Moti Singh Patel’s Petition Rejected : खुद को कांग्रेस उम्मीदवार घोषित करने की मोती सिंह पटेल की याचिका खारिज!

हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा 'चुनाव प्रक्रिया में कोई रिवर्स गियर नहीं होता!'

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Moti Singh Patel’s Petition Rejected : खुद को कांग्रेस उम्मीदवार घोषित करने की मोती सिंह पटेल की याचिका खारिज!

Indore : कांग्रेस के डमी कैंडिडेट मोतीसिंह पटेल की खुद को कांग्रेस उम्मीदवार घोषित करने की याचिका दूसरी बार ख़ारिज हो गई। उन्होंने सिंगल बैंच के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी थी। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में रिवर्स गियर नहीं होता।

इंदौर लोकसभा सीट से नाम वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार अक्षय बम के नामांकन फार्म वापस लेने के बाद कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने की मांग की थी। लेकिन, कोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका निरस्त कर दी।

कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में रिवर्स गियर नहीं होता। आपका नामांकन फार्म स्क्रूटनी के दौरान ही निरस्त हो चुका है। उम्मीदवारों की सूची से पहले ही बाहर हो चुके हैं। ऐसे में कोई राहत नहीं मिल सकती। अगर आपका नाम उम्मीदवारों की अंतिम सूची में शामिल होता, तो पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने का मौका मिलता।

मोती सिंह पटेल ने भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में नामांकन फार्म जमा किया था। किंतु, उनका फार्म स्क्रूटनी के दौरान इसलिए निरस्त हो गया, क्योंकि नामांकन फार्म पर प्रस्तावक के रूप में 10 लोगों के बजाए एक व्यक्ति के ही हस्ताक्षर थे। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के नामांकन फार्म वापस लेने के बाद पटेल ने एडवोकेट विभोर खंडेलवाल के माध्यम से मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी। इसमें कहा गया था कि कांग्रेस द्वारा जारी बी-फार्म में दो उम्मीदवारों के नाम थे। इसमें अक्षय बम का नाम अनुमोदित उम्मीदवार और मोती सिंह पटेल का नाम वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में था।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने मोती सिंह का नाम इस आधार पर निरस्त किया कि उनके फार्म पर प्रस्तावक के रूप में 10 लोगों के बजाए सिर्फ एक व्यक्ति का नाम था। जब पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार ने नामांकन वापस ले लिया, इसलिए फार्म-बी के आधार पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के रूप में मोती सिंह के नाम की घोषणा की जानी चाहिए। पार्टी की तरफ से नामांकन फार्म जमा करने में प्रस्तावक के रूप में सिर्फ एक व्यक्ति के हस्ताक्षर पर्याप्त हैं। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की खंडपीठ ने करीब आधे घंटे की बहस के बाद याचिका निरस्त कर दी।