MP News: लोकायुक्त की अनुशंसा पर अमल नहीं, बिना कार्रवाई रिटायर हो गए कई अफसर

DGP टंडन बोले- विभागों को बार-बार भेजते है रिमाइंडर, अब कार्रवाई में आएगी तेजी

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भोपाल: सरकारी महकमों के अफसर जमकर आर्थिक अनियमितताएं कर रहे है। लोकायुक्त पुलिस इन गड़बड़ियों को उजागर कर रही है और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही के लिए अनुशंसा भी कर रहे है लेकिन विभाग में जाने के बाद लोकायुक्त की अनुशंसाओं पर विभागीय अफसर अमल नहीं कर रहे है। अफसरों के रिटायर हो जोन के कारण दोषी अफसर सजा पाने से बच रहे है और पेंशन नियमों के तहत अब इनसे वसूली की कोई कार्यवाही करना संभव नहीं है।  ऐसे एक-दो हीं 22 मामले है जिनमें दोषी अफसर विभागीय अफसरों की लेटलतीफी के कारण बच गए है।

लोकायुक्त पुलिस आर्थिक अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर जांच करती है और फिर दोषी पाए जाने पर संबंधित अफसर के खिलाफ विभागीय जांच करने के लिए विभाग के अफसर को ही अनुशंसा करती है। लेकिन देखने में यह आ रहा है कि विभागीय अफसर जानबूझकर इन अनुशंसाओं पर समय पर कार्यवाही नहीं करते है। हालत यह है कि प्रदेश के 22 मामलों में अधिकारी-कर्मचारियों पर विभागों ने कार्यवाही नहीं की और ये बिना किसी कार्यवाही के सेवाविृत्त ही हो गए।

नौ से दस साल तक विभागों के कार्यवाही हीं करे के कारण अब रिटायरमेंट के बाद पेंश नियमों के तहत इनके खिलाफ कार्यवाही करना ही संभव नहीं है।

 *केस एक-*
खंडवा  जिले की नगर पालिका सेंधवा के प्रशासक एसआर पाटीदार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने जांच में वर्ष 91-92 के मामले में इन्हें नालियों के फर्शीकरण कार्य और इंटेक वेल  पर आयरन सीढ़ी बनाने के काम में अनियमितता के लिए दोषी पाते हुए स्थानीय शासन विभाग के प्रमुख सचिव से विभागीय जांच की अनुशंसा की। विभाग ने दस साल तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की और वर्ष 2001 में रिटायर हो गए। अब पेंशन नियमों के तहत इन पर कार्यवाही संभव नहीं है। इसी मामले में  दूसरे प्रकरण में प्रशासक और प्रभारी लेखापाल सेंधवा हबीब खां  पर भी सेवानिवृत्ति तक कार्यवाही हीं हो पाई।

केस दो-
भूमि विकास बैंक बैतूल में सिचाई योजना के क्रियान्वयन में अयिमितता के दोषी पाए जाने पर भूमि विकास बैंक बैतूल के प्रबंधक जीएस लोखंडे और विकास खंड अधिकारी अजाक केएल मालवीय के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने और शासन को हुई हानि की वसूली के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के पीएस को अुशंसा की गई।  वर्ष 95-96 के इस मामले में लोखंडे वर्ष दो हजार में और मालवीय 1997 में सेवानिवृत्त हो गए।  लोखंडे के रिटायरमेंट के पांच वर्ष पहले और मालवीय के रिटायरमेंट के दो साल पहले तक विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की अब बैंक नियमों के तहत कार्यवाही करना संभव नहीं है।

 केस तीन-
रीवा में अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के पद पर पदस्थ शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ वर्ष 95 और 2000 मे लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत पर जांच के बाद उन्हें निर्माण कार्यो हेतु सामग्री प्रदाय आदेश में पूर्व तिथियों में जारी करेन, माप पुस्तिकाओं में काँट-छांट करे संबंधी अनियमितताओं में दोषी पाने पर विभागीय जांच की अनुशंसा पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग के पीएस से की थी। ये 2002 में रिटायर हो गए। विभाग ने रिटायरमेंट के दो साल पहले तक इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की।

इन रिटायर्ड अफसरों के खिलाफ भी कार्यवाही में देरी-
सागर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री एनजे रायचंदानी को स्पेयर पार्टस खरीदी में अनियमितता के लिए पद के दुरुपयोग का दोषी पाया था। मुरैना के सबलगढ़ में सहायक यंत्री ओपी गोयल को नलकूप खनन और वाहन मरम्मत कार्य में अयिमिता के लिए दोषाी पाया गया था। शहडोल में पीएचई संभागीय लेखापाल दिलशाद अली, टीकमगढ़ में कार्यपाल यंत्री पीएचई एससी दुबे, मानचित्रकार एसए सिद्दीकी, लिपिक आरजी सिंह, आरबी खरे, नरसिंहगढ़ में संभागीय लेखापाल जलसंसाध जीएस दुबे, लेखापाल माताप्रसाद शर्मा, जलसंसाधन विभाग के उज्जैन में पदस्थ रहे कार्यपालन यंत्री आरएस अग्निहोत्री, एमएस चंद्रावत, उपयंत्री आरपी शर्मा के अलावा गुना के जलसंसाधन विभाग के 6 अधिकारियों, धार के मनावर में दो अधिकारियों, श्योपुरकला , गैरतगंज, उज्जैन,सतना, शिवपुरी, भोपाल के कई अफसरों पर रिटायरमेंट तक विभाग ने कार्यवाही नहीं की।