MP’s Manmohak Cabinet: अनुभव और ऊर्जा से सजी 20 साल की सबसे मजबूत कैबिनेट

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MP’s Manmohak Cabinet: अनुभव और ऊर्जा से सजी 20 साल की सबसे मजबूत कैबिनेट

 

भोपाल:डॉ. मोहन यादव के सोमवार को हुए कैबिनेट विस्तार के बाद यह साफ हो गया है कि उनकी टीम अब प्रदेश के विकास को नया आयाम देने का काम तेजी से करेगी। अनुभव और ऊर्जा से सजी उनकी कैबिनेट में जहां पिछले बीस साल में रहे मुख्यमंत्रियों के कैबिनेट से तुलना की जाए तो डॉ. यादव का यह कैबिनेट सुपर कॉम्बो दिखाई दे रहा है। जिसमें पार्टी से लेकर जनता तक की लंबे अरसे से कसौटी पर खरे उतरने वाले इतने सीनियर्स को जगह दी है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि अब डॉ. यादव अपनी कैबिनेट के सुपर सीनियर और पहली बार के विधायक से मंत्री बने नेता मध्य प्रदेश को विकास की रफ्तार जोश के साथ देंगे।

काम करने में होगी आसानी

सूत्रों की मानी जाए तो डॉ. यादव द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए नाम तय करने के बीच में केंद्रीय नेतृत्व ने यह जानने का भी प्रयास किया कि डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट को सुपर कॉम्बो का रूप दिया जाए तो इससे तालमेल और प्रदेश के विकास की क्या स्थिति होगी। इसके चलते लंबा मंथन चला। जिसमें यह पाया गया कि ऐसे ही मजबूत और सुयोग्य नेताओं वाला कैबिनेट ही हर स्थिति में प्रदेश में बेहतर करेगा। इन सभी में तालमेल की भी कमी नहीं रहेगी। सभी संगठन और जनता को महत्व देने वाले नेता हैं।

 

 *बीस साल में पहली बार इतना हेवीवेट कैबिनेट* 

भाजपा की सरकार 2003 में प्रदेश में बनी थी। उस वक्त उमा भारती के नेतृत्व में भी इतना हेवीवेट कैबिनेट नहीं बना था।

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तीन दशक से विधानसभा में पहुंचने वाले बाबूलाल गौर जब मुख्यमंत्री बने तब भी वे इतना मजबूत कैबिनेट नहीं बना सके थे। गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तक भी इतना मजबूत कैबिनेट नहीं माना गया।

 *ऐसे हैं अनुभवी मंत्री* 

कैलाश विजयवर्गीय 1990 से 2013 तक लगातार विधायक रहे। इस बार वे सातवीं बार विधानसभा में पहुंचे। इस दौरान वे उमाभारती और शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल रहे। जनता में उनकी पैठ तो चुनाव के जरिए सभी ने देख ली थी, संगठन उन्हें केंद्र में ले गया और उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया।

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वे चार बार से लगातार महामंत्री हैं। संगठन के काम में भी उनका कोई सानी नहीं हैं। जनता और संगठन के साथ काम करने का उनका लंबा और सफल अनुभव है। वहीं राकेश सिंह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहें, साथ ही वे जबलपुर से सांसद भी रहे। उनका भी जनता और संगठन के बीच में लंबा अनुभव है। प्रहलाद पटेल भले ही पहली बार विधानसभा में पहुंचे हैं, वे पहली बार सांसद 1989 बने थे। वे केंद्र में मंत्री भी रहे।

 *युवा जोश भी साथ* 

राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल, संपतिया उईके, प्रतिभा बागरी, राधा सिंह, दिलीप अहिरवार, नरेंद्र शिवाजी पटेल पहली बार के विधायक हैं। इनमें से राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल, संपतिया उईके सांसद रह चुके हैं। जबकि बाकी प्रतिभा बागरी, राधा सिंह, दिलीप अहिरवार और नरेंद्र शिवाजी पटेल पहली बार के विधायक हैं। इन चारों को भी शामिल कर डॉ. मोहन यादव ने अपने कैबिनेट को युवा जोश से भी भरे रखने का काम किया है।