर्तन भी है जो उसके जीवन पर स्थायी प्रभाव छोड़ता है और उसके दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल देता है। इन नौ महीनों के दौरान उसमें वह धैर्य, समझ, और साहस विकसित होता है जो उसे बच्चे को जन्म देने के लिए चाहिए।

हर साल अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है। पिछले वर्षों में मनाए गए कुछ थीम हैं, माँ का प्यार, माँ का दिल, माँ के हाथ, हर माँ जानती है, बेहतर दुनिया के लिए जेंडर संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना। इस वर्ष का थीम है ‘सेलिब्रेटिंग मदरहुड: ए टाइमलेस बांड’ यह दिवस माँ के साथ मातृत्व, मातृ बंधन और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करने वाला, एक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। मातृ दिवस वास्तव में मातृ उत्सव है। माँ के साथ एक ऐसा बंधन होता है जो सीमाओं से परे है, अटूट है तथा चिरस्थायी है। मां ही ममता, माँ ही वात्सल्य, माँ ही गुरु, माँ ही त्याग, सही मायने में माँ ममता का एक प्रतिबिम्ब है। मदर्स डे एक धन्यवाद दिवस है जब बच्चे अपनी मां को उनके बच्चों को दिए गए समर्थन और देखभाल के लिए धन्यवाद देते हैं।

मदर्स डे मनाने की शुरुआत सबसे पहले प्राचीन युग में यूनानियों और रोमनों द्वारा की गई थी। हालांकि, इसका जश्न ब्रिटेन में मदरिंग संडे के रूप में भी मनाया गया। मातृ दिवस के उत्सव को हर जगह आधुनिक रूप दिया गया है। इसे पुराने तरीकों की तरह सालों में नहीं बल्कि आधुनिक तरीकों से मनाया जाता है। यह दुनिया के लगभग 46 देशों में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जा रहा है। यह हर किसी के लिए एक बड़ा अवसर है जब उन्हें अपनी माँ का सम्मान करने का मौका मिलता है। हमें उस इतिहास को धन्यवाद करना चाहिए जो मातृ दिवस की शुरुआत का कारण बना।

पहले, ग्रीस के प्राचीन लोग वार्षिक वसंत उत्सव के विशेष अवसर पर अपनी मातृ देवियों के प्रति अत्यधिक समर्पित थे। ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार, वे रिया (क्रोनस की पत्नी और साथ ही कई देवताओं की माँ) का सम्मान करने के लिए इस अवसर का जश्न मना रहे थे। प्राचीन रोमन लोग हिलारिया नामक एक वसंत उत्सव भी मनाते थे जो साइबेले (अर्थात् एक देवी माँ) को समर्पित था। उस समय, भक्त मंदिर में देवी माँ सिबेले के सामने प्रसाद चढ़ाते थे। विभिन्न प्रकार के खेल, परेड और मुखौटे जैसी कई गतिविधियों के साथ पूरा उत्सव तीन दिनों तक आयोजित किया गया था। ईसाइयों द्वारा वर्जिन मैरी (अर्थात् ईसा मसीह की माता) का सम्मान करने के लिए चौथे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का एक और इतिहास इंग्लैंड में 1600 के आसपास का है। ईसाई वर्जिन मैरी की पूजा करते हैं, कुछ उपहार और फूल चढ़ाते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

ऐसे कई हार्दिक संकेत हैं, जो एक माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किए जा सकते हैं और उनका दिन सुखद तथा खुशनुमा बनाया जा सकता है। यदि आप माँ से दूर हैं तो उन्हें एक प्यार भरा पत्र लिखें। उनके लिए पसंदीदा भोजन बनाएं अथवा उनकी पसंद का भोजन, उनकी पसंद वाली जगह पर खिलाएं। बचपन में माँ आपका टाइम टेबल बनाया करती थी, अब आप माँ का एक रोचक टाइम टेबल बनाएं। उन्हें किसी अच्छी जगह घुमाने ले जाएं। उन्हें एक विचारशील उपहार भेंट करें। उनके साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताकर उन्हें भरपूर समय दें। उनके प्रति अपने प्यार और आभार को शब्दों में व्यक्त करें क्योंकि यह वही हैं जो आपको इस दुनिया में लेकर आई है। माँ के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। उनका चेकअप, दवाइयों का ख्याल रखें। अब्राहम लिंकन ने कहा था कि मैं जो कुछ भी हूँ, या होने की आशा करता हूँ, उसका श्रेय मैं अपनी देवदूत माँ को देता हूं।

इस मदर्स डे पर हमें अहसास करना होगा कि हमारी माँ में सब कुछ समाया है – उनकी अनुभूति सब जगह है। जीवन का हर लम्हा माँ का स्मरण कराता है। स्टीव वंडर ने कहा था – ‘अगर प्यार फूल की तरह मीठा है तो मेरी माँ प्यार का वह मीठा फूल है’। यदि हम अपना पूरा जीवन भी समर्पित कर दें तो माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकते। भारतीय संस्कृति में माँ के प्रति अथाह श्रद्धा रही है, माँ शब्द से ही संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। सभी माताओं को संबोधित करते हुए यह कहना जरूरी समझती हूँ कि आपने स्वत्व से जिस जीवन का निर्माण किया है, वह आपके आंतरिक गुणों की आत्म प्रतिमा है। अपने प्रभाव में वह सर्वोत्तम भावना, सर्वोत्तम संस्कृति, सर्वोत्तम स्वास्थ्य और सर्वोत्तम आध्यात्मिकता का एक विशिष्ट संयोजन बन सकेगा, इसके लिए आपके कृपापूर्ण आशीर्वाद की आवश्यकता बनी रहेगी।